Indian Hockey: हॉकी दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेलों में से एक है. भारत हॉकी में एक बड़ी महाशाक्ति रहा है. भारत की आजादी से पहले खेलों की दुनिया में दबदबा रहा है. भारतीय हॉकी टीम के नाम एक ऐसा रिकॉर्ड दर्ज है, जिसे पाने के लिए दुनिया की दूसरी टीमें तरसकती हैं. पिछले साल टोक्यो ओलंपिक में टीम इंडिया ने ब्रॉन्ज मेडल जीतकर हॉकी में भारत के पुराने इतिहास को लौटाने की कोशिश की है. 


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टीम इंडिया के नाम है ये ओलंपिक में ये रिकॉर्ड 


आजादी से पहले हॉकी (Hockey) में यूरोप का वर्चस्व था, लेकिन ध्यानचंद की अगुवाई में भारत ने धीरे-धीरे हॉकी की दुनिया पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया. भारत के सामने हॉकी में विरोधी टीमें टिक ही नहीं पाती थीं. 20वीं सदी में भारत हॉकी महाशक्ति के रूप में उभरा. हॉकी में भारत वह सूरज बनकर चमका, जिसकी चमक सारी दुनिया ने देखी. भारत ने हॉकी में 1928 में पहली बार ओलंपिक में भाग लिया और गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया. इसके बाद भारतीय टीम साल1928 से साल 1956 तक लगातार 6 बार ओलंपिक चैंपियन बनी.  इसके बाद भारत ने 1964 और 1980 में भी गोल्ड मेडल जीता था. भारत ने ओलंपिक में कुल 8 बार गोल्ड मेडल जीते हैं, जोकि एक रिकॉर्ड है. 


ध्यानचंद ने बनाया चैंपियन 


जिस तरह से क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर हैं, उसी तरह से हॉकी में भारत के भगवान मेजर ध्यानचंद थे. उनकी कप्तानी में भारत ने लगातार तीन ओलंपिक गोल्ड मेडल जीते हैं. उनकी फुर्ती मैदान पर देखते ही बनती थी. वह चीते की फुर्ती से गोल कर देते थे और विरोधी टीमें उनसे खौफ खाती थीं. उन्हें हॉकी का जादूगर भी कहा जाता था. मेजर ध्यानचंद ने अपने करियर में कुल 570 गोल किए जो कि एक रिकॉर्ड है. 


दुनिया को दिए महान खिलाड़ी 


भारतीय हॉकी ने देश और दुनिया को बहुत ही महान खिलाड़ी दिए हैं. इनमें मेजर ध्यानचंद, सीनियर बलबीर सिंह, उधम सिंह और गुरबक्स सिंह शामिल हैं. भारत हॉकी को आज फिर से सुनहरे दौर में लौटने की जरूरत है, जहां सारी दुनिया पर उसका दबदबा था. 


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