इस साल जनवरी में, एलन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक ने बताया कि उन्होंने पहली बार किसी इंसान के दिमाग में सफलतापूर्वक एक चिप लगाई है. यह चिप 29 साल के नोलैंड अर्बाउ को लगाई गई थी, जो एक दुर्घटना में कंधे से नीचे के हिस्से को हिलाने में असमर्थ हो गए थे. 28 जनवरी को सर्जरी हुई और दो दिन बाद नोलैंड की तबीयत ठीक बताई गई. 100 दिन पूरे होने पर न्यूरालिंक ने उनकी प्रगति पर एक रिपोर्ट भी शेयर की. मस्क ने भी कई ट्वीट कर मरीज की रिकवरी के बारे में बताया. अब न्यूरालिंक के प्रमुख का कहना है कि भविष्य में फोन नहीं होंगे, बल्कि न्यूरालिंक इस्तेमाल करने वाले लोग दुनिया चलाएंगे.


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फोन की जगह लेगा न्यूरालिंक


एलन मस्क ने सोशल मीडिया पर मज़ाकिया तौर पर कहा है कि भविष्य में फोन नहीं होंगे, बल्कि लोग सीधे अपने दिमाग से चीजों को कंट्रोल कर पाएंगे. ये बात उन्होंने ट्विटर पर अपने ही बनावटी अकाउंट को जवाब देते हुए कही. दरअसल, उस फर्जी अकाउंट ने एक तस्वीर पोस्ट की थी जिसमें एलन मस्क फोन पकड़े हुए थे और उनके माथे पर न्यूरालिंक जैसा डिजाइन बना हुआ था.


उस तस्वीर के साथ, फर्जी अकाउंट ने एक सवाल भी पूछा था, 'क्या आप अपने दिमाग में न्यूरालिंक इंस्टॉल करवाकर अपने नए X फोन को सोचकर ही कंट्रोल करना चाहेंगे?'


ढूंढ रहे हैं दूसरे व्यक्ति को

इसी बीच, न्यूरालिंक ऐसे दूसरे व्यक्ति की तलाश कर रही है जो अपने दिमाग से कंप्यूटर और फोन दोनों को कंट्रोल करने के लिए उनका ब्रेन चिप लगवाना चाहता है. एलन मस्क ने कुछ समय पहले ट्वीट किया था, 'न्यूरालिंक दूसरे व्यक्ति के लिए आवेदन स्वीकार कर रहा है. यह हमारा टेलीपैथी साइबरनेटिक ब्रेन इम्प्लांट है जो आपको सिर्फ सोचने से ही अपना फोन और कंप्यूटर कंट्रोल करने देता है. पहले व्यक्ति के बारे में बताने के लिए खुद नोलैंड (@ModdedQuad) से बेहतर कोई नहीं हो सकता.' न्यूरालिंक ने भी अपने पहले मरीज का एक वीडियो शेयर किया और कैप्शन में बताया कि वे अपने क्लिनिकल ट्रायल के लिए प्रतिभागियों की तलाश कर रहे हैं.


वीडियो आया था सामने


इस साल मार्च में, न्यूरालिंक के आधिकारिक पेज ने अपने पहले मरीज की तरक्की दिखाने के लिए एक लाइव विडियो स्ट्रीम किया था. वीडियो में न्यूरालिंक के एक इंजीनियर ने कंपनी के पहले इंसान के तौर पर टेस्ट में शामिल नोलैंड अर्बाउ को दिखाया. 29 साल के नोलैंड ने वीडियो में बताया कि करीब 8 साल पहले एक हादसे में उनके कंधे से नीचे का हिस्सा काम करना बंद हो गया था. इसके बाद उन्होंने बताया कि न्यूरालिंक की टेक्नोलॉजी की वजह से अब वो शतरंज खेल पा रहे हैं, जो उन्हें बहुत पसंद है लेकिन अब तक वो अकेले नहीं खेल पाते थे.