Mystery of vanishing Stars: हाल ही में एक खबर आई थी कि तीन तारे करीब एक घंटे तक आसमान में नजर आए. लेकिन महज एक घंटे के बाद ही हमेशा हमेशा के लिए गायब हो गए. गायब होने के बाद वो तारे कहां चले गए. रहस्य आज भी कायम है. लेकिन तारों के गायब होने का मामला सिर्फ उन तक ही सीमित नहीं है. अब जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक हजारों की संख्या में तारे गायब हो गए हैं. सवाल यह है कि तारों के गायब होने के पीछे का रहस्य क्या है. शोधकर्ताओं के मुताबिक किसी एक वजह को पुख्ता तौर पर जिम्मेदार नहीं बताया जा सकता. 


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कहां गायब हो गए तारे
तारों के गायब होने के मामले में वास्को प्रोजेक्ट के जरिए 1949 से लेकर 2014 के बीच तारों के गायब होने पर शोध किया जा रहा है. अभी तक कुल 15 हजार आसमानी रोशनी के बारे में जानकारी इकट्ठा की गई है. शोधकर्ताओं का कहना है कि तारों में विस्फोट के बाद धीरे धीरे रोशनी मंद पड़ने लगती है. लेकिन वो पूरी तरह से गायब नहीं होते हैं. ऐसा संभव है कि विस्फोट के बाद तारे सुपरनोवा ना बने हों और वे किसी ब्लैक होल में समा गए हों. लेकिन इसकी भी संभावना 9 करोड़ घटनाओं में से सिर्फ एक घटना है. इसके साथ ही दूसरी थ्योरी ग्रेविटेशन लेंसिंग से जुड़ी है, इसमें आसमानी पिंड बहुत दूर चले जाते हैं जिन्हें डिटेक्ट करना आसान नहीं होता. यही नहीं इन तारों के गायब होने के पीछे एस्टेरॉयड भी जिम्मेदार हो सकते हैं.


क्या होते हैं सुपरनोवा


जब कोई तारा अपनी लाइफ पूरा कर चुका होता है तो उसमें जबरदस्त विस्फोट होता है और उसकी वजह से असीमित मात्रा में प्रकाश निकलता है. खास बात यह है कि तारों में इतनी अधिक चमक होती है कि पूरी गैलेक्सी प्रकाश से भर जाती है. यही नहीं सूरज अपनी लाइफटाइम में जितना अधिक प्रकाश देता है उससे अधिक कहीं प्रकाश सुपरनोवा से मिलता है. हाल ही में सुपरनोवा SN 2023 ixf चर्चा में रहा जब 


क्या होते हैं एस्टेरॉयड

एस्टेरॉयड, चट्टान हैं. इनका निर्माण करीब 4.6 बिलियन साल पहले जब सोलर सिस्टम यानी सौर मंडल का निर्माण के दौरान हुआ था. ये मंगल और ज्यूपिटर ग्रह के बीच पाए जाते हैं. नासा के मुताबिक करीब 10 लाख एस्टेरॉटड इस समय मौजूद हैं. ये भी सूर्य के चारों तरफ चक्कर लगाते हैं. कभी सर्किल तो कभी इलिप्टिकल पॉथ को भी फॉलो करते हैं. यही नहीं ये टूट कर धरती की तरफ भी गिरते रहते हैं.