Tree talk to each other: पेड़-पौधे हमारे जीवन के लिए, पृथ्वी के लिए बहुत जरूरी हैं. यही वजह है कि पेड़ों को न काटने और ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने पर जोर दिया जाता है. अक्सर ये भी कहा जाता है कि पेड़ बेजुबान होते हैं, लेकिन यह पूरा सच नहीं है. अगर आपसे ये कहा जाए कि पेड़ भी आपस में बात करते हैं तो शायद आपको यकीन न हो, लेकिन कई वैज्ञानिक इस बात को मानते हैं कि पेड़ आपस में भूमिगत नेटवर्क के जरिये बात करते हैं. हालांकि सभी साइंटिस्ट इससे इत्तेफाक नहीं रखते. चलिए बताते हैं पूरा मामला.


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भूमिगत नेटवर्क से बात करे का दावा


अल्बर्टा विश्वविद्यालय में एक माइकोलॉजिस्ट जस्टिन कार्स्ट को आठवीं क्लास में पढ़ने वाले उनके बेटे ने एक बार बताया कि उसने पाया है कि पेड़ एक दूसरे से भूमिगत नेटवर्क के माध्यम से बात कर सकते हैं. इसके अलावा मिसिसिपी विश्वविद्यालय के उनके सहयोगी जेसन होक्सेमा को "टेड लासो" का एक एपिसोड देखते समय यही अहसास हुआ. जिसमें एक फुटबॉल कोच ने दूसरे को बताया कि जंगल में पेड़ संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा करने के बजाय एक-दूसरे का सहयोग करते हैं.


बाद में हुए रिसर्च से भी इस बात को मिला बल


हाल फिलहाल में हुए कुछ साइंटिफिक रिसर्च ने लोगों की कल्पना को काफी हद तक सच माना है. जैसे- मिट्टी के माध्यम से पोषक तत्वों और सूचनाओं को प्रसारित करने और जंगलों को पनपने में मदद करने के लिए परिकल्पित कवक तंतुओं का एक बुद्धिमान नेटवर्क पेड़ मिलकर विकसित करते हैं. इन्हें इनके कम्यूनिकेशन से जोड़कर देखा गया है. 1990 के दशक के उत्तरार्ध में यह विचार उन अध्ययनों से सामने आया, जिसमें दिखाया गया था कि शर्करा और पोषक तत्व पेड़ों के बीच भूमिगत प्रवाहित हो सकते हैं. कुछ जंगलों में, शोधकर्ताओं ने एक पेड़ की जड़ों से दूसरे पेड़ में कवक का पता लगाया है. इस शोध से वैज्ञानिकों और गैर-वैज्ञानिकों ने समान रूप से भव्य और व्यापक निष्कर्ष निकाले हैं. उन्होंने माना है कि साझा कवक नेटवर्क दुनिया भर के जंगलों में सर्वव्यापी हैं और ये पेड़ों को एक-दूसरे से बात करने में मदद करते हैं. जैसा कि "टेड लासो" पर कोच बियर्ड ने स्पष्ट किया है, कि वे जंगलों को मौलिक रूप से सहकारी स्थान बनाते हैं, जिसमें पेड़ और कवक समान रूप से एकजुट होते हैं.


यहां इस बात से सहमत नहीं दिखे वैज्ञानिक 


वहीं, जैसे-जैसे वुड-वाइड वेब ने प्रसिद्धि प्राप्त की है, इसने वैज्ञानिकों के बीच एक प्रतिक्रिया को भी प्रेरित किया है. प्रकाशित शोध की हालिया समीक्षा में, ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय, ओकानागन के एक जीव विज्ञानी, कार्स्ट, होक्सेमा और मेलानी जोन्स ने इस बात के बहुत कम सबूत पाए कि साझा कवक नेटवर्क पेड़ों को संवाद करने, संसाधनों की अदला-बदली करने या पनपने में मदद करते हैं. दरअसल, तीनों ने कहा, वैज्ञानिकों ने अभी तक यह नहीं दिखाया है कि ये जाले जंगलों में व्यापक या पारिस्थितिक रूप से महत्वपूर्ण हैं.


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