NASA Europa Clipper Mission: अंतरिक्ष में कई ऐसे रहस्य अब भी छिपे हुए हैं जिनसे पर्दा उठना अभी बाकी है. इस दिशा में नासा ने अपनी नई खोज की शुरुआत से सभी को चौंका दिया है. नासा का स्पसेक्रॉफ्ट अंतरिक्ष में छिपे विशाल महासागर की खोज पर निकला है. यह खोज अंतरिक्ष के सबसे बड़े ग्रह ज्यूपिटर यानी बृहस्पति से जुड़ी हुई है. अनुमान है कि ज्यूपिटर के चंद्रमा ‘यूरोपा’ पर विशाल महासागर मिल सकता है. यूरोपा पर जीवन के लिए उपयुक्त हालात की खोज में नासा ने सोमवार को अपना स्पेस क्रॉफ्ट रवाना किया है.


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यूरोपा में समाया है विशाल महासागर


पहले आपको यूरोपा के बारे में बताते हैं.. यूरोपा, हमारे सौर मंडल का एक महत्वपूर्ण चांद है. यह बृहस्पति के चार बड़े चंद्रमाओं में से एक है. इसे 1610 में गैलीलियो गैलीली ने खोजा था तब से यह वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष प्रेमियों का ध्यान आकर्षित करता रहा है. यूरोपा की सतह मुख्यतः बर्फ की मोटी परत से ढकी हुई है. माना जाता है कि यह पानी के एक विशाल महासागर के ऊपर स्थित है. यह महासागर बर्फ की परत के नीचे है. वैज्ञानिकों का मानना है कि वहां पृथ्वी के महासागरों की तुलना में अधिक पानी हो सकता है. 


जीवन की संभावना


इसकी सतह पर कई दरारें और रेखाएं हैं, जो यह संकेत करती हैं कि आंतरिक महासागर में गतिविधि हो रही है. यूरोपा का सबसे रोमांचक पहलू यह है कि वैज्ञानिक इसे बाहरी जीवन के लिए संभावित स्थान मानते हैं. बर्फ की परत के नीचे पानी, पोषक तत्व और ज्वालामुखीय गतिविधि ऊर्जा का स्रोत हो सकती है. जीवन के लिए आवश्यक तत्व प्रदान कर सकती हैं. नासा के साथ अन्य अंतरिक्ष एजेंसियां इस चांद पर जीवन के संकेतों की खोज के लिए मिशन की योजना बना रही हैं.


नासा का "Europa Clipper" मिशन


नासा ने "Europa Clipper" मिशन लॉन्च किया है. इसे यूरोपा की सतह और आंतरिक महासागर का अध्ययन करने के लिए डिजाइन किया गया है. यह चांद की बर्फ की परत की संरचना, महासागरीय गहराई, और संभवतः जीवन के लिए अनुकूल परिस्थितियों का अध्ययन करेगा.


विज्ञान और भविष्य


यूरोपा अपने अनूठे भौतिक गुणों और संभावित जीवन की उपस्थिति के कारण न केवल हमारे सौर मंडल की संरचना को समझने में मदद करेगा, बल्कि यह मानवता के लिए एक नया आशा का स्रोत भी हो सकता है. वैज्ञानिकों के अनुसार, अगर यहां जीवन की संभावना सिद्ध होती है. तो यह हमारे सौर मंडल में जीवन के बारे में हमारे ज्ञान को पूरी तरह से बदल सकता है.


साढ़े पांच साल की यात्रा


बता दें कि ‘यूरोपा क्लिपर’ को बृहस्पति तक पहुंचने में साढ़े पांच साल लगेंगे. यह अंतरिक्ष यान गैस के इस विशाल ग्रह के चारों ओर की कक्षा में प्रवेश करेगा और दर्जनों विकिरण-युक्त किरणों से गुजरता हुआ यूरोपा के करीब पहुंचेगा. वैज्ञानिकों को यकीन है कि यूरोपा की बर्फीली परत के नीचे एक गहरा वैश्विक महासागर मौजूद है, जहां पानी और जीवन हो सकता है. ‘स्पेसएक्स’ ने यान को रवाना किया, जो 18 लाख मील की यात्रा तय करेगा. इस यान को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से प्रेक्षपित किया गया