भारत सरकार के नए नियम के आगे झुकीं Amazon, Flipkart, Google और Facebook, जानिए इसमें आपका फायदा क्या
उपभोक्ता मामलों के विभाग ने बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों जैसे Amazon, Flipkart, Google और Meta के साथ मीटिंग की. मीटिंग में, इन कंपनियों के प्रतिनिधियों ने सरकार के इस प्रस्ताव को माना, जिसमें `ऑनलाइन कंज्यूमर रिव्यू` के लिए IS 19000:2022 नाम का एक खास मानक लागू किया जाएगा.
ऑनलाइन शॉपिंग करते वक्त कभी-कभी फर्जी रिव्यूज की वजह से परेशानी होती है. इस समस्या को दूर करने के लिए, उपभोक्ता मामलों के विभाग ने बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों जैसे Amazon, Flipkart, Google और Meta के साथ मीटिंग की. मीटिंग में, इन कंपनियों के प्रतिनिधियों ने सरकार के इस प्रस्ताव को माना, जिसमें 'ऑनलाइन कंज्यूमर रिव्यू' के लिए IS 19000:2022 नाम का एक खास मानक लागू किया जाएगा. आसान शब्दों में कहें, तो भविष्य में ऑनलाइन सामान खरीदते समय आपको ज़्यादा भरोसेमंद रिव्यूज देखने को मिलेंगे.
हुईं कई शिकायतें
ई-कॉमर्स से जुड़ी शिकायतों में भारी वृद्धि हुई है. 2018 में 95,270 शिकायतें दर्ज हुई थीं, जो 2023 में बढ़कर 4,44,034 हो गईं. यह संख्या दर्शाती है कि सख्त नियमों की कितनी जरूरत है.
सरकार एक नया कानून ला रही है जिसका नाम "क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर" होगा. यह कानून पहले से मौजूद IS 19000:2022 मानक को लागू करेगा. यह स्टेंडर्ड रिव्यू करने वालों और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म दोनों के लिए दिशानिर्देश देता है.
1. पहली चीज है, रिव्यू करने वालों की पहचान का पता लगाना. अब गुमनाम रहकर समीक्षा नहीं लिखी जा सकेगी. इससे लोगों को ज़्यादा ज़िम्मेदारी से समीक्षा लिखने का बढ़ावा मिलेगा.
2. दूसरी चीज है, रिव्यूज में बदलाव न करना. एक बार रिव्यू लिखने के बाद उसे बदला नहीं जा सकेगा. इससे यह पक्का होगा कि रिव्यू लिखते समय ही लोग सच्ची जानकारी दें.
3. तीसरी चीज है, सभी रिव्यूज को दिखाना. ई-कॉमर्स कंपनियां अब सिर्फ अच्छी रिव्यूज ही नहीं दिखा सकेंगी. उन्हें अच्छी और बुरी दोनों तरह की रिव्यूज सबको दिखानी होंगी. इससे उपभोक्ताओं को वास्तविक जानकारी मिल पाएगी.
इस बैठक में उपभोक्ता मामलों की सचिव, निधि खरे ने इन नए स्टेंडर्ड की अहमियत बताई. उन्होंने कहा कि ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले खासकर उन चीजों के लिए रिव्यूज पर बहुत भरोसा करते हैं जिन्हें वे सीधे देख नहीं सकते. उन्होंने यह भी कहा कि फेक रिव्यूज ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भरोसा कम करती है और लोगों को गलत चीज़ें खरीदने पर मजबूर कर सकती है.