World Cup 2019: भारत करेगा पाकिस्तान का बायकॉट? ऑस्ट्रेलिया और विंडीज कर चुके हैं ऐसा
अभी यह मांग हो रही है कि भारत को पाकिस्तान का बहिष्कार करना चाहिए. इतिहास यह है कि श्रीलंका का बायकॉट रोकने के लिए भारत-पाकिस्तान 1996 में ज्वाइंट टीमें बनाकर खेल चुकी हैं.
नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर के पुलवामा अटैक (Pulwama Terror Attack) के बाद भारत में यह मांग तेज हो रही है कि उसे पाकिस्तान का हर स्तर पर बायकॉट करना चाहिए, जिससे वह दुनिया में अलग-थलग पड़ जाए. इस मांग में विश्व कप (World Cup 2019) में पाकिस्तान से मैच का बायकॉट भी शामिल है. इस मांग को सोशल मीडिया पर काफी समर्थन भी मिल रहा है. लेकिन क्या भारत ऐसा करेगा? यकीनन, इस बात का अभी ‘हां या ना’ में जवाब नहीं दिया जा सकता. हां, इतिहास इस बात का गवाह है कि अपने सिद्धांतों के लिए ना सिर्फ भारत, बल्कि दुनिया के कई अन्य देश भी ओलंपिक से लेकर विश्व कप तक का बहिष्कार करते रहे हैं. इसलिए अगर भारत ऐसा कोई निर्णय लेता है तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए.
भारत और पाकिस्तान के क्रिकेट संबंधों की बात करें तो दोनों ने द्विपक्षीय सीरीज 11 साल से नहीं खेली है. हालांकि, ये दोनों देश उन टूर्नामेंट में एकसाथ हिस्सा लेते हैं, जिसका आयोजक आईसीसी (इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल) या एसीसी (एशियन क्रिकेट काउंसिल) हों. इंग्लैंड में 30 मई से होने वाले विश्व कप का आयोजक भी आईसीसी (ICC) ही है. इसलिए पहली नजर में माना जा रहा है कि भारत इस टूर्नामेंट से पाकिस्तान के खिलाफ खेलेगा. विश्व कप में दोनों टीमों का मैच 16 जून को होना है.
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने इस बारे में अभी कोई संकेत नहीं दिए हैं कि वह विश्व कप में पाकिस्तान से मैच ना खेलने पर कोई विचार कर रहा है. लेकिन उस पर इसके लिए दबाव बन रहा है. देश के सबसे पुराने क्रिकेट संगठन, क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया ने बीसीसीआई से मांग की है कि वह पाकिस्तान का विश्व कप में बहिष्कार करे. मुंबई के इस क्लब के अलावा सोशल मीडिया पर हजारों लोगों ने इस तरह की मांग की है. ऐसी मांगों पर क्या निर्णय होगा, यह तो अभी पता नहीं. लेकिन हम आपको यहां बता रहे हैं कि ऐसे तनाव होने पर कई देश एकदूसरे का बायकॉट कर चुके हैं. दूसरी ओर, कुछ ऐसी भी मिसालें हैं, जहां दो दुश्मन देशों ने खेलों को आपसी तनाव कम करने का जरिया बनाया.
1. जब भारत ने फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को वॉकओवर दे दिया
भारत ने पाकिस्तान का अब तक किसी बड़े इवेंट में बायकॉट नहीं किया है. लेकिन उसने दिखाया है कि वह अपने सिद्धातों और नीतियों से समझौता नहीं करता है. बात 1974 की है. भारत उस साल डेविस कप (टेनिस) के फाइनल में पहुंचा. वह पहली बार इस टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचा था. दूसरी ओर से दक्षिण अफ्रीका ने फाइनल में प्रवेश किया. भारत ने उस वक्त रंगभेद नीति के विरोधस्वरूप दक्षिण अफ्रीका से संबंध तोड़ रखे थे. भारत ने अपनी इस नीति को खेल के मैदान पर भी उतारा और दक्षिण अफ्रीका से नहीं खेलने का फैसला लिया. उसने दक्षिण अफ्रीका को वॉकओवर दे दिया. इस तरह भारत ने टेनिस में अपना सबसे बड़ा खिताब जीतने का मौका सिर्फ इसलिए छोड़ दिया क्योंकि वह अपनी नीतियों से समझौता नहीं करना चाहता.
