नई दिल्ली : जिसने कभी भी क्रिकेट मैच देखे हैं या क्रिकेट को फॉलो किया है, वह अम्पायर बिली बाउडन के नाम से अवश्य वाकिफ होगा. बिली बाउडन अपने असामान्य अम्पायरिंग स्टाइल के लिए जाने जाते हैं. वह अब तक, 20 साल के अपने अम्पायरिंग करियर में 200 वनडे और 84 टेस्ट मैचों में अम्पायरिंग कर चुके हैं. बिली को अपने असामान्य, मनोरंजक मैनरिज्म के लिए जाना जाता है. मिसाल के तौर पर खिलाड़ी को आउट करार देने के लिए वह अपनी उंगली को बेहद ''कुटिल'' तरह से उठाते हैं. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि अपनी उम्र में वह तेज गेंदबाज के रूप में उभर रहे थे. उसी दौरान उन्हें गठिया रोग हो गया.


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लिहाजा उन्हें एक खिलाड़ी के रूप में अपना करियर समाप्त करना पड़ा. क्रिकेट उनका पहला प्रेम था, इसलिए उन्होंने मैदान पर रहने के लिए अम्पायरिंग को चुना. धीरे धीरे अम्पायरिंग का उनका स्टायल, और अपने ही अंदाज में खिलाड़ी को आउट देने के लिए उंगली उठाना लोकप्रिय हो गया.


गौर कीजिए वह आउट देने के लिए कभी इंडेक्स फिंगर का इस्तेमाल नहीं करते, बल्कि क्रुक्ड फिंगर का इस्तेमाल करते हैं. बाउंड्री और सिक्स के लिए बिली के इशारे बेहद मजेदार और मनोरंजक होते हैं. छक्के का इशारा करते हुए बिली मुड़े हुए ढंग से हाथ उठाते हैं और साथ ही एक टांग भी खास अदा में लहराते हुए उठाते हैं. शायद अपने स्टायल से बिली ने अम्पायरिंग में रंग भरने की कोशिश की है. अन्यथा अम्पायरिंग निहायत ही बोरिंग काम माना जाता है. 



बिली ने इस खेल में अपने स्टाइल के कारण कुछ रोचकताएं भी पैदा की हैं. उन्होंने अम्पायरिंग को एक टच देने की कोशिश की है. चौक्के का इशार करते समय चारों दिशाओं में हाथ लहरा लहरा कर संकेत करना, छक्के के लिए हाथों के साथ लहराते हुए एक टांग को उठना, निर्णय को तीसरे अम्पायर के पास भेजने का अलग अंदाज उन्हें खास बनाता है. मजेदार बात है कि वह क्रिकेट के फोरमेट के हिसाब से अपना अंदाज बदलते रहते हैं. यानी टेस्ट, एकदिवसीय और टी 20 हर फोरमेट में आपको अलग अंदाज मिलेगा. 


दो बार ऐसे मौके भी आए जब उन्होंने क्रिकेटरों को रेड कार्ड दिखा दिया. 2005 में ईडन पार्क, ऑकलैंड में न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच टी 20 चल रहा था. मैकग्रा ने काइले मिल्स को अंडरआर्म गेंद फेंकी. इस पर बिली ने रेड कार्ड दिखा दिया. दूसरा मौका अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच मैच का है. 



अफागनिस्तान के विकेट कीपर मोहम्मद शहजाद अनावश्यक रूप से आउट की अपील किये जा रहे थे. नतीजतन बिली ने उन्हें रेड कार्ड दिखा दिया. 2013 में बिली को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल ने अपने पैनल से ड्रॉप कर दिया. 2014 में वह दोबारा पैनल में ले लिए गए. मई 2015 में वेस्ट इंडीज और इंग्लैंड के मैच हुआ मैच उनका अंतिम मैच रहा. इसके बाद उन्हें पैनल से बाहर कर दिया गया. 


अब बिली बाउडन की क्रुक्ड फिंगर मैदान किसी खिलाड़ी को आउट देती दिखाई नहीं देगी. साइमन टफल के बाद वह 200 एकदिवसीय मैचों में अम्पायरिंग करने वाले दूसरे सबसे युवा अम्पायर हैं. वह दुनिया के सातवें अम्पायर हैं जिन्होंने 200 वन डे में अम्पायरिंग की. बिली को इसलिए याद नहीं रखा जाएगा कि उन्होंने कितने मैचों में अम्पायरिंग की बल्कि इसलिए याद रखा जाएगा कि उन्होंने अम्पायरिंग जैसे बोरिंग काम को रोमांचक और मनोरंजनपूर्ण बनाया, अम्पायरिंग को एक स्टाइल दिया.