ये हैं ऑस्ट्रेलिया के छुपे रुस्तम, टीम हारी पर उनके खेल ने जीता हर किसी का दिल
ऑस्ट्रेलिया भले ही भारत से 1-4 से वन डे सीरीज हार गया है, लेकिन उनके लिए जो सबसे अच्छी बात रही है वह थी नाथन कूल्टर नाइल की अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी के रूप में जबरदस्त वापसी.
नई दिल्ली : गेंदबाजों के अच्छे प्रदर्शन के बाद रोहित शर्मा (125) की शतकीय पारी के दम पर भारत ने रविवार को विदर्भ क्रिकेट स्टेडियम में खेले गए सीरीज के पांचवें और आखिरी वनडे मैच में ऑस्ट्रेलिया को सात विकेट से हरा दिया. इसी के साथ मेजबान ने पांच वनडे मैचों की सीरीज पर 4-1 से कब्जा जमाया. इस जीत के बाद भारतीय टीम एक बार फिर आईसीसी वनडे रैंकिंग में पहले स्थान पर आ गई है. बेंगलुरू में खेले गए चौथे मैच में हार के बाद भारत ने पहला स्थान गंवा दिया था.
ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया, लेकिन भारतीय गेंदबाजों ने उसे निर्धारित 50 ओवरों में नौ विकेट के नुकसान पर 242 रनों पर ही सीमित कर दिया. मेजबानों को इस आसान से लक्ष्य को हासिल करने में कोई परेशानी नहीं हुई. रोहित के अलावा अंजिक्य रहाणे (61) के दम पर इस लक्ष्य को 42.5 ओवरों में तीन विकेट खोकर हासिल कर लिया.
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नाथन कूल्टर नाइल की वापसी
ऑस्ट्रेलिया भले ही भारत से 1-4 से वन डे सीरीज हार गया है, लेकिन उनके लिए जो सबसे अच्छी बात रही है वह थी नाथन कूल्टर नाइल की अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी के रूप में जबरदस्त वापसी. लगातार चोटों से जूझ रहे कोल्टर को मिशेल स्टार्क और जोश हेजलवुड की अनुपस्थिति में टीम में शामिल किया गया था. उन्होंने इस पूरी वन डे सीरीज में 25 की औसत से 10 विकेट लिए. इनमें तीन बार विराट कोहली को आउट करना भी शामिल है. टीम में उनके साथी केन रिचर्डसन का मानना है कि टेस्ट टीम में जो चार तेज गेंदबाज होंगे, उनमें कूल्टर को भी जगह मिल सकती है. बेशक कूल्टर ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट नहीं खेली है. यदि इस सीजन में जेएलटी शील्ड मैचों में 29 वर्षीय गेंदबाज कूल्टर सफल रहते हैं तो उनका टेस्ट डेब्यू तय है.
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मैक्सवेल और वेड को रन बनाने होंगे
टेस्ट टीम के छठे और सातवें नंबर के बल्लेबाज ग्लैन मैक्सवेल और मैथ्यू वेड को शील्ड मैचों में पर्याप्त रन बनाने होंगे, तभी उनकी टीम ऑस्ट्रेलिया में जगह सुनिश्चित हो सकती है. टीम इंडिया के खिलाफ ये दोनों ही बल्लेबाज बुरी तरह फ्लॉप रहे हैं. यदि ये एशेज सीरीज में टीम में शामिल होना चाहते हैं तो इन्हें शील्ड क्रिकेट में बड़े स्कोर बनाने होंगे. इंडिया के साथ वन डे सीरीज में दोनों ही खिलाड़ियों को ड्रॉप किया गया. मैक्सवेल के लिए हिल्टन कार्टराइट और स्टोनिस लगातार चुनौतियां पेश कर रहे हैं. और यदि वेड को पीटर नेविल और एलेक्स केरी से कड़ी चुनौती मिल रही है.
स्टोइनिस अंतरराष्ट्रीय समर सीजन के लिए तैयार हैं
ऑस्ट्रेलिया के लिए इस वन डे सीरीज में एक और सकारात्मक बात रही मार्कस स्टोइनिस की ऑल राउंड परफोर्मेंस. स्टोइनिस ने यह साबित किया कि वह अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरे उतरने वाले खिलाड़ी हैं. इस साल के शुरू में भी स्टोइनिस ने न्यूजीलैंड के खिलाफ शानदार शतक बनाया था. इसके बाद ही स्टोइनिस का नाम ऑस्ट्रेलियाई टीम में नंबर 6 के लिए तय किया गया. उम्मीद है कि समर सीजन में वह ऑस्ट्रेलिया के लिए उपयोगी साबित होंगे और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाएंगे.
फिंच अहम हैं ऑस्ट्रेलिया के लिए
सन 2013 में ऑस्ट्रेलिया की तरफ से डेब्यू करने वाले एरोन फिंच एक विस्फोटक बल्लेबाज हैं. लेकिन इस साल के शुरू में उन्हें लगातार कम स्कोर बनाने के कारण टीम से बाहर बैठना पड़ा. लेकिन टीम इंडिया के खिलाफ फिंच ने एक बार फिर अपनी अहमियत साबित की है. चोट की वजह से पहले दो मैच न खेलने बाद फिंच अगले मैचों के लिए फिट होकर टीम में आए. इन तीन मैचों में फिंच ने 124, 94 और 32 रन बनाए. उनके स्कोर की बदौलत ही ऑस्ट्रेलिया को मजबूत शुरूआत मिली. डेविड वॉर्नर के साथ उनकी कैमिस्ट्री भी जोरदार है. इन दोनों ने बाद के तीन मैचों में 70, 231 और 66 रनों की पार्टरशिप पहले विकेट के लिए की. इससे पता चलता है कि फिंच 2019 के वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलिया के लिए कितने अहम हैं.
नंबर 4 स्पॉट अहम होगा
जनवरी में टीम से बाहर हुए जार्ज बैली के बाद यह उम्मीद की जा रही थी कि ट्रेविस हेड इस खाली जगह को भर देंगे, लेकिन भारत के खिलाफ इस सीरीज में हेड 24 की औसत से महज 119 रन बना पाए. जाहिर है ऑस्ट्रेलिया के चयनकर्ता इस पर गंभीरता से विचार करेंगे और टीम के चयन पर गौर करेंगे. जनवरी में इंग्लैंड के खिलाफ होने वाली सीरीज के लिए चौथे नंबर पर कौन होगा इसका फैसला किया जाएगा. टीम इंडिया के साथ पीटर हैंड्सकोंब को चौथे नंबर पर उतारा गया था. लेकिन हैंड्सकोंब को अभी टीम में जगह बनाने लिए कड़ी मेहनत करनी होगी. लिहाजा ऑस्ट्रेलिया के सामने सबसे बड़ा सिरदर्द यही होगा कि विश्व कप से पहले चौथे नबर के लिए किस पर भरोसा किया जाए. यह इसलिए भी जरूरी है कि विश्व कप के महज 18 माह बचे हैं.