अमेरिका के अरबपति एलन मस्क ने सरकार को धन्यवाद दिया क्योंकि सरकार ने साफ किया कि सैटकॉम स्पेक्ट्रम नीलामी के बजाय सिर्फ सरकार ही देगी. रिलायंस जियो और एयरटेल जैसी बड़ी कंपनियां नीलामी की मांग कर रही थीं. मस्क ने कहा कि वो अपनी कंपनी स्टारलिंक के जरिए भारत में इंटरनेट सेवा शुरू करना चाहते हैं. भारत की बड़ी टेलीकॉम कंपनियां इसका विरोध कर रही हैं और नीलामी के जरिए ही स्पेक्ट्रम खरीदना चाहती हैं.


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मस्क बोले- भारत में सर्विस देने के लिए तैयार


लेकिन, एलन मस्क को इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ा और उन्होंने संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बयान पर ध्यान दिया. सिंधिया ने कहा था कि स्पेक्ट्रम सरकार ही देगी, नीलामी नहीं होगी. मस्क ने इस पर जवाब देते हुए कहा, 'बहुत अच्छा! हम भारत के लोगों के लिए अपना सबसे अच्छा काम करेंगे.'


'सैटेलाइट स्पेक्ट्रम सरकार ही देगी'


सैटकॉम कंपनियों को स्पेक्ट्रम कैसे दिया जाए - नीलामी से या सरकार के जरिए - इस बात पर जियो और एयरटेल न केवल एलन मस्क से बल्कि नए टेलीकॉम कानून से भी लड़ रहे हैं. यह कानून कहता है कि सैटेलाइट स्पेक्ट्रम सरकार ही देगी, नीलामी नहीं होगी. जबकि जियो और एयरटेल चाहते हैं कि स्पेक्ट्रम नीलामी से ही दिया जाए.


सिंधिया ने किया साफ


सिंधिया ने साफ कहा कि दूरसंचार कानून कहता है कि सैटकॉम स्पेक्ट्रम की नीलामी नहीं होगी. उन्होंने कहा कि सरकार ही स्पेक्ट्रम देगी, लेकिन इसके लिए पैसे देने होंगे. स्पेक्ट्रम के दाम और इसे कैसे बांटा जाएगा, ये दूरसंचार नियामक ट्राई तय करेगा. दुनिया के दूसरे देशों में भी सैटेलाइट स्पेक्ट्रम सरकार ही देती है. इसलिए भारत में भी ऐसा ही होगा. अगर स्पेक्ट्रम सबके लिए है तो इसे कैसे अलग-अलग दाम पर बेचा जा सकता है?


ISpA ने किया समर्थन


भारतीय स्पेस एसोसिएशन (ISpA) ने भी सरकार के बयान का समर्थन किया. ISpA में एयरटेल भी है. ISpA के डायरेक्टर लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) अनिल कुमार भट्ट ने इंडिया मोबाइल कांग्रेस में कहा, '2023 के टेलीकॉम कानून में साफ कहा गया है कि सैटेलाइट स्पेक्ट्रम सरकार ही देगी, नीलामी नहीं होगी. यह तरीका दुनिया के दूसरे देशों में भी इस्तेमाल होता है.'