नई दिल्ली: टीम इंडिया के दिग्गज स्पिन गेंदबाज हरभजन सिंह ने हाल ही में क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी है. भज्जी ने लंबे समय तक टीम इंडिया को क्रिकेट में बड़ी-बड़ी कामयाबी दिलाईं. हरभजन ने अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत सौरव गांगुली की कप्तानी में की थी. जबकि वो महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में अपने करियर के सबसे बेहतरीन दौर में थे. लेकिन रिटायरमेंट के तुरंत बाद भज्जी ने गांगुली और धोनी की कप्तानी में एक बड़ा अंतर बताया है. 


भज्जी ने इस कप्तान को बताया बेहतर 


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हरजभन सिंह ने अपना ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट गांगुली और धोनी की कप्तानी में खेला है और जब उनसे उनके करियर के संदर्भ में दोनों की तुलना के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘यह मेरे लिए एक आसान सा जवाब है. गांगुली ने मुझे अपने करियर के उस मोड़ पर पकड़ रखा था जब मैं ‘कोई नहीं था’. लेकिन जब धोनी कप्तान बने तो मैं ‘कोई’ था. इसलिए आपको इस बड़े अंतर को समझने की जरुरत है.’


उन्होंने कहा, ‘दादा (गांगुली) जानते थे कि मुझमें हुनर है लेकिन यह नहीं पता था कि मैं प्रदर्शन करूंगा या नहीं. धोनी के मामले में, उन्हें पता था कि मैंने अच्छा प्रदर्शन किया है. जीवन और पेशे में, आपको उस व्यक्ति की आवश्यकता है, जो आपको सही समय पर मार्गदर्शन करे और दादा मेरे लिए वह व्यक्ति थे.’ भज्जी के इस जवाब से एक बात तो साफ है कि वो धोनी से ज्यादा बेहतर कप्तान सौरव गांगुली को मानते हैं. 


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गांगुली ने भी दी बधाई


बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने भी संन्यास लेने वाले हरभजन सिंह को बधाई देते हुए कहा कि इस अनुभवी ऑफ स्पिनर के एक पहलू ‘प्रदर्शन करने की भूख’ ने उन्हें सबसे ज्यादा प्रेरित किया. बीसीसीआई के बयान में गांगुली ने कहा, ‘मैं हरभजन सिंह को शानदार करियर के लिए बधाई देता हूं. उन्होंने अपनी जिंदगी में कई चुनौतियों का सामना किया है लेकिन भज्जी हार मानने वालों में नहीं है. उन्होंने कई सारी बाधाओं को पार किया और कई झटकों को पीछे छोड़कर हर बार उठ खड़े हुए. मुझे उनके बारे में सबसे ज्यादा जिस चीज ने प्रेरित किया, वो उनकी प्रदर्शन करने की भूख थी.’


उन्होंने कहा, ‘उनकी ताकत उनकी हिम्मत थी. वह हमेशा ही जुनूनी रहते थे और उनके अपार आत्मविश्वास का मतलब था कि वह कभी भी चुनौती से कतराते नहीं थे. वह हमेशा ड्रेसिंग रूम का माहौल हल्का रखते और यह सचमुच काफी महत्वपूर्ण होता है.’


शानदार रहा करियर


41 वर्षीय खिलाड़ी ने 103 टेस्ट, 236 वनडे और 28 टी20 खेले. इन मैचों में उन्होंने 417, 269 और 25 विकेट झटके. कुल विकेटों के मामले में अनिल कुंबले के 953 विकेट के बाद भारत के लिए 707 अंतर्राष्ट्रीय विकेट लेने वाले दूसरे खिलाड़ी हैं. उन्होंने बल्ले से भी टीम के लिए योगदान दिया, जिसमें दो शतक और नौ अर्धशतक के साथ 3,569 रन बनाए. हरभजन 2001 में ईडन गार्डन्स में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में हैट्रिक लेने वाले पहले भारतीय बने थे. उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से संन्यास की घोषणा की.