Wrestling Federation of India New Chief : भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) की नई संस्था के गठन को मुश्किल से 24 घंटे बीते होंगे कि उसमें आपसी खींचतान के कारण मुश्किलों का दौर शुरू हो गया है. महासंघ के सचिव प्रेमचंद लोचब ने अब नए अध्यक्ष संजय सिंह पर नियमों का पालन नहीं करने के आरोप लगाए हैं. लोचब ने जूनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप को स्थगित करने की मांग करते हुए कहा कि अध्यक्ष ने इस प्रतियोगिता की तिथियों की घोषणा करते हुए नियमों का पालन नहीं किया.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सचिव ने लगाए अध्यक्ष पर आरोप


संजय सिंह 'बबलू' की अध्यक्षता वाली नई संस्था ने शुक्रवार को अंडर-15 और अंडर-20 राष्ट्रीय चैंपियनशिप का आयोजन 28 से 30 दिसंबर के बीच यूपी के गोंडा में करने की घोषणा की. नवनियुक्त सदस्यों ने चुनाव के कुछ घंटे बाद ये फैसला किया. अनीता श्योरण के विरोधी गुट से चुने गए रेलवे खेल संवर्धन बोर्ड के पूर्व सचिव लोचब ने बैठक में हिस्सा नहीं लिया. लोचब ने दावा किया कि सभी फैसले डब्ल्यूएफआई महासचिव के जरिए लिए जाने चाहिए. संजय सिंह ने कहा कि ये फैसला जूनियर पहलवानों के हित को ध्यान में रखकर किया गया और उन्होंने किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया.


संजय बोले- नहीं किया नियमों का उल्लंघन


नए अध्यक्ष संजय सिंह ने कहा कि डब्ल्यूएफआई का संविधान उन्हें फैसला लेने की अनुमति देता है और महासचिव उसका पालन करने के लिए बाध्य हैं. लोचब ने शुक्रवार को संजय सिंह को लिखा कि कुछ राज्य इकाइयों को आयु वर्ग और जूनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप के नए कार्यक्रम पर आपत्ति है. लोचब ने लिखा, ‘इस संदर्भ में नवनियुक्त कार्यकारिणी की 21 दिसंबर को चुनाव के तुरंत बाद डब्ल्यूएफआई के संविधान के अनुसार कोई नियमित बैठक आयोजित नहीं की गई. इसे देखते हुए ये लगता है कि राज्य महासंघों की आपत्ति जायज है और गोंडा के नंदिनी नगर में 28 से 30 दिसंबर के बीच होने वाली अंडर-20 और अंडर-15 राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप को स्थगित किया जा सकता है.’


'पहलवानों का साल बर्बाद ना हो..'


इस पत्र की एक प्रति भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को भी भेजी गई है. लोचब को ये बात ठीक नहीं लगी की राष्ट्रीय चैंपियनशिप के आयोजन की घोषणा उनसे परामर्श किए बिना कर दी गई. डब्ल्यूएफआई संविधान के अनुसार, फैसले लेने में महासचिव का शामिल होना अनिवार्य है. संजय सिंह ने अपने बचाव में कहा कि वह नहीं चाहते थे कि जूनियर पहलवानों का एक साल बर्बाद हो और इसलिए जल्दी में ये फैसला लिया गया. उन्होंने कहा, ‘किसी के अहं भाव को ठेस पहुंचाने के लिए ये फैसला नहीं लिया गया. हमारी एकमात्र चिंता यही थी कि जो जूनियर पहलवान 2023 के कैलेंडर वर्ष में राष्ट्रीय चैंपियनशिप में नहीं खेल पाए, उन्हें मौका मिलना चाहिए. कई पहलवानों का एज-ग्रुप में ये आखिरी साल है. एक जनवरी 2024 के बाद जूनियर चैंपियनशिप में भाग लेने के वे अयोग्य हो जाएंगे.' (एजेंसी से इनपुट)