नई दिल्ली : टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी अपनी टीम के लिए कितनी अहमियत रखते हैं, इसका अंदाजा उन्होंने आज अपने आलोचकों और फैंस दोनों को करा दिया. धर्मशाला के मैदान में जब ताश के पत्तों की तरह टीम इंडिया ढह रही थी, तब अकेले धोनी थे, जब वह एक तरफ अकेले मजबूती से खड़े थे. इस सबसे कम स्कोर वाले मैच में धोनी ने ही अकेले आधे रन अपनी टीम के लिए बना दिए.


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धोनी ने इस मैच में 87 गेंदों में 65 रनों की पारी खेली. इस पारी के दौरान उन्होंने 10 चौके और 2 आसमानी छक्के भी लगाए. वहीं पूरी टीम 112 रनों पर आउट हो गई. अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर धोनी भी दूसरे बल्लेबाजों की तरह जल्दी आउट हो जाते तो टीम का स्कोर क्या होता. टीम के चार बल्लेबाज शून्य पर आउट हो गए.


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इस पारी के दौरान एक मौका ऐसा भी आया जब धोनी ने ये बता दिया कि उनका अनुभव उनकी टीम के लिए कितना जरूरी है. 32वें ओवर में धोनी 67 गेंदों पर 40 रन बनाकर खेल रहे थे, स्ट्राइकिंग एंड पर खड़े थे जसप्रीत बुमराह. उसी समय पाथीराना की एक बॉल पर बुमराह को अंपायर ने एलबीडब्ल्यू आउट करार दे दिया. मजे की बात ये है कि अंपायर बुमराह को आउट करने के लिए उंगली उठा भी नहीं पाए थे कि धोनी ने इशारे से डीआरएस ले लिया. हालांकि नियम ये है कि डीअारएस या तो कप्तान लेता है कि आउट दिए जाने वाला खिलाड़ी.



धोनी ने एक भी पल गंवाए फैसले को रिव्यू के लिए भेज दिया. उन्होंने नॉन स्ट्राइक एंड से खड़े होकर ही भांप लिया कि अंपायर ने गलत फैसला दिया है. तीसरे अंपायर ने अपने फैसले में बुमराह को नॉटआउट करार दिया. हालांकि बुमराह इसके बाद कोई बड़ा फायदा नहीं उठा सके. लेकिन वह धोनी के साथ खड़े रहे. उन्होंने 15 बॉल खेलीं. धोनी ने अपने खाते में 25 रन और जोड़कर भारतीय टीम के स्कोर को 100 रन के पार पहुंचाया.