नई दिल्ली: इंडियन टी20 लीग (आईपीएल) में बेंगलुरू, दिल्ली और राजस्थान की टीमों के कोचिंग स्टाफ में सौरव गांगुली, गैरी कर्स्टन, रिकी पोंटिंग, शेन वार्न और आशीष नेहरा जैसे पूर्व क्रिकेटर हैं. इसके बावजूद ये टीमें आईपीएल-12 (IPL-12) में एक भी जीत दर्ज नहीं कर सकी हैं. इससे टीम के खिलाड़ियों के साथ-साथ कोचिंग स्टाफ पर भी सवाल उठ रहे हैं. हालांकि, दिल्ली के कप्तान रह चुके विजय दहिया (Vijay Dahiya) ने ऐसे सवालों को खारिज कर दिया है. विजय दहिया दो टेस्ट और 19 वनडे मैच खेल चुके हैं. 

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इस समय बेंगलुरू (Royal Challengers) के पास मु़ख्य कोच के रूप में गैरी कर्स्टन (Gary Kirsten) और गेंदबाजी कोच के रूप में आशीष नेहरा (Ashish Nehra) हैं. इसी तरह दिल्ली (Capitals) कैपिटल्स की टीम में मुख्य कोच के रूप में रिकी पोंटिंग (Ricky Ponting) और सलाहकार के रूप में सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) हैं. क्रिकेट के दो महान कप्तानों के होने के बावजूद टीम अपनी छाप छोड़ने में असफल रही हैं. 

कोलकाता नाइट राइडर्स के पूर्व सहायक कोच विजय दहिया ने इस बारे में कहा कि अनुभवी पूर्व क्रिकेटरों का मार्गदर्शन यकीनन टीम को मदद करता है. लेकिन अंत में टीम का मार्गदर्शन करने के लिए कप्तान की भूमिका महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा, ‘यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि क्या वे खिलाड़ियों को संदेश देने में सक्षम हैं और यदि वह विश्वास के लायक है. यदि आप बेंगललुरू और कोलकाता के बीच हुए मैच को देखें तो यह अंतिम 13 गेंदों में किधर भी जा सकता था. अगर कोई असाधारण पारी खेलता है तो आप इसमें कुछ नहीं कर सकते.’ 

45 साल के विजय दहिया ने कहा, ‘मैंने लोगों को इस बारे में बात करते हुए देखा है. यदि कोई गेंदबाज थोड़ा संघर्ष कर रहा है या कोई बल्लेबाज थोड़ा परेशान दिख रहा है तो आप इसे समझ सकते हैं. मुझे याद है कि कई बार हम बाहर से सिग्नल देने के लिए टाइम-आउट लेते थे. लेकिन दुर्भाग्य से जब चीजें आपके लिए सही नहीं होती हैं तो सपोर्ट स्टाफ ही दिखता है.’ 

क्या खेल की तेजी कप्तानों के लिए योजनाओं को अंजाम देना मुश्किल बनाती है? इस सवाल पर दहिया ने कहा, ‘अच्छे कप्तान हमेशा खेल में एक या दो ओवर आगे के बारे में सोचते हैं. लेकिन यह एक तेजतर्रार खेल है और कई बार आप आगे की योजना नहीं बना सकते. चीजें एक ओवर में बदल जाती हैं. कई बार एक खराब ओवर, कैच छूटने से सारा प्लान बदल जाता है. इसलिए कोच सिर्फ गाइड कर सकते हैं. अंतत: खिलाड़ी को ही मैदान पर प्रदर्शन करना होता है. आप (सपोर्ट स्टाफ) दो बार मैदान पर जाकर खिलाड़ियों से बात कर सकते हैं. लेकिन बाकी का समय तो खिलाड़ियों का ही है. उन्हें ही खेलना होता है.’

(आईएएनएस)