कोलकाता: पश्चिम बंगाल के सत्यरूप सिद्धांत ने गुरुवार (16 जनवरी) को माउंट सिडेल को फतह कर इतिहास रच दिया है. वे सात पर्वतों और सात ज्वालामुखी फतह करने वाले सबसे कम उम्र के शख्स बन गए हैं. सबसे कम उम्र में सात पर्वत शिखरों और सात ज्वालामुखी पर्वतों को फतह करने वाले पर्वतारोही के तौर पर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में उनका नाम शामिल किया जाएगा.  


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सत्यरूप ने गुरुवार को भारतीय समय के अनुसार सुबह 6.28 मिनट पर सातवें ज्वालामुखी पर्वत माउंट सिडले को फतह किया. माउंट सिडले की ऊंचाई करीब 4285 मीटर है. सत्यरूप ने इसकी चोटी पर पहुंचकर तिरंगा फहराकर राष्ट्रगीत गाया और केक काटकर अपनी शानदार उपलब्धि का जश्न मनाया. सातवें ज्वालामुखी पर्वत माउंट सिडले को फतह करने से पहले ही गिनीज बुक में नाम दर्ज कराने की ऑनलाइन एप्लिकेशन स्वीकार कर ली गई है. सत्यरूप सिद्धांत विश्व के सात पर्वतों और सात ज्वालामुखी पर्वतों पर तिरंगा फहराने वाले पहले भारतीय भी हैं. 

इससे पहले सातों महाद्वीपों की सात चोटियों और सात ज्वालामुखी पर्वतों को सबसे कम उम्र में फतह करने का रिकॉर्ड ऑस्ट्रेलिया के पर्वतारोही डेनियल बुल के नाम था. डेनियल बुल ने 36 साल 157 दिन की उम्र में यह उपलब्धि हासिल की थी. सत्यरूप ने 35 साल 9 महीने में यह उपलब्धि हासिल की है. सेवन समिट विजय के लक्ष्य के साथ सत्यरूप ने 30 नवंबर 2017 को अंटार्कटिका में माउंट विन्सन मैसिफ पर चढ़ाई कर अपने मिशन के लिए यात्रा शुरू की थी.

सत्यरूप अब तक जिन पर्वत शिखरों पर तिरंगा फहरा चुके हैं, उनमें अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो, रूस में यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्बरस, अर्जेंटीना में स्थित दक्षिण अमेरिका की सबसे ऊंची चोटी अकाकागुआ, नेपाल में एशिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट, ऑस्ट्रेलिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट कोजिअस्को और अंटाकर्टिका की सबसे ऊंची चोटी माउंट विन्सनमैसिफ शामिल हैं. 

सत्यरूप सिद्धांत सात ज्वालामुखी पर्वतों की भी चढ़ाई कर चुके हैं. वे दक्षिण अमेरिका के सबसे ऊंचे ज्वालामुखी पर्वत ओजोस डेल सालाडो की भी चढ़ाई पूरी कर चुके हैं. ईरान में माउंट दामावंद, उत्तरी अमेरिका के मैक्सिको में स्थित सबसे ऊंचे ज्वालामुखी माउंट पिको डे ओरिजाबा और अंटाकर्टिका की चढ़ाई कर चुके हैं. 

सत्यरूप बीटेक की डिग्री लेेेेने केे बाद बेंगलुरु में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर 2015 से सोल्यूशंस आर्किटेक्ट के रूप में काम कर रहे हैं. बचपन में सत्यरूप अस्थमा के कारण इनहेलर के बिना 100 मीटर चलने में भी हांफ जाते थे, लेकिन उनके मन में अपनी इस कमजोरी से पार पाने का जुनून था. सत्यरूप ने खुद को पर्वतारोहण के लिए तैयार करने के लिए 7 साल तक कड़ी ट्रेनिंग की थी. 

(आईएएनएस)