ISRO की सेंचुरी.. 100वीं सफल लॉन्चिंग से रचा इतिहास, दुनिया मान चुकी है लोहा
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ISRO 100th launch: इस सफलता के साथ ही इसरो ने एक बार फिर दुनिया में अपनी तकनीकी श्रेष्ठता साबित कर दी है. इस रॉकेट का मुख्य उद्देश्य NVS-02 उपग्रह को भू-समकालिक ट्रांसफर कक्षा में स्थापित करना था.
Indian space research: भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ISRO ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है. बुधवार सुबह 6:23 बजे श्रीहरिकोटा आंध्र प्रदेश से इसरो ने अपने 100वें मिशन के तहत GSLV-F15 रॉकेट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया. यह मिशन ना सिर्फ भारतीय वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत और श्रेष्ठ तकनीकी क्षमता का उदाहरण है बल्कि एक बड़ा लैंडमार्क भी है. इस लॉन्च के साथ भारत के नेविगेशन सिस्टम को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया गया है.
GSLV का 17वां मिशन
दरअसल, न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक GSLV-F15 भारत के जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) का 17वां मिशन था और 11वीं बार इसमें स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन का उपयोग किया गया. इस रॉकेट का मुख्य उद्देश्य NVS-02 उपग्रह को भू-समकालिक ट्रांसफर कक्षा में स्थापित करना था. इसरो के अनुसार यह उपग्रह भारत के क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली (NavIC) का हिस्सा होगा जो देश के लिए अधिक सटीक नेविगेशन सेवाएं प्रदान करेगा.
इस ऐतिहासिक पल को देखने के लिए कई छात्रों को लॉन्चपैड के पास जाने का मौका मिला. गुजरात के तीर्थ ने ANI से कहा कि मैं बहुत उत्साहित हूं. इसरो अब विदेशी उपग्रहों को भी लॉन्च कर रहा है, जिससे देश को आर्थिक लाभ भी मिल रहा है. वहीं बिहार के अविनाश ने पहली बार प्रक्षेपण देखने का अनुभव साझा करते हुए कहा कि हम चार साल से इस अवसर का इंतजार कर रहे थे और आखिरकार आज यह सपना पूरा हुआ.
नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम
इसरो के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (SAC) के निदेशक निलेश देसाई ने बताया कि इस मिशन के जरिए भारत के नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम को 4 से बढ़ाकर 5 उपग्रहों तक विस्तारित किया जाएगा. उनका कहना है कि NVS-02 उपग्रह को 36,000 किलोमीटर की ऊंचाई पर भूस्थैतिक कक्षा में स्थापित किया जाएगा, जिससे पोजीशनिंग और टाइमिंग की सटीकता और बढ़ेगी.
NavIC सिस्टम के तहत कुल 7 उपग्रह अंतरिक्ष में तैनात किए जाने हैं जिनमें से अब 5 सफलतापूर्वक स्थापित हो चुके हैं. यह प्रणाली भारत और इसके 1500 किलोमीटर के दायरे में बेहतर नेविगेशन सेवाएं प्रदान करेगी. NavIC के तहत दो प्रकार की सेवाएं— स्टैंडर्ड पोजिशनिंग सर्विस (SPS) और प्रतिबंधित सेवा (RS) दी जाएंगी. SPS प्रणाली 20 मीटर से कम त्रुटि के साथ पोजिशनिंग डेटा प्रदान करती है जिससे भारत का नेविगेशन सिस्टम और सशक्त होगा.