Perseid meteorites showers: इस साल की सबसे अद्भुत खगोलीय घटना का आप गवाह बन सकते हैं. पर्सिड उल्कापात अपनी चमक आसमान पर बिखेरने वाले हैं, 13 अगस्त को बड़ी संख्या में पर्सिड उल्कापिंड जमीन की तरफ आएंगे हालांकि उससे किसी तरह का नुकसान नहीं होने वाली है. पर्सिड उल्कापात 13 अगस्त को अपने चरम पर होगा लेकिन उससे ठीक एक दिन पहले भी अलौलिक नजारे का दीदार कर सकते हैं.  शोधकर्ताओं के मुताबिक पर्सिड्स को देखने के लिए यह सबसे अच्छे वर्षों में से एक है. स्काई एंड टेलीस्कोप के मुताबिक इस वर्ष इससे अधिक उत्तम नहीं स्थिति नहीं बनेगी. घटता अर्धचंद्र चंद्रमा जो केवल 8 फीसद प्रकाशित रहेगा और वो उल्कापात को देखने में किसी तरह से रुकावट पैदा नहीं करेगा. भारत में इन उल्कापिंडों की बारिश को 11 अगस्त की मध्य रात्रि से लेकर 13 अगस्त की सूर्योदय तक देख सकते हैं.


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12, 13 अगस्त को उल्कापिंडों की बरसात


पर्सिड्स उत्तरी गोलार्ध में लगभग सभी को दिखाई देंगे और अंधेरे स्थानों में हर एक मिनट पर एक उल्का देखे जा सकेंगे. दरअसल उल्का यानी टूटते तारे वास्तव में धूल और मलबा हैं जो हमारे वायुमंडल से तेज गति से टकराते हैं. जलने के बाद लगता है कि आतिशबाजी हो रही है.कनाडा में वेस्टर्न यूनिवर्सिटी के मौसम जांचकर्ता डेनिस विडा कहते हैं कि उल्कापिंड के हवा के अणुओं से टकराने के बाद परमाणुओं के प्रकाश उत्सर्जित करने में केवल कुछ समय लगता है तब आप आकाश में एक चमकता हुआ निशान देख सकते हैं. उल्कापिंड का पीक टाइम 12 या 13 अगस्त को सूर्योदय से ठीक पहले होगा. यदि आप शाम को देखना चाहते हैं कि तो रात 10 बजे के बाद पूर्व या उत्तर-पूर्व की ओर देख सकते हैं.  कुछ पर्सिड्स को देखने के लिए बिग डिपर एक मार्गदर्शक की तरह काम कर सकते हैं.


इसलिए कहते हैं पर्सिड उल्का


दुर्भाग्य से यह घटना दक्षिणी गोलार्ध के अधिकांश हिस्सों के लोगों के लिए क्षितिज से नीचे है. लिहाजा वर्चुअल टेलीस्कोप प्रोजेक्ट की लाइवस्ट्रीम से देखा जा सकता है. सभी उल्कापिंडों की पूंछें उत्तरी गोलार्ध तारामंडल पर्सियस की ओर इशारा करती प्रतीत होती हैं, इसलिए इस घटना को पर्सिड उल्कापात कहा जाता है. उत्तरी गोलार्ध में प्रति घंटे 60 से 70 टूटते सितारों को देखने की उम्मीद कर सकते हैं, बशर्ते उन्हें देखने के लिए अंधेरा और साफ आसमान मिले.