नई दिल्ली. पिछले कुछ सालों में धोखाधड़ी के मामले तेजी से बढ़े हैं. कोविड महामारी में ऑनलाइन फ्रॉड में भी वृद्धि हुई है. जालसाज लोगों को लूटने का नया तरीका अपनाते हैं. हाल ही में जालसाज लोगों को उनकी निजी संपत्तियों में 5G या 4G मोबाइल टावर लगाने की अनुमति देने पर मोटी मासिक किराया भुगतान का लालच देकर उनके पैसे को ठग रहे हैं. पीआईबी फैक्ट चेक ने नागरिकों से इन धोखेबाजों के झांसे में न आने की अपील की है. ये जालसाज कंपनियां या व्यक्ति मोबाइल टावर लगाने के लिए लोगों के परिसरों को पट्टे पर देने/करिए पर लेने के बदले में लोगों से खुद के अकाउंट या कंपनी के अकाउंट में एक निश्चित सुरक्षा राशि, एक आवेदन शुल्क या स्टांप राशि के रूप में जमा करने को कह रहे हैं.


ऐसे लोगों को ठग रहे हैं धोखेबाज


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ये धोखेबाज सरकारी संगठनों के नाम पर लोगों को धोखा देने और ठगने के लिए आधिकारिक Logo, सिंबल्स और लेटरहेड का उपयोग कर रहे हैं. ये कंपनियां फर्जी कंपनियों के नाम पर टावर लगाने के लिए फर्जी 'नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट' भी जारी करती हैं. PIB फैक्ट ने लोगों को इन धोखेबाजों के बारे में जागरूक करने के लिए एक वीडियो शेयर किया है. PIB फैक्ट चेक ने एक ट्वीट में कहा, "क्या आपको भी ऐसे ही 5G/4G टावर इंस्टालेशन मैसेज, ईमेल या दस्तावेज़ मिले हैं? सावधान!


 



 


दूरसंचार विभाग ने क्या कहा?


पीआईबी फैक्ट चेक ने ट्वीट के साथ दूरसंचार विभाग (डीओटी) की एक प्रेस रिलीज भी शेयर की. डीओटी ने एक बयान में कहा, "डीओटी डायरेक्टली या इनडायरेक्टली रूप से मोबाइल टावर के इंस्टॉलेशन के लिए परिसर को पट्टे पर देने या इस उद्देश्य के लिए कोई 'नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट' जारी करने में शामिल नहीं है. इसमें आगे कहा गया है, "एक मोबाइल टावर टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर (टीएसपी) या इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर (आईपी-एल) द्वारा उनकी लाइसेंसिंग/रजिस्ट्रेशन शर्तों के अनुसार इंस्टॉल किया जा सकता है. टीएसपी और आईपी-एल की अपडेटिड लिस्ट डीओटी वेबसाइट www.dot.gov.in पर उपलब्ध है.


तुरंत करें यह काम


विभाग ने लोगों से कहा कि वे टावर लगाने के किसी भी प्रस्ताव पर विचार करने से पहले जागरूक हों और दूरसंचार विभाग की वेबसाइट से टीएसपी/आईपी-1 की प्रामाणिकता की जांच करें. DoT ने इस तरह की धोखाधड़ी गतिविधियों में शामिल लोगों को भी चेतावनी दी. इसमें कहा गया है कि मोबाइल टावर लगाने के नाम पर एडवांस लेने आदि जैसी गतिविधियों में शामिल किसी भी व्यक्ति और दूरसंचार विभाग के नाम/लोगो/सिफारिशों या राष्ट्रीय चिन्ह का इस्तेमाल करने पर लागू कानून के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है.