नई दिल्ली: मौजूदा समय में बाजार में हर चीज के लिए Appsमौजूद है. बात चाहें फिटनेस की हो, खुद को ऑर्गेनाइज करने की, होरोस्कोप की, मोबाइल ऑप्टमाइजेशन की, गेम्स की या फिर रेगुलर हेल्थ मॉनिटरिंग की. सब चीजों के लिए Apps उपलब्ध है. हाल ही सामने आया था कि गूगल प्ले स्टोर पर कई ऐसे ऐप्स मौजूद थे जो आपके Facebook के पासवर्ड और लॉग-इन आईडी में सेंध लगा रहे थे. ऐसे में आपकी जिम्मेदारी काफी बढ़ जाती है कि इन फर्जी Apps से सावधान कैसे रहा जाए. इसलिए यह जरूरी है कि आप असली और नकली Apps के फर्क को जानें. इससे आप भविष्य में होने वाली परेशानी से बच सकेंगे. 


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देखें स्पेलिंग
असली और नकली App में बुनियादी फर्क स्पेलिंग का होता है. ये या तो स्पेलिंग में किसी शब्द को बढ़ा-घटा देते हैं या फिर स्पेलिंग के नाम के शुरुआत, अंत या बीच में छोटा बदलाव कर देते हैं. ऐसे में आपको इसे पहचानने की आवश्यकता है. 


रेटिंग और डाउनलोड जांचे
उन ऐप्स की रिव्यू, रेटिंग और डाउनलोड को जाचें करें जिन्हें गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करने जा रहे हैं.


पब्लिश डेट
इसके अलावा आपको App की पब्लिश डेट पर भी ध्यान देना चाहिए. अगर यह किसी जानी मानी कंपनी की ओर से नया App है तो इसकी पब्लिश डेट भी नई होनी चाहिए.


रिव्यू और डिस्क्रिप्शन
 ऐप्स के डिस्क्रिप्शन पर  ध्यान दें. इससे आपको App की सारी जानकारी मिल जाएगी.  इसके बाद साथ ही आप लोग App के रिव्यू को पढ़ें ऐसे आपको फीडबैक मिल जाता है. 


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किस तरह की मांगता है परमिशन
इस बात पर भी गौर करें कि App आपसे किस तरह की परमिशन मांगता है. अगर App आपसे सामान्य से ज्यादा जानकारी मांग रहा है तो सचेत हो जाने की आवश्यकता है. 


 ब्राउजर में स्टोर की वेबसाइट
 ब्राउजर में स्टोर की वेबसाइट पर जा सकते हैं और ‘गेट अवर ऐप’ विकल्प की तलाश कर सकते हैं, जो आपको संबंधित ऐप पर ले जाएगा जहां आप अथोराइज ऐप डाउनलोड कर सकेंगे