2. 66 देशों ने किया था मॉस्को ओलंपिक का बायकॉट
खेल जगत में संख्या और प्रभाव के लिहाज से मॉस्को ओलंपिक के बायकॉट को सबसे बड़ा कहा जा सकता है. 1980 में तत्कालीन सोवियत संघ (रूस) में हुए इस ओलंपिक का अमेरिका समेत 66 देशों ने बहिष्कार किया था. दरअसल, जिन दिनों ओलंपिक हो रहे थे, उन्हीं दिनों सोवियत संघ की सेनाएं अफगानिस्तान में मौजूद थीं. बहिष्कार करने वाले अमेरिका समेत विभिन्न देशों का मानना था कि रूस की सेनाएं अफगानिस्तान की सरकार का अपदस्थ करने के लिए विद्रोहियों की मदद कर रही हैं. इसके बाद 1984 में सोवियत संघ समेत 18 देशों ने 1984 में लॉस एंजिल्स (अमेरिका) में हुए ओलंपिक का बहिष्कार किया था.
3. सबसे अधिक बायकॉट का सामना इजरायल ने किया
अगर हम देश के लिहाज से बात करें तो इजरायल को सबसे अधिक बार बायकॉट का सामना करना पड़ा है. अरब के अधिकतर देश अलग-अलग मौकों पर इजरायल से खेलने से इनकार कर चुके हैं. इसका हालिया उदाहरण 2016 में हुए ओलंपिक गेम्स हैं. ब्राजील में हुए इन ओलंपिक में जूडो के दूसरे दौर के मुकाबले में सऊदी अरब की जाउट फाहमी का सामना क्रिस्टीना से होना था. फाहमी ने मुकाबले से पहले आयोजकों को सूचना दी कि वह प्रैक्टिस के दौरान चोटिल हो गई है. इसलिए इस मुकाबले में नहीं उतर सकती.
4. जब श्रीलंका का बायकॉट रोकने को साथ आए भारत-पाकिस्तान
साल 1996 में भारत-पाकिस्तान-श्रीलंका की मेजबान में क्रिकेट विश्व कप खेला गया. श्रीलंका में उन दिनों लिट्टे (LTTE) का आतंक था. ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज ने सुरक्षा कारणों से श्रीलंका में खेलने से इनकार कर दिया. इससे यह आशंका उत्पन्न हो गई कि कुछ और देश भी श्रीलंका में खेलने से इनकार कर सकते हैं. इसके बाद श्रीलंका के सह मेजबान भारत और पाकिस्तान इस मामले को सुलझाने के लिए सामने आए. इन दोनों ने अपनी संयुक्त क्रिकेट टीम बनाई और उसे खेलने के लिए श्रीलंका भेजा. भारत-पाक की ज्वाइंट टीम की कप्तानी मोहम्मद अजहरुद्दीन ने की. ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज की टीमें इसके बावजूद श्रीलंका नहीं गईं. लेकिन ग्रुप की बाकी टीमों ने वहां जाकर अपने मैच खेले.
5. उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया ने बनाई ज्वाइंट टीमें
अभी एक साल पहले ही दक्षिण कोरिया में शीतकालीन ओलंपिक का आयोजन हुआ. हमेशा की तरह मेजबान दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया के बीच तनाव था. अमेरिका इस तनाव में दक्षिण कोरिया की मदद कर रहा था. इससे नाराज उत्तर कोरिया ने अमेरिकी द्वीप में बमबारी कर दी. ऐसा लग रहा था कि शीतकालीन ओलंपिक का सफल आयोजन नहीं हो पाएगा. लेकिन दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया ने खेल को तनाव के बीच में नहीं आने दिया. बल्कि, उन्होंने खेलों का इस्तेमाल तनाव कम करने के लिए किया. इन दोनों देशों ने शीतकालीन ओलंपिक में आइस हॉकी की ज्वाइंट टीम उतारी. इसके बाद एशियन गेम्स में ज्वाइंट मार्चपास्ट भी किया. अब दोनों देश 2032 के ओलंपिक की संयुक्त मेजबानी हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं.