नई दिल्ली : गौतम गंभीर और ईशांत शर्मा जैसे अनुभवी खिलाड़ियों की मौजूदगी में नितीश राणा की अगुवाई वाली दिल्ली की टीम रणजी ट्रॉफी के अपने पहले मैच में सोमवार (12 नवंबर) को यहां हिमाचल प्रदेश पर जीत के प्रबल दावेदार के रूप में शुरुआत कर चुकी है. मैच दिल्ली के फिरोजशाह कोटला स्टेडियम में खेला जा रहा है. हाल ही में रणजी की कप्तानी छोड़ चुके गौतम गंभीर मैच के पहले ही दिन आउट होने पर नाराज हो गए हैं. 


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रणजी मैच के दौरान अंपायर के आउट देने पर गौतम गंभीर ने अपनी नाराजगी जाहिर की है. मैच के पहले दिन फिरोजशाह कोटला मैदान पर जब गंभीर 44 रन बनाकर खेल रहे थे तो उन्हें आउट करार दिया गया. मयंक डागर की एक गेंद गंभीर के ग्लव्स को छूकर लेग साइड की तरफ गई. गेंद हवा में उछली और प्रियांशु खंडूरी ने कैच कर लिया. 


प्रियांशु फार्वर्ड शार्ट लेग पर खड़े थे. अंपायर ने उन्हें आउट दिया तो गंभीर ने अंपायर को भी यह समझाने की कोशिश की कि गेंद उनके ग्लव्स को छूकर नहीं बल्कि उनके कंधे को छूकर गई है. इससे पहले दिल्ली ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी का फैसला किया. हितेन दलाल और गौतम गंभीर ओपन करने आए थे.


कुछ दिन पहले ही दिल्ली के क्रिकेटर गौतम गंभीर ने ईडन गार्डन पर पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दी द्वारा वेस्ट इंडीज के खिलाफ पहले टी-20 में रिंग बजाए जाने पर बीसीसी आई की कड़ी आलोचना की थी. उन्होंने बीसीसीआई की जीरो टॉलरेंस पालिसी पर भी सवाल उठाए.



बता दें कि गौतम गंभीर और ईशांत शर्मा अभी अपने करियर में दो विपरीत राहों पर हैं. ईशांत के लिए रणजी मैच आगे की कड़ी चुनौतियों से पहले मैच अभ्यास का जरिया है. इस बार वह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट श्रृंखला से पहले अपनी मैच फिटनेस का आकलन करेंगे. गंभीर अपने करियर के अवसान पर हैं जहां वह एक बार में केवल एक मैच पर ध्यान दे रहे हैं और बहुत आगे के बारे में नहीं सोच रहे हैं. 


कप्तानी छोड़ने के बाद गंभीर निश्चित तौर पर राणा पर निगाह रखेंगे जो पहली बार सीनियर टीम की अगुवाई कर रहे हैं. उन्हें पहले दो मैचों के लिए कप्तान बनाया गया है. दिल्ली की इस टीम की औसत उम्र 25 साल है और उनके पास विजय हजारे ट्रॉफी के प्रदर्शन को दोहराने का मौका है जहां वह फाइनल में पहुंची थी. हिमाचल की टीम अपने शीर्ष क्रम के बल्लेबाज प्रशांत चोपड़ा, निखिल गंगटा और विकेटकीपर बल्लेबाज अंकुश बैन्स पर निर्भर है. गेंदबाजी हिमाचल के लिए समस्या है. श्रेष्ठ निर्मोही, पंकज जायसवाल और ऋषि धवन अभी तक प्रभाव नहीं छोड़ पाए हैं.