नई दिल्ली: शतरंज (Chess) का नाम सुनते ही आज की पीढ़ी के जेहन में विश्वनाथन आनंद, मैगनस कार्लसन जैसे दिग्गजों का नाम उभर कर आता है. लेकिन एक वक्त था जब बॉबी फिशर (Bobby Fischer) को शतरंज का बादशाह माना जाता था, उन्होंने अपनी काबिलियत का लोहा दुनिया को मनवाया था. अगर शतरंज आज इतना मशहूर खेल बन चुका है. इसके पीछे फिशर के योगदान को नकारा नहीं जा सकता है.


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'द गेम ऑफ द सेंचुरी'
आज से ठीक 64 साल पहले चेस की दुनिया में कुछ ऐसा करिश्मा हुआ था, जिसे आज तक याद किया जाता है. 17 अक्टूबर 1956 को 13 साल के बॉबी फिशर ने इतिहास रच दिया था. अमेरिका के न्यूयॉर्क में खेले गए मुकाबले में बॉबी के सामने थे डोनाल्ड बायर्न (Donald Byrne). फिशर ने शतरंज के इस गेम में क्वीन की कुर्बानी देकर जीत हासिल की, यही वजह है कि इस मुकाबले को 'द गेम ऑफ द सेंचुरी' (The Game of the Century) का नाम दिया गया था. इस गेम को लेकर अब तक कई किताबें लिखी जा चुकी हैं.



बड़ी बहन ने सिखाया था चेस
रॉबर्ट जेम्स फिशर जो बाद में बॉबी फिशर के नाम से मशहूर हुए उनका जन्म अमेरिका के शिकागो शहर में 9 मार्च 1943 को हुआ था. बचपन में बड़ी बहन जॉन ने उन्हें ये खेल खेलना सिखाया. बॉबी के पिता उनके साथ नहीं रहते थे, इसलिए उनकी मां ने ही उन्हें पाल पोस कर बड़ा किया. मां रेजिना फिशर पेशे से नर्स और सामाजिक कार्यकर्ता थीं. चूंकि बॉबी बचपन से आक्रामक स्वभाव के थे इसलिए मां ने उन्हें शतरंज में ध्यान लगाने को कहा. 15 साल की उम्र में बॉबी ग्रैंड मास्टर बन गए जो उस वक्त रिकॉर्ड है.


मौत के बाद हुई अजीबोगरीब घटना
साल 2005 में बॉबी फिशर ने आईसलैंड की नागरिकता हासिल की और वहीं 17 जनवरी 2008 को किडनी फेलियोर की वजह से उनका निधन हो गया था. मौत के 2 साल बाद फिलीपींस की महिला मैरलिन यंग ने दावा किया कि उनकी 9 साल की बेटी जिंकी यंग के पिता बॉबी फिशर हैं, और वो फिशर की जायदाद में हिस्सा चाहती हैं. कोर्ट के आदेश के बाद फिशर के शव को कब्र से निकाला गया और डीएनए टेस्ट के लिए सैंपल लिया गया. बाद में कोर्ट ने मैरलिन यंग के दावे को खारिज करते हुए फैसला दिया कि बॉबी फिशर जिंकी यंग के पिता नहीं है.


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