आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को लेकर चर्चा दो साल पहले ChatGPT के लॉन्च होने के बाद शुरू हुई. लेकिन यह तकनीक नई नहीं है. Apple के को-फाउंडर स्टीव जॉब्स ने 40 साल पहले ही AI के भविष्य की भविष्यवाणी की थी. उन्होंने सोचा था कि एक दिन ऐसी मशीनें बन सकती हैं जो सवालों के जवाब दे सकती हैं और इंसानों की तरह सोच सकती हैं. स्टीव जॉब्स आर्काइव में 1983 का एक वीडियो है जिसमें आप देख सकते हैं कि स्टीव जॉब्स Aspen में इंटरनेशनल डिज़ाइन कॉन्फ्रेंस में लोगों से बात कर रहे हैं.


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पुराने वीडियो में आप देख सकते हैं कि स्टीव जॉब्स उस समय कंप्यूटर के बारे में क्या सोचते थे. उन्होंने कहा था कि एक दिन किताबों की जगह कंप्यूटर ले सकते हैं और मशीनों को इंसानों की तरह सोचने में मदद करने के लिए दिमाग की संरचना को समझने के लिए बहुत काम किया जा रहा है.


क्या बोले थे AI पर?


स्टीव जॉब्स ने कहा था कि हम कंप्यूटर बनाने के जो तरीके अपना रहे हैं, वो भविष्य में काम नहीं आएंगे. इसलिए हमें कंप्यूटर बनाने के नए तरीकों पर ध्यान देना चाहिए. हम इंसानों के दिमाग की संरचना को देख रहे हैं और कैसे यह काम करता है. हमने देखा है कि कंप्यूटर बहुत आसान काम बहुत ही सही तरीके से कर सकते हैं. लेकिन इंसानों का दिमाग बहुत ही मुश्किल काम भी आसानी से कर सकता है. इसलिए अब बहुत सारे लोग दिमाग की तरह कंप्यूटर बनाने की कोशिश कर रहे हैं.


स्टीव जॉब्स ने कहा था कि इंसानों और कंप्यूटरों में मुख्य अंतर यह है कि इंसान अपने बारे में जानते हैं. हम जानते हैं कि हम सोच रहे हैं. लेकिन अभी तक किसी भी कंप्यूटर या जानवर ने यह नहीं कहा है कि "मैं सोच रहा हूं". आजकल बहुत सारे लोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में समझने की कोशिश कर रहे हैं और यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या कंप्यूटर कभी आत्म-जागरूक हो सकते हैं. लेकिन हम में से बहुत सारे लोगों को लगता है कि हम अभी भी नहीं जानते कि हम इंसान सिर्फ मशीन हैं या कुछ और.


आजकल हम बहुत अच्छे-अच्छे कंप्यूटर बना रहे हैं लेकिन हमें कई दिक्कतें आ रही हैं. बहुत सारे लोग अपना पूरा समय दिमाग की संरचना को समझने में लगा रहे हैं और यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि हम कैसे कंप्यूटर को और अच्छा बना सकते हैं. मुझे लगता है कि हमारी जिंदगी खत्म होने से पहले हम इस सवाल का जवाब जान जाएंगे. यही बात बहुत सारे लोगों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है.