Artificial Intelligence: कंपनियों के लिए साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स को ढूंढना पहले से ही मुश्किल है, अब एक नई परेशानी सामने आई है. एक रिपोर्ट के मुताबिक कुछ हैकर्स आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) का इस्तेमाल कर खुद को एक प्रोफेशनल के रूप में पेश कर रहे हैं. इससे कंपनियों के लिए नौकरी पर रखने के लिए असली और नकली दावेदारों का पता लगाना मुश्किल हो गया है. 


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ये फर्जी आवेदक कंपनियों के लिए कैसे खतरनाक हैं?


अगर कोई जासूस काम पर लग जाता है, तो वो कंपनी की गोपनीय जानकारी और डेटा चुरा सकता है. अमेरिका के अधिकारियों ने पहले भी चेतावनी दी थी कि दुनिया भर में कई छोटी-मोटी आईटी कंपनियों में उत्तर कोरिया के बहुत से छुपे हुए कर्मचारी काम करते हैं. ये कर्मचारी उत्तर कोरिया को प्रतिबंधों से बचने में मदद करते हैं और साइबर अपराधों से अरबों रुपये कमाते हैं. अमेरिका के न्याय विभाग का कहना है कि 300 से ज्यादा अमेरिकी कंपनियों ने अनजाने में विदेशी लोगों को काम पर रख लिया था जिनका संबंध उत्तर कोरिया से था. उन्हें ये लोग रिमोट आईटी जॉब के लिए मिले थे.


कंपनी के लीडर्स का क्या कहना है?


क्रिप्टोकरेंसी रिकवरी स्टार्टअप, कैट लैब्स की CEO Lili Infante ने एक साइबर सुरक्षा सम्मेलन में बताया कि उत्तर कोरिया के हैकर्स अक्सर उनकी कंपनी में नौकरी के लिए आवेदन देते हैं. कभी-कभी तो रिक्रूटर्स भी भेज देते हैं. उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी ने अब तक 50 से ज्यादा ऐसे लोगों को चिन्हित किया है जो संभावित रूप से उत्तर कोरियाई जासूस हो सकते हैं. इस वजह से उन्हें अब नौकरी पर रखने का तरीका और सख्त करना पड़ा है. 


Infante का कहना है कि क्रिप्टोकरेंसी कंपनियों में ये हैकर कमजोरियां पैदा कर के डिजिटल संपत्ति चुरा सकते हैं. ChatGPT जैसे AI टूल्स नकली लोगों को पकड़ना और मुश्किल बना रहे हैं क्योंकि ये बेहतरीन रिज्यूमे और कवर लेटर बना सकते हैं. साथ ही, एआई डीपफेक टेक्नोलॉजी की वजह से आवाज और वीडियो की नकल कर के असली इंसान होने का नाटक किया जा सकता है, जिससे साइबर हमले हो सकते हैं.


Infante का कहना है कि वो हमेशा वीडियो पर आईडी वेरिफिकेशन के लिए कहते हैं. डीपफेक और वर्क फ्रॉम होम की वजह से सावधानी न बरतने पर उत्तर कोरियाई जासूस को नौकरी पर रख लेना आसान हो जाता है. इंटेल के चीफ इंफॉर्मेशन सिक्योरिटी ऑफिसर ब्रेंट कॉनरान का कहना है कि वो खुद ही सीनियर लेवल के साइबर सुरक्षा पदों के लिए इंटरव्यू लेते हैं और साथ ही टेक्निकल टेस्ट लेते हैं.