नई दिल्ली : देश के सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) हब के बारे में चर्चा करने पर सबसे पहले दिमाग बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे, गुड़गांव और नोएडा जैसे शहरों के नाम आते हैं. लेकिन कम ही लोगों को पता होगा कि हैदराबाद के समीप स्थित अमीरपेट भारत के अनऑफिशियल आईटी हब के रूप में उभर चुका है.यहां के ट्रेनिंग इंस्टीट्यूब में सुबह से ही एक लाख से ज्यादा छात्र अपनी आईटी कौशल को धार देने और उसे मजबूत बनाने में जुट जाते हैं. यहां पर एकदो नहीं बल्कि 500 से ज्यादा इंस्टीट्यूट छात्रों को आईटी की बारीकियां सिखाने और उन्हें प्रशिक्षण देने में लगे हैं.


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आईटी ट्रेनिंग के लिए कई राज्यों से आते हैं छात्र


'द इकॉनमिस्ट' की रिपोर्ट के मुताबिक अमीरपेट की इमारतें विज्ञापनों से अटी पड़ी हैं जो छात्रों को ओरैकल, जावा और माइक्रोसॉफ्ट क्लाउड का विशेषज्ञ बनाने का दावा करती हैं. दिलचस्प बात है कि अमीरपेट में आंध्र प्रदेश के अलावा दूसरों राज्यों से बड़ी संख्या में छात्र पहुंच रहे हैं. अमीरपेट ऐसी जगह है जहां सबसे पहले कोर्स अपडेट होते हैं. यहां के इंस्टीट्यूट्स सबसे पहले नए अपडेट्स को अपने कोर्स में शामिल कर लेते हैं. यहां की फीस बाकी जगहों के मुकाबले काफी कम है. इसके अलावा महंगाई के लिहाज से यह शहर छात्रों के लिए काफी सस्ता पड़ता है.


यहां कंप्यूटर कोर्स की फीस 25 हजार रुपए तक


आईटी इंडस्ट्री में सॉफ्टवेयर प्रोग्राम बड़ी तेजी से बदलते हैं. सॉफ्टवेयर प्रोग्राम बदलते और अपग्रेड होते रहने से विशेषज्ञता पुरानी हो जाती है. ऐसे में बड़ी आईटी कंपनियों को अपनी विशेषज्ञता बनाए रखने के लिए अपने कर्मचारियों की योग्यता को अपडेट रखना पड़ता है. इंफोसिस और विप्रो जैसी आईटी कंपनियां अपने कर्मचारियों की स्किल्स अपडेट करने के लिए हर साल बड़ी राशि खर्च करती हैं. वहीं, अधिकृत सॉफ्टवेयर कंपनियां अपने लेटेस्ट कोर्सों की ट्रेनिंग के लिए चाल लाख रुपए तक वसूलती हैं जबकि अमीरपेट की अनौपचारिक संस्थाओं की फीस काफी कम है. अमीरपेट के ये इंस्टीट्यूट्स तीन से छह महीने के कोर्स के लिए 25000 रुपए चार्ज करते हैं.  


जरूरतमंद छात्रों की ख्वाहिश पूरी कर रहा अमीरपेट


रिपोर्ट के मुताबिक अमीरपेट इसलिए सफल हो रहा है क्योंकि यह उन जरूरतमंद छात्रों की ख्वाहिश पूरी कर रहा है जो कंप्यूटर की अधिक लागत वाली पढ़ाई से वंचित रह जाते हैं. सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक भारत का तीसरा से पांचवां इंजीनियर का स्नातक बेरोजगार है. 3,300 से ज्यादा इंजीनियरिंग कॉलेज में से आधे से ज्यादा कॉलेज मानकों के अनुरूप नहीं हैं.