ISRO Chief S Somnath on Sunita Williams: पिछले 6 महीने से अपने सहयात्री के साथ अंतरिक्ष स्टेशन में फंसी सुनीता चावला वापस पृथ्वी पर कब आएंगी. यह सवाल अब नासा के साथ ही दुनियाभर के लोगों के लिए बड़ा बनता जा रहा है. उन्हें वापस लाने के नासा के प्रयासों पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) समेत विभिन्न देशों की स्पेस एजेंसीज नजर रख रही हैं, जिससे उनके यहां भी ऐसी स्थिति पैदा हो तो वे इसके निराकरण के लिए सबक सीख सकें. इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ भी इस अभियान पर बारीकी से निगाह बनाए हुए हैं. उन्होंने पहली बार उन वजहों के बारे में विस्तार से बताया है, जिनकी वजह से सुनीता वहां फंसकर रह गई हैं. 


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बोइंग ने बनाया नया स्पेसक्राफ्ट


समाचार संस्थान एचटी को दिए इंटरव्यू में एस सोमनाथ ने कहा कि अंतरिक्ष में मानव को पहुंचाने के लिए बोइंग ने नया स्पेसक्राफ्ट बनाया है. यह इस नए स्पेसक्राफ्ट की पहली उड़ान है, जिसमें बैठकर सुनीता विलियम्स के साथ कमांडर बैरी विल्मोर भी स्पेस में गए हैं. वे इस स्पेसक्राफ्ट के लिए ट्रायल के लिए उसमें बैठकर अंतरिक्ष में जाने वाले पहले एस्ट्रोनॉट्स हैं. 


लीक हो रही थी हीलियम गैस


इसरो चीफ ने बताया कि बोइंग को इस स्पेस मिशन को शुरुआत से ही दिक्कतों को सामना करना पड़ रहा था. जब उसकी डॉकिंग सफलतापूर्वक पूरी हो गई और दोनों यात्री अंतरिक्ष में पहुंच गए तो उन्हें वापस लाने के लिए स्पेसक्राफ्ट का इवेल्युएशन शुरू हुआ. उसी दौरान उसमें कुछ खामियों का पता चला. जांच में पता चला कि स्पेसक्राफ्ट में हीलियम गैस लीक हो रही थी और अंतरिक्ष यान के कुछ थ्रस्टर ठीक से काम नहीं कर रहे थे. 


सिमुलेशन टेस्ट करने में लगे वैज्ञानिक


बोइंग कंपनी अब यह समझने की कोशिश कर रही है कि मिशन की वापसी के लिए स्थिति बहुत सुरक्षित क्यों नहीं है. उन्होंने संभावना जताई कि नासा से जुड़े वैज्ञानिकों ने शायद इन विसंगतियों का समाधान करने के लिए कुछ और वक्त की जरूरत बताई हो. इसलिए दोनों यात्रियों को पृथ्वी पर वापस लाया जाना फिलहाल टल गया है. अब बोइंग के इंजनीनियर नीचे पृथ्वी पर रहकर सिमुलेशन टेस्ट करने में लगे हैं. 


कब तक नीचे आ पाएंगे एस्ट्रोनॉट्स?


सोमनाथ ने कहा कि अभी तक की जानकारियों के मुताबिक बोइंग के सिमुलेशन परीक्षणों की रिपोर्ट ओके आई है. हालांकि इसके बारे में सही मूल्यांकन अमेरिका की अधिकृत एजेंसी करेगी. उन्होंने स्पष्ट किया कि सुनीता विलियम्स और बैरी बिल्मोर पृथ्वी पर वापस कब आएंगे, इसका स्पेसक्राफ्ट की फिटनेस से काफी गहरा संबंध है. जब तक स्पेसक्राफ्ट का कंट्रोल सिस्टम, थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम और बाकी दूसरी प्रणालियां सही ढंग से काम करती हुई नहीं मिलेंगी, तब तक दोनों एस्ट्रोनॉट्स को सुरक्षित तरीके से धरती पर उतारना संभव नहीं होगा. 


भारत भी सीख रहा नासा से सबक!


इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि सुनीता विलियम्स के प्रकरण से भारत भी सबक सीख रहा है. हम भी गगनयान की तैयारियां कर रहे हैं. ऐसे में सुनीता विलियम्स की तरह की परिस्थितियां हमारे साथ भी उत्पन्न हो सकती हैं. लिहाजा हम भी ऐसे हालात को बारीकी से मॉनीटर करते हुए दूसरे देशों के एजेंसियों के प्रयासों को देख रहे हैं. जिससे इमरजेंसी में एक्शन लिया जा सके.