चेन्नई: IIT मद्रास ने तकनीक के क्षेत्र में एक और नई उपलब्धि हासिल करते हुए 'मौशिक' (Moushik) नाम का माइक्रो प्रोसेसर बनाया है. 'मौशिक' 100 प्रतिशत देसी माइक्रो प्रोसेसर (Micro processor) होने के साथ ही एक चिप भी है. जिसका मतलब यह हुआ कि यह दी हुई इंस्ट्रक्शन को पूरा कर सकता है, साथ ही चिप के रूप में विभिन्न प्रकार के उपकरण इससे अटैच किए जा सकते हैं. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बड़े काम की 'चिप' 
जानकारी के अनुसार देश मे शक्ति माइक्रो प्रोसेसर (Shakti Micro processor) प्रोग्राम के तहत विकसित की जा रही 6 कंप्यूटर चिपों में यह तीसरी है. IIT-Madras के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर वी कामाकोटी कहते हैं कि 'यह एक मल्टीपरपज चिप है. इसका इस्तेमाल क्रेडिट कार्डस इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन, सर्विलांस कैमरा, सेफ लॉक, पर्सनल हेल्थ मैनेजमेंट सिस्टम और इंटरनेट बूस्टअप करने के लिए किया जा सकता है.' 


उन्होंने बताया कि 'यह 180nm चिप है और इसकी स्पीड 100Mhz है. इस चिप को घर में इस्तेमाल होने वाले घरेलू उपकरणों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि फिलहाल इस चिप की कीमत महंगी बैठ रही है. लेकिन यदि इस चिप के 10 लाख यूनिट के उत्पादन का ऑर्डर दिया जाए तो इसका दाम एक डॉलर से भी कम हो जाएगा. उन्होंने कहा कि इस चिप की प्रोसेसिंग पावर कम है, इसके बावजूद देश के आम लोगों को इस तरह की चिप की बहुत जरूरत है. 


100% देसी है 'मौशिक'
इस प्रोसेसर का निर्माण देश के अकादमिक जगत और वैज्ञानिक समुदाय ने मिलकर किया है. इस माइक्रो प्रोसेसर का डिजाइन, मदर बोर्ड, इसके पार्ट की असेंबलिंग और वैज्ञानिक सुविधाएं IIT मद्रास ने उपलब्ध करवाई हैं. वहीं इस चिप का फैब्रिकेशन और पिछले हिस्सा का डिजाइन Indian Space Research Organization (ISRO) की Chandigarh लैब में तैयार हुआ है. इस माइक्रो प्रोसेसर के मदर बोर्ड का निर्माण बेंगलुरू में किया गया . मौशिक हाल में विकसित किए गए ‘Ardonyx 1.0’ में दिल की तरह काम करेगा. 


पहले भी बनी है स्वदेशी चिप
बता दें कि मौशिक से पहले देश में Risecreek नाम की चिप बनाई गई थी. इस चिप को अभी तक भारत के स्ट्रेटजिक सेक्टर में इस्तेमाल किया जा रहा है.  Risecreek एक इंडस्ट्री स्तर की चिप है. जिसमें 100-350 Mhz की स्पीड है. इसी कड़ी में Rimo नाम की एक और चिप बनाई गई है, 180nm पर आधारित है. इसका डिजाइन और विकास भारत में ही हुआ है. 


प्रोफेसर कामोटी कहते है कि अब तीन प्रोसेसर तैयार हो गए हैं और बाकी पर काम चल रहा है. इन चिपों के इस्तेमाल से कंप्यूटिंग स्पीड और बेहतर हो जाएगी. वे कहते हैं कि देश में फिलहाल 180nm तकनीक वाली चिप इस्तेमाल हो रही हैं. शक्ति सीरिज के तहत विकसित हो रहे माइक्रो प्रोसेसर दूसरे देशों में भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं. इसका बेहतरीन डिजाइनस, मजबूत हार्डवेयर और अच्छी स्पीड की वजह से इसे ग्लोबल मार्केट में जगह मिल सकती है. 


हालांकि वे यह भी यह कहते हैं कि शक्ति सीरीज के माइक्रो प्रोसेसर को असली पहचान तभी मिलेगी, जब डिफेंस, न्यूक्लियर पावर और सरकारी विभाग इसे अपना लेंगे. वे बताते हैं कि भारत सरकार ने देश में तकनीक के विकास को बढ़ावा देने के लिए स्वदेशी माइक्रो प्रोसेसर चैलेंज लॉन्च किया था. चुनौती दी गई थी कि इस माइक्रो प्रोसेसर में इको सिस्टम का ध्यान रखा जाए और अपनी खूबियों की वजह से ये दूसरे देशों का भी ध्यान खींचने में कामयाब रहे. 


LIVE TV