NASA Mars Perseverance Rover: मंगल के Jezero Crater पर रोवर परसिवरेंस की खतरनाक लैंडिंग, तस्वीरों में देखें Mission Mangal
नई दिल्ली: नासा (NASA) के लिए गुरुवार का दिन बेहद खास है. नासा का मार्स रोवर परविरेंस (NASA Mars Perseverance Rover) गुरुवार की शाम को मंगल के जेजीरो क्रेटर (Jezero Crater) पर लैंड होगा. बड़े-बड़े पत्थर चट्टानें और रेत के टीलों के बीच इस रोवर की लैंडिग बहुत कड़ा इम्तिहान होगा. तस्वीरों में देखिए मिशन मंगल की तैयारी और रोवर परविरेंस.
NASA के लिए ऐतिहासिक दिन है 18 फरवरी 2021
नासा का मार्स रोवर परसिवरेंस (NASA Mars Perseverance Rover) करीब 40 लाख किमी की यात्रा करने के बाद अब मार्स पर लैंड (Landing On Mars) होने वाला है. गुरुवार 18 फरवरी 2021 को ये मार्स की सबसे खतरनाक सतह (Jezero Crater) पर उतरेगा. बड़े-बड़े पत्थर चट्टानें और रेत के टीलों के बीच इस रोवर की लैंडिग बहुत कड़ा इम्तिहान है जिसके लिए अमेरिकी स्पेस एजेंसी (NASA) के वैज्ञानिक बेहद उत्साहित हैं.
जेजीरो क्रेटर पर रोवर की लैंडिंग
नासा रोवर की सही लैंडिंग (NASA Mars Perseverance Rover) ही ये तय करेगी कि वहां पर आगे के शोध किस तरह से मुमकिन हो पाएगा. गौरतलब कि मंगल (Mars) पर उतरने वाला नासा का ये पांचवां रोवर (5th Rover) है. इस रोवर को अमेरिका (America) के स्थानीय समयानुसार शाम 3:55 (3:55 p.m. EST (12:55 p.m. PST Feb. 18, 2021) बजे जेजीरो क्रेटर जो कि मंगल की सबसे खतरनाक जगह है, वहां पर उतरना है.
मंगल पर जीवन की खोज करेगा रोवर
नासा के अनुसार जेट प्रपल्शन लैब (Jet Propulsion Laboratory) के वैज्ञानिक पर इस पूरी तरह निगाह बनाए हुए हैं और फिलहाल सबकुछ ठीक है. हालांकि उन्होंने माना कि इसकी लैंडिंग जितना सोचा है उससे कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण होगी. नासा का कहना है कि ये उनका अब तक का सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है. नासा हैडक्वार्टर के वैज्ञानिक थॉमस जुर्बुकेन (Thomas Zurbuchen) के मुताबिक ये रोवर मंगल पर जीवन की खोज करेगा.
अरबों वर्ष पहले यहां जीवन की संभाविता
वैज्ञानिकों के अनुसार, जिस जगह पर ये रोवर लैंड करने वाला है वहां पर कभी एक नदी बहती थी और यहां पर एक झील थी। इसकी वजह से यहां पर डेल्टा का निर्माण हुआ था। अरबों वर्ष पहले यहां पर जीवन की संभाविता बताई जा रही है. लेकिन इस क्रेटर में कई चट्टानें खड़ी हैं और रेत के टीले मौजूद हैं। यहां पर बड़े-बड़े पत्थर भी मौजूद हैं। इसलिए यहां पर लैंडिंग बड़ी चुनौती है।
अब तक केवल 50 फीसद प्रयास ही सफल
गौरतलब है कि मंगल पर लैंडिंग के अब तक केवल 50 फीसद प्रयास ही सफल हुए हैं. यहां की भौगोलिक संरचना बहुत जटिल है. परसिवरेंस की टीम ने अपने पुराने अभ्यासों से काफी कुछ सीखा है और अब तकनीक भी उनका साथ दे रही है. तकनीक के जरिए आज वो इस स्पेसक्राफ्ट को काफी हद तक सफलतापूर्वक लैंड कराने की क्षमता रखते हैं.
सफलतापूर्वक लैंडिंग की गारंटी नहीं
इस प्रोजेक्ट के डिप्टी प्रोजेक्ट मैनेजर जेरिफर ट्रॉसपर (Deputy Project Manager Jennifer Trosper) का कहना है कि टीम इसकी इस क्रेटर में लैंडिंग को लेकर पूरी तरह से सजग है. हालांकि उन्होंने इसके सफलतापूर्वक लैंड करने की कोई गारंटी नहीं बताई है. लेकिन टीम अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ रही है. इसके सही सलामत उतरने के बाद ही ये अपना काम भी शुरू कर देगा.
दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने मिल कर चुना था
गौरतलब है कि कि इस यान की लैंडिंग की जगह को दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने मिलकर चुना है. विशेषज्ञों ने मंगल पर इसकी लैंडिंग के लिए 60 जगहों का चयन किया था. पांच वर्षों तक इन सभी के विश्लेषण के बाद इस क्रेटर पर सबकी सहमति हुई. वैज्ञानिकों का मानना है कि यहां पर वर्षों पहले बनी झील और नदी की मौजूदगी से यहां पर खनिज मौजूद हो सकते हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि ये जीवन के लिए एक उत्तम जगह हो सकती है