Cheteshwar Pujara Statement: भारत के दिग्गज बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा काफी साल से केवल टेस्ट फॉर्मेट में ही खेलते हैं. वह अभी तक टी20 इंटरनेशनल डेब्यू ही नहीं कर पाए हैं. पुजारा अब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी सीरीज का हिस्सा हैं. सीरीज के दूसरे टेस्ट मैच से पहले पुजारा ने गुरुवार को कहा कि वह टेस्ट में प्रासंगिक बने रहने के लिए बल्लेबाजी में लचीलापन लाने की जरूरत को समझ चुके हैं.


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मासिक रूप से मजबूत होने की जरूरत


13 साल से भारतीय टीम के लिए खेल रहे पुजारा अब अपने 100वें टेस्ट की दहलीज पर खड़े हैं. पुजारा ने टीम मैनेजमेंट के साथ चर्चा के बाद अपनी बल्लेबाजी में कुछ नये शॉट जोड़े हैं. पिछले साल पुजारा को श्रीलंका के खिलाफ घरेलू सीरीज के दौरान भारतीय टीम से कुछ समय के लिए बाहर कर दिया गया था. तब दावा किया गया था वह अपने खेल को आगे नहीं बढ़ा पाए जिससे गेंदबाजों पर दबाव आ गया था. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे टेस्ट की पूर्व संध्या पर इसमें हुई मुश्किलों के बारे में पूछने पर पुजारा ने पीटीआई से कहा, ‘निश्चित रूप से यह चुनौतीपूर्ण था, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात है कि आपको मानसिक रूप से मजबूत होने की जरूरत होती है, खुद पर विश्वास रखना होता है.’


'अपने खेल को नहीं बदल सकता'


पुजारा ने कहा, ‘मैं जानता हूं कि मैंने जो कुछ किया है, उसके लिए मुझे पहले 5-7 साल में किस तरह सफलता मिली. मैं अपना खेल नहीं बदल सकता, लेकिन निश्चित रूप से आप अपने खेल में सुधार कर सकते हो और अपने खेल में कुछ चीजें जोड़ सकते हो लेकिन आप अपना पूरा खेल नहीं बदल सकते.’


अलग-अलग फॉर्मेट में खेलने पर बोले पुजारा


35 वर्षीय पुजारा अभी तक 19 शतक और 7000 से अधिक रन बना चुके हैं. फिर भी एक और चुनौती कई फॉर्मेट में खेलने वाले खिलाड़ियों से होती है जिनके पास आक्रामक खेल का एक अलग आयाम है. उन्होंने इस बारे में कहा, ‘हर खिलाड़ी की शैली अलग होती है. इतने वर्षों में मैंने जो सीखा है, वो अपनी मजबूती पर अडिग बने रहना है और आपको इसका सपोर्ट करना चाहिए. मैंने पिछले कुछ साल में कुछ शॉट अपने खेल में जोड़े हैं. एक क्रिकेटर के रूप में आगे बढ़ना जारी रखा है.’ (PTI से इनपुट)


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