नई दिल्ली: श्रीलंका और भारत के बीच मोहली में दूसरे वन डे के अंतिम पलों में लाहिरू थिरुमाने और एंजेले मैथ्यूज बल्लेबाजी कर रहे थे. मैथ्यूज दूसरा रन लेने के लिए तेजी से स्ट्राइकिंग ऐंड की तरफ दौड़ रहे थे, ताकि क्रीज तक पहुंच जाएं. महेंद्र सिंह धोनी, गेंद थर्ड मैन की तरफ से फेंकी जा रही थ्रो को पकड़ने के लिए तैयार थे, लेकिन अचानक उन्हें अहसास हुआ कि गेंद सीधे स्टंप से टकराएगी. बाद में गेंद स्टंप से टकरा भी गई. इसके साथ ही लाल बत्ती जल गई जो इशारा था कि बल्लेबाज आउट हो गया है.


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इसी के साथ भीड़ में जबरदस्त उत्साह दिखाई पड़ा, लेकिन स्केवयर लेग पर खड़े अंपायर ने इस मामले में टीवी अंपायर की मदद लेना जरूरी समझा. क्योंकि इसे नए 'फेक फील्डिंग' नियम का उल्लंघन माना जा रहा था. 


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2017 से लागू इस नियम में पुराने नियमों को बदल दिया गया है. आईसीसी ने एमसीसी से नए नियम को लागू करने की सिफारिश की थी. नए नियम के अनुसार, यदि कोई फील्डर गेंद को फेंकने का अभिनय करता है, जब गेंद उसके हाथ में नहीं है तो बल्लेबाजी करने वाली टीम को 5 रन दिए जाएंगे. लेकिन जब टीवी अंपायर की मदद ली गई तो धोनी ने न तो गेंद को पकड़ने का अभिनय किया और न ही बल्लेबाज को रन लेने में किसी तरह की बाधा पहुंचाई थी. 


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बता दें कि एमसीसी के 41.5 कानून में यह कहा गया है कि, यह जानबूझकर बल्लेबाज का ध्यान भंग करना, उसे धोखा देना या बल्लेबाज को बाधा पहुंचाना माना जाएगा. इस क्लोज के अनुसार, किसी भी फील्डर के लिए यह अनुचित होगा कि वह जानबूझकर शब्दों के द्वारा, या अपने एक्शन के द्वारा बल्लेबाज का ध्यान भंग करना या उसे बाधित करना माना जाएगा. 


फेक फील्डिंग पर बल्लेबाजी करने वाली टीम को 5 रन मिलते हैं (Screen Grab)

इस नियम के उल्लंघन का पहला मामला सितंबर में देखने को मिला जब क्वीनलैंड के मार्नस लबासुचग्ने को ऑस्ट्रेलियन बल्लेबाज पारराम उप्पल को परेशान करने का दोषी पाया गया. परिणामस्वरूप क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया को 5 रन दिए गए.


पिछले महीने भारत और श्रीलंका के बीच पहले टेस्ट मैच में लंका के कप्तान दिनेश चांडीमल इस नियम के दंड से उस समय बच गए जब उन्होंने गेंद फेंकने का नाटक किया जबकि गेंद उनसे मिस हो गई थी.