केंद्र सरकार चीनी स्मार्टफोन ब्रांड से सख्ती से निपट रही है. इस निर्णय के पीछे चाइनीज स्मार्टफोन ब्रांड्स पर भारत में वित्तीय फ्रॉड के आरोप हैं. यह मुद्दा लंबे समय से चल रहा है और भारतीय जांच एजेंसियों ने शाओमी, ओप्पो और वीवो कंपनियों के दफ्तरों में छापेमारी की है और उनके अधिकारियों से पूछताछ की है. अब केंद्र सरकार ने इस मामले में बड़ा फैसला लिया है, जिसका मतलब है कि उन्होंने सख्त कार्रवाई करने का निर्णय लिया है.


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कंपनियों में हो भारतीयों की नियुक्ति
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, केंद्र सरकार इच्छुक है कि चाइनीज स्मार्टफोन ब्रांड्स भारत में अपना कारोबार जारी रखना चाहें, तो उन्हें कंपनियों में भारतीय अधिकारियों को नियुक्त करने की आवश्यकता होगी. रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने शाओमी, वीवो और ओप्पो जैसे ब्रांड के साथ एक बैठक की है और कंपनी को दिशानिर्देश दिए हैं कि वे अपने कंपनी में चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर (CEO), चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO), चीफ फाइनेंस ऑफिसर (CFO) पदों पर भारतीय कर्मचारियों को नियुक्त करें. साथ ही, चीफ टेक्निकल ऑफिसर (CTO) पद को भी भारतीय कर्मचारी को सौंपने का ऐलान किया गया है.


जो कॉन्ट्रैक्ट पर हैं उन्हें पर्मानेंट किया जाए
साथ ही, केंद्र सरकार ने चीनी कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे भारत में कॉन्ट्रैक्ट के तौर पर काम करने वाले लोगों को पर्मानेंट करने को कहा है. इसके अलावा, स्मार्टफोन निर्माण के लिए पार्ट्स बनाने वाली कंपनियों के साथ सहयोग करने का ऐलान किया गया है. केंद्र सरकार चीनी स्मार्टफोन ब्रांड को न केवल कर चोरी से बचने की सलाह दे रही है, बल्कि उन्हें भारतीय कानूनों का पालन करने के निर्देश भी दिए गए हैं.


क्यों हो रहा है ऐसा
चीनी कंपनियों में भारतीयों को उच्च पदों पर नियुक्त होने से ब्रांड टैक्ट चोरी नहीं कर पाएंगे. इसके साथ ही, सरकार द्वारा सख्ती से भारतीय नियमों को लागू किया जा सकेगा, जिससे चीनी कंपनियों को अपने कारोबार में संशोधन करना होगा और वे भारतीय कानूनों का पालन करने के बाध्य होंगे. इस सावधानी से, सरकार उन्हें संबंधित नियमों और विनियमों का पालन करने के लिए जिम्मेदार बनाए रखेगी.