नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट फैंस मिस्बाह-उल-हक (Misbah-ul-Haq) को अकसर इसलिए याद करते हैं क्योंकि साल 2007 की आईसीसी वर्ल्ड टी-20 के फाइनल मुकाबले में उन्होंने टीम इंडिया की धड़कने थोड़ी देर के लिए रोक दी थी. लेकिन भारत के तत्कालीन कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के एक फैसले ने मिस्बाह के तूफान पर लगाम लगा दी थी. मिस्बाह के एक गलत शॉट ने पाकिस्तान को आईसीसी वर्ल्ड टी-20 ट्रॉफी से महरूम कर दिया था, उन्होंने एक पैडल स्कूप शॉट मारा लेकिन श्रीसंत ने यादगार कैच करते हुए भारत को टूर्नामेंट का चैंपियन बना दिया.



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मिस्बाह भले ही साल 2007 में आईसीसी वर्ल्ड टी-20 खिताब जीतने से चूक गए थे, लेकिन जब साल 2009 में इस खिताब को पाकिस्तान ने जीता तो मिस्बाह इस टीम का हिस्सा थे. मिस्बाह कमाल की बल्लेबाजी करते थे, इसी टैलेंट की बदौलत वो आईसीसी वनडे रैंकिंग में 7वें पोजीशन तक पहुंचने में कामयाब रहे, उन्होंने एक कैलेंडर ईयर में 15 अर्धशतक लगाया था. 2016 में मिस्बाह ने 42 साल और 47 दिन की उम्र में टेस्ट क्रिकेट में शतक लगाया था. 



साल 2010 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सीरीज में उन्हें पाकिस्तान का टेस्ट कैप्टन बनाया गया था. बतौर टेस्ट कप्तान वो बेहद कामयाब रहे और इस दौरान 56 टेस्ट मैचों में पाक टीम को 26 में जीत हासिल हुई, 19 मैचों में हार का सामना करना पड़ा, जबकि एक मैच ड्रॉ रहा. अगस्त 2016 में मिस्बाह की कप्तानी में पाकिस्तान क्रिकेट टीम को पहली बार आईसीसी टेस्ट चैंपियनशिप गदा हासिल हुआ था. इसके अलावा उन्हें राष्ट्रीय वनडे और टी-20 टीम की कप्तानी का भी मौका मिला था.



पाकिस्तानी क्रिकेटर्स को अकसर इस बात के लिए बदनाम किया जाता है कि उनकी अंग्रेजी दुरुस्त नहीं होती, इसके लिए उनकी औसत शिक्षा को दोष दिया जाता है. लेकिन मिस्बाह-उल-हक इस मिथक को तोड़ते नजर आए. उन्होंने बीएससी के बाद एमबीए की पढ़ाई पूरी की इसलिए उन्हें पाकिस्तान के सबसे शिक्षित क्रिकेटरों में गिना जाता है. काफी कम लोग इस बात को जानते हैं कि मिस्बाह पाकिस्तान के मौजूदा पीएम इमरान खान के दूर के रिश्तेदार है. मिस्बाह आज पाक टीम के न सिर्फ कोच हैं बल्कि चीफ सेलेक्टर की भी भूमिका निभा रहे हैं.