Artificial Intelligence: आज कल आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस काफी प्रचलन में है. ऐसा तय माना जा रहा है कि भविष्य का इसका बढ़-चढ़कर इस्तेमाल होने वाला है. आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से फाइनेंस और बैंकिंग सेक्टर अपनी सेवाओं को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे थे. वहीं, यह टेक्नोलॉजी अब उन्हीं के लिए बड़ी मुसीबत बन गई है. डीपफेक की मदद से अब सिर्फ लोगों का चेहरा और उनकी फेक तस्वीर और वीडियो ही बन सकती है, बल्कि लोगों की झूठी पहचान भी बनाई जा सकती है. आइए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं. 


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Deepfake का चालबाज कर रहे गलत इस्तेमाल
डीपफेक का इस्तेमाल चालबाज अपने फायदे कर रहे हैं. ये लोगों की आवाज की क्लोनिंग कर रहे हैं ताकि लोगों के परिवार वालों और दोस्तों को बेवकूफ बना सकें और लोगों के बैंक अकाउंट से पैसे निकाल सकें. इसकी मदद से चालबाज लोगों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी भी जान पाएं. 


सरकार ने बैंकों को चेताया
डीपफेक के बढ़ते खतरे को देखते हुए भारत सरकार ने बैंकों और फिनटेक कंपनियों को सावधान किया है. साथ ही सरकार ने मांग की है कि आने वाले समय में वह साइबर सिक्योरिटी को मजबूत बनाएं ताकि डीपफेक के बढ़ते खतरे से निपटा जा सके. 


क्या होता है डीपफेक?
डीपफेक के खतरे को समझने के लिए हमें सबसे पहले यह समझना होगा कि आखिर डीपफेक है क्या? यह आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से बनाई गई ऑडियो, वीडियो और तस्वीरें होती हैं, जिन्हें एडिट करके किसी व्यक्ति की पहचान दी जाती है. 


सरकार ने बैंकों को दी नसीहत
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने बैंक और फिनटेक कंपनियों से अपनी सुरक्षा प्रणाली को दुरुस्त करने को कहा है. वित्तीय सेवा सचिव विवेक जोशी ने कहा कि सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं कि मजबूत साइबर सुरक्षा स्थापित की जाए. यदि कोई साइबर हमला होता है तो उसके प्रभाव का आंकलन करने के लिए बैंकों को थोड़ा सुधार करने और साइबर जोखिम मूल्यांकन के तनाव परीक्षण को शामिल करने की आवश्यकता है.