आखिर क्यों Apple कंपनी को लग रहा है नाशपाती से डर? पढ़िए ये दिलचस्प मामला
क्या सेब और नाशपाती को देखकर कोई कन्फ्यूज हो सकता है, ज्यादातर लोग कहेंगे नहीं, लेकिन दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक आईफोन निर्माता कंपनी एप्पल (Apple) इन फलों की पहचान करने में कन्फ्यूज हो गई.
नई दिल्ली: भले एप्पल दुनिया के सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है. लेकिन इन दिनों एप्पल को एक नाशपाती से डर लग रहा है. हाल ही मे एक नाशपाती के डिजाइन के कॉपीराइट पर एप्पल ने आपत्ति दर्ज करा दी है. सेब (Apple) और नाशपाती (Pear) में क्या समानता है, सिर्फ एक ही कि दोनों फल हैं. क्या सेब और नाशपाती को देखकर कोई कन्फ्यूज हो सकता है, ज्यादातर लोग कहेंगे नहीं, लेकिन दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक आईफोन निर्माता कंपनी एप्पल (Apple) इन फलों की पहचान करने में कन्फ्यूज हो गई.
क्या है मामला
दरअसल अपने Apple Logo को लेकर कंपनी इतनी ज्यादा भावुक है कि उसने नाशपाती के Logo वाली एक कंपनी को नोटिस थमा दिया है, और तुरंत इसका इस्तेमाल रोकने के लिए कहा है. Apple का कहना है कि उनके नाशपाती वाले Logo से लोग कन्फ्यूज हो जाएंगे. दरअसल अमेरिका (America) में सुपर हेल्दी किड्स (Super Healthy Kids) नाम की कंपनी ने प्रिपीयर नाम से ऐप बनाया है. इसका Logo नाशपाती है.
क्या है Apple की दलील
एप्पल (Apple) का कहना है कि कंपनी वो भी इस तरह की सेवाएं और सामान बेचती है. मील प्लानिंग सर्विसेज ऐप भी उसकी योजनाओं में शामिल है. अगर कोई कस्टमर प्री-पेयर का लोगो (Logo) देखेगा तो उसे लगेगा की रेसिपी ऐप Apple का है. जिससे ग्राहक कन्फ्यूज हो जाएगा. दूसरी ओर अब प्रिपीयर के को-फाउंडर रसेल मॉनसन ने एप्पल के खिलाफ मुहिम शुरू कर दी है. इसे Save the Pear from Apple नाम से चलाया जा रहा है.
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इसे अबतक 14,000 साइन मिल चुके हैं. उनका कहना है कि उनकी कंपनी काफी छोटी है. जिसमें सिर्फ 5 कर्मचारी हैं. हम Apple के खिलाफ कानूनी लड़ाई नहीं लड़ सकते हैं. इसलिए लोगों का सहयोग चाहिए. प्री-पीयर (Pre-Pear) की दूसरी को-फाउंडर नताली मॉनसन ने कहा कि 'हम सिर्फ अपना लोगो बचाने के लिए एप्पल के खिलाफ खड़े नहीं हुए है, बल्कि दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनी को एक संदेश देना चाहते हैं कि छोटी कंपनियों को दबाने का क्या नतीजा होता है.'
एप्पल ने पहले भी किया है ऐसा
एप्पल पहले भी ऐसा कर चुका है. 2019 में एप्पल ने नॉर्वे की कंपनी पर केस किया था. इसके बाद जर्मनी की कंपनी पर ऐसा ही केस किया गया था. फिलहाल एप्पल की पूरी कोशिश है कि प्रिपीयर को ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन न मिले.