Artificial Intelligence: आज के समय में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस यानी AI काफी पॉपुलर हो रहा है. ऐसा माना जा रहा है भविष्य में इसका बढ़-चढ़कर इस्तेमाल किया जाएगा. एक नया आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस टूल डेवलप किया गया है, जिसका नाम FastGlioma है. यह टूल सर्जन को ऑपरेशन के दौरान सिर्फ 10 सेकंड में ब्रेन के कैंसर के बचे हुए ट्यूमर का पता लगाने में मदद करता है. यह टेक्नोलॉजी न्यूरोसर्जरी में एक बड़ा कदम है. यह ट्यूमर का पता लगाने के पारंपरिक तरीकों से बेहतर है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

मिशिगन यूनिवर्सिटी, कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी और सैन फ्रांसिस्को के रीसर्चर्स ने ने इस स्टडी को लीड किया. उन्होंने इस बात को हाइलाइट किया कि यह टेक्नोलॉजी डिफ्यूज ग्लियोमा वाले मरीजों के लिए सर्जरी के रिजल्ट्स को बेहतर बनाने में मदद कर सकती है.


मिशिगन विश्वविद्यालय के न्यूरोसर्जन डॉ. टॉड होलोन ने बताया कि FastGlioma एक ट्रांसफॉर्मेटिव डायग्नोस्टिक टूल है. यह ट्यूमर के बचे हुए हिस्सों की पहचान करने का एक तेज और सटीक तरीका है. उन्होंने कहा कि यह टेक्नोलॉजी इंट्राऑपरेटिव MRI या फ्लोरोसेंट इमेजिंग एजेंट्स जैसे मौजूदा तरीकों पर निर्भरता को कम कर सकती है, जो अक्सर सभी प्रकार के ट्यूमर के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं.


सर्जरी के दौरान बचे हुए ट्यूमर का पता लगाना
मिशिगन यूनिवर्सिटी की मिशिगन मेडिसिन स्टडी के मुताबिक बचे हुए ट्यूमर जो अक्सर स्वस्थ ब्रेन के टिशु की तरह दिखते हैं, न्यूरोसर्जरी में एक आम समस्या हैं. सर्जनों के लिए स्वस्थ ब्रेन और बचे हुए कैंसर के टिशु के बीच अंतर करना मुश्किल होता है, जिससे ट्यूमर का पूरा हटाना मुश्किल हो जाता है. FastGlioma हाई-रिजॉल्यूशन ऑप्टिकल इमेजिंग को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के साथ जोड़कर ट्यूमर की तेजी से और सटीक पहचान करता है.


यह भी पढ़ें - 19 दिन तक चला डिजिटल अरेस्ट, शख्स ने गंवाए 10 करोड़, आखिर कैसे हुआ ये स्कैम?


एक इंटरनेशनल स्टडी में,  इस मॉडल का परीक्षण 220 मरीजों के नमूनों पर किया गया, जिनमें निम्न- या उच्च-ग्रेड डिफ्यूज ग्लियोमा था. FastGlioma ने औसतन 92% की सटीकता हासिल की, जो पारंपरिक तरीकों से काफी बेहतर है. पारंपरिक तरीकों में हाई-रिस्क वाले ट्यूमर अवशेषों के लिए ज्यादा मिस रेट होता है. यूसीएसएफ के न्यूरोसर्जरी के प्रोफेसर डॉ. शॉन हर्वी-जम्पर ने कहा कि यह टेक्नोलॉजी सर्जिकल परिशुद्धता को बढ़ा सकती है और इमेजिंग एजेंट्स या समय लेने वाले प्रोसिजर्स पर निर्भरता को कम कर सकती है.


यह भी पढ़ें - Jio-Airtel के लिए टेंशन बन रहा BSNL का ये प्लान, सबसे कम कीमत में देता है 35 दिनों तक सर्विस


फाउंडेशन मॉडल पर आधारित 
फास्टग्लियोमा फाउंडेशन मॉडल पर आधारित है, जो एक प्रकार का AI है जिसे बड़े डेटासेट पर प्रशिक्षित किया जाता है, जिससे अलग-अलग कामों को करने की सुविधा मिलती है. मिशिगन यूनिवर्सिटी में न्यूरोसर्जरी के अध्यक्ष डॉ. आदित्य एस. पांडे ने पुष्टि की कि यह कैंसर सर्जरी में AI को इंटीग्रेट करने की सिफारिशों के अनुरूप, ग्लोबल लेवल पर सर्जिकल परिणामों को बेहतर बनाने में भूमिका निभाएगा. रीसर्चर्स का लक्ष्य इसका इस्तेमाल अन्य तरह ट्यूमर्स तक बढ़ाना है.