Monu Manesar Crime Kundli: हरियाणा (Haryana) में हुए दंगों के पीछे अब तक जो नाम सबसे ज्यादा गूंजा है वो नाम है मोनू मानेसर (Monu Manesar). दंगों की आग के पीछे की पूरी खौफनाक कहानी इसी नाम के इर्द-गिर्द घूम रही है. लेकिन सवाल उठता है कि आखिर मोनू मानेसर अब तक सलाखों के पीछे क्यों नहीं पहुंचा? मोनू मानेसर को लेकर अब तक जो-जो खुलासे हुए हैं वो कम हैरान करने वाले नहीं हैं. इसी साल फरवरी में मोनू मानेसर पर नासिर जुनैद हत्याकांड का आरोप लगा था जिसके बाद से लेकर अब तक वो फरार है. और अब एक बार फिर से मोनू मानेसर का नाम सुर्खियों में है क्योंकि आरोप है कि उसने जो वीडियो जारी किया था, उसी के बाद हिंसा भड़की. तो क्या है मोनू मानेसर के नाम का पूरा तिलिस्म और क्या है मोनू मानेसर का दंगा कनेक्शन. इन तमाम सवालों के जवाब जानने जरूरी हैं. उससे पहले जान लेते हैं कि मोनू मानेसर सबसे पहले कब सुर्खियों में आया था?


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ऐसे सुर्खियों में आया था मोनू मानेसर


मोनू मानेसर पहली दफा उस वक्त सुर्खियों में आया था, जब उसने 2019 में कथित गोतस्करों का पीछा करते वक्त उन पर फायरिंग की थी. उसे साल 2015 में गाय संरक्षण कानून लागू होने के बाद हरियाणा सरकार ने जिला गाय संरक्षण टास्क फोर्स का मेंबर बना दिया था. मोनू मानेसर अक्सर सोशल मीडिया पर हथियारों के साथ अपनी तस्वीरें और वीडियो शेयर करता है. मोनू मानेसर पर हरियाणा और राजस्थान में कई मुकदमे दर्ज हैं. लेकिन राजनीतिक कारणों से हरियाणा में दर्ज मुकदमे वापस ले लिए गए.


बंदूकों के साथ कई बार दिखा मोनू मानेसर


मोनू मानेसर की अब तक जो भी तस्वीरें सोशल मीडिया के माध्यम से सामने आई हैं उनमें से ज्यादातर तस्वीरों में वो रिवॉल्वर और बंदूकों के साथ नजर आया है. बजरंग दल के जिलाध्यक्ष और गोरक्षा दल का सदस्य मोनू मानेसर अब नूंह में भड़की हिंसा को लेकर भी सुर्खियों में है. मोनू  मानेसर पर आरोप है कि सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट कर उसने नूंह में आयोजित जलाभिषेक शोभा यात्रा में शामिल होने के लिए अपने साथियों और युवाओं से अपील की थी.


मोनू मानेसर का वायरल वीडियो 


आरोप है कि मोनू मानेसर के इसी वीडियो के बाद कई अन्य लोगों ने सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट कीं जिससे नूंह समेत पूरे मेवात का माहौल बिगड़ गया. अब मोनू मानेसर का नाम SIT जांच के दायरे में भी आ चुका है. ऐसा इसलिए है क्योंकि माना जा रहा है कि मोनू के वीडियो की वजह से मुस्लिम समुदाय भड़क उठा और बृजयात्रा को लेकर तनाव शुरू हो गया. जिसका नतीजा ये हुआ कि पहले श्रद्धालुओं पर पत्थरबाजी हुई. फिर पूरे शहर में हिंसा की आग भड़क उठी.


विधायक ने दी थी ये धमकी


ऐसा इसीलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि मोनू मानेसर के मेवात आने के विरोध में मुस्लिम समुदाय के स्थानीय नेता और कांग्रेस विधायक ने उसे नतीजा भुगतने की चेतावनी भी दी थी. हालांकि, जहां एक तरफ मुस्लिम समुदाय मोनू के शोभायात्रा में शामिल होने के विरोध में था. वहीं, दूसरी तरफ हिंदूवादी संगठन खुलकर ये दावा कर रहे थे कि मोनू को मेवात आने से कोई नहीं रोक सकता.


शोभायात्रा में शामिल नहीं हुआ था मोनू


हालांकि, सोशल मीडिया पर छिड़ी इस जंग के बाद मोनू शोभायात्रा में शामिल भी नहीं हुआ. नूंह के एसपी ने भी हिंसा के बाद मीडिया के कैमरों के सामने बयान दिया कि मोनू मानेसर नूंह में मौजूद नहीं है. ऐसे में सवाल पूछे जा रहे हैं कि जब मोनू के सोशल मीडिया पोस्ट से पहले ही माहौल बिगाड़ रहा था तो पुलिस-प्रशासन ने शोभायात्रा की सुरक्षा की पुख्ता तैयारी क्यों नहीं की. मगर सवाल ये भी है कि क्या मोनू के बयान के बाद पूरी प्लानिंग के साथ इस भीषण हिंसा की साजिश रची गई. क्या मोनू मानेसर के लिए सैकड़ों-हजारों बेगुनाह श्रद्धालुओं को निशाना बनाया गया.


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