Sakshi Malik Retirement : ओलंपिक मेडलिस्ट महिला पहलवान साक्षी मलिक (Sakshi Malik) ने गुरुवार को कुश्ती से संन्यास का ऐलान कर किया. उन्होंने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस में रोते-रोते ये फैसला किया. साक्षी ने कहा कि वह कुश्ती को त्याग रही हैं. ये घोषणा उन्होंने संजय सिंह 'बबलू' के रेसलिंग फेडरेशन के अध्यक्ष (WFI) पद का चुनाव जीतने के थोड़ी देर बाद ही कर दी.


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संजय सिंह बबलू बने WFI के नए चीफ


भारतीय कुश्ती संघ (WFI) को नया अध्यक्ष गुरुवार को मिल गया. वाराणसी कुश्ती संघ के चीफ संजय सिंह 'बबलू' (Sanjay Singh) को ये बड़ी जिम्मेदारी मिली, जब उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स-2010 की गोल्ड मेडलिस्ट रेसलर अनीता श्योरण को हराया. संजय सिंह को बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह (Brijbhushan Sharan Singh) का करीबी माना जाता है. बता दें कि बृजभूषण शरण के खिलाफ कई महिला पहलवानों ने यौन शोषण के आरोप लगाए थे जिसके बाद उन्हें भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद से हटना पड़ा. 


संजय को बताया बृजभूषण का बिजनेस पार्टनर


ओलंपिक गेम्स में मेडल जीतने वालीं भारत की एकमात्र महिला साक्षी मलिक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'हमने लड़ाई लड़ी, पूरे दिल से लड़ी लेकिन अगर WFI का अध्यक्ष बृजभूषण सिंह जैसा ही आदमी रहता है, जो उनका सहयोगी है, बिजनेस पार्टनर है, वो अगर फेडरेशन में रहेगा तो मैं अपनी कुश्ती को त्यागती हूं. मैं कभी भी आपको वहां (रेसलिंग रिंग) में नहीं दिखूंगी.' उन्होंने अपने जूते उतारकर सामने रख दिए और रोने लगीं.


'लोगों ने किया सपोर्ट लेकिन...'


31 साल की साक्षी ने साथ ही कहा, 'हम 40 दिन सड़कों पर सोए, प्रदर्शन किया. देश के कोने-कोने से लोग हमें सपोर्ट करने आए. दूर-दूर से आए, बूढ़ी महिलाएं भी आईं. ऐसे भी लोग आए जिनके पास खाने तक के पैसे नहीं थे. फिर भी हमें समर्थन दिया. हम नहीं जीत पाए लेकिन आप लोगों का बहुत बहुत धन्यवाद.'


गृह मंत्री से मिले, खेल मंत्री से मिले...'


देश की दिग्गज महिला रेसलर विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) भी साक्षी के साथ मौजूद थीं. इस दौरान उन्होंने कहा, 'हमने हर तरीके से कोशिश की थी. हम गृह मंत्री से मिले और उन्होंने हमसे 30-40 दिन मांगे थे. आज जो संजय सिंह अध्यक्ष बना, वह बृजभूषण का राइट हैंड है. हमें नहीं पता कि न्याय कैसे मिलता है. हमने हर किसी को अपनी बात बताई. हमने खेल मंत्री को हर एक बात बताई. महिला का शोषण करने वाले को सीट पर बिठाया जा रहा है. 2-4 पीढ़ियां तैयार रहें शोषण के लिए. भगत सिंह ने जब फांसी लगाई थी, तब भी देश आजाद नहीं हुआ था. आजाद होने में समय लगा था. हम किसके सामने जाकर अपना दुख बताएं. अब भी हम लड़ाई लड़ रहे हैं.'