गजब जज्बा: पैरों से धनुष उठाकर मुंह से चला दिया तीर, शीतल देवी का निशाना देख हैरान रह गए लोग
Sheetal Devi: 16 साल की शीतल के जन्म से ही दोनों हाथ नहीं थे. वह बर्थ के साथ ही फोकोमेलिया नामक बीमारी की चपेट में थीं. इस बीमारी में शरीर के अंग पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाते हैं. शीतल ने इस बीमारी के आगे हिम्मत नहीं हारी और उन्होंने तीरंदाजी में अपना सुनहरा करियर बनाया.
पैरा तीरंदाज शीतल देवी ने महज 17 साल की उम्र में अपने प्रदर्शन से पूरी दुनिया को चौंका दिया है. शीतल देवी ने दर्शकों को चकित करते हुए पेरिस पैरालिंपिक में डेब्यू करते हुए अपने असाधारण खेल से फैंस को प्रभावित किया है. शीतल देवी ने महिलाओं की व्यक्तिगत कंपाउंड तीरंदाजी के क्वालीफिकेशन दौर में शानदार प्रदर्शन करते हुए 698 का पिछला वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ा और संभावित 720 में से 703 अंक हासिल कर दूसरा स्थान हासिल किया. पेरिस पैरालिंपिक में महिलाओं की तीरंदाजी स्पर्धा के प्री क्वार्टर फाइनल में शीतल देवी का सामना चिली की मारियाना जुनिगा से हुआ. हालांकि शीतल देवी को इस मुकाबले में सिर्फ 1 प्वॉइंट से हार का सामना करना पड़ा. शीतल देवी चिली की जुनिगा मारियाना से 137-138 से हार गईं. इतने कम अंतर के कारण वह नॉकआउट चरण में नहीं पहुंच पाईं.
शीतल देवी का निशाना देख हैरान रह गए लोग
शीतल भारत की सबसे बड़ी पदक दावेदारों में से एक थीं, जिन्होंने पिछले साल हांग्जो में एशियाई पैरा खेलों में तीन पदक हासिल किए थे, जिनमें व्यक्तिगत और मिश्रित टीम कम्पाउंड प्रतियोगिता में दो स्वर्ण पदक और युगल कम्पाउंड प्रतियोगिता में एक रजत पदक शामिल थे. सोशल मीडिया पर शीतल देवी का एक वीडियो जमकर वायरल हो रहा है. इस वीडियो में शीतल देवी पैरों से धनुष उठाकर मुंह से तीर चला रही हैं. शीतल देवी ने इसके बाद अपने निशाने से भी फैंस के होश उड़ा दिए. पैरों से तीरंदाजी करने के बावजूद शीतल देवी बिल्कुल सटीक निशाना लगाती हैं. शीतल देवी का ये अंदाज फैंस को बहुत पसंद रहा है और सोशल मीडिया पर उनकी खूब तारीफ की जा रही है.
किसान परिवार में जन्मी शीतल देवी
जन्मजात विकार फोकोमेलिया के साथ जन्मी 17 वर्षीय भारतीय तीरंदाज शीतल देवी ने कंपाउंड धनुष से तीर चलाने के लिए अपने पैरों, कंधे और जबड़े का उपयोग करके सभी को प्रभावित किया है. शीतल देवी की उपलब्धियों में एशियाई पैरा गेम्स 2023 में गोल्ड मेडल और पैरा-तीरंदाजी विश्व चैम्पियनशिप 2023 में सिल्वर मेडल शामिल है, जिससे वह पेरिस पैरालिंपिक के लिए क्वालीफाई कर सकीं. जम्मू जिले के एक छोटे से गांव में एक किसान परिवार में जन्मी शीतल देवी ने साल 2022 तक तीरंदाजी का सामना नहीं किया था. जम्मू कश्मीर के एक करीब परिवार में जन्मीं इस बेटी का जीवन बचपन से ही परेशानियों से भरा रहा है.
जन्म से ही दोनों हाथ नहीं
16 साल की शीतल के जन्म से ही दोनों हाथ नहीं थे. वह बर्थ के साथ ही फोकोमेलिया नामक बीमारी की चपेट में थीं. इस बीमारी में शरीर के अंग पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाते हैं. शीतल ने इस बीमारी के आगे हिम्मत नहीं हारी और उन्होंने तीरंदाजी में अपना सुनहरा करियर बनाया. बता दें कि शीतल बिना हाथों के सिर्फ दांतों और पैर से तीरंदाजी करती हैं. वह अचूक निशाना भेदकर कई मेडल अपने नाम कर चुकी हैं. शीतल ऐसा करने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी हैं. साथ ही इंटरनेशनल लेवल पर बिना हाथों के कम्पीट करने वाली भी वह पहली तीरंदाज हैं. शीतल देवी का इस खेल से परिचय कटरा में श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के खेल परिसर के माध्यम से हुआ, जहां उनकी मुलाकात उनके कोच अभिलाषा चौधरी और कुलदीप वेदवान से हुई.