हर गांव में अब लगेगा मोबाइल टावर, रेडिएशन से दिल की बीमारी, प्रेग्नेंसी में खतरा, कैंसर का कितना है खतरा?
मोबाइल टावर वहां होते हैं जहां आबादी ज्यादा होती है. ऐसे में मोबाइल टावर को लेकर कई भ्रम भी है. इसके रेडिएशन से दिल की बीमारी, प्रेग्नेंसी का खतरा और कैंसर होने की बातें सामने आती रहती हैं. आइए जानते हैं मोबाइल टावर को लेकर क्या-क्या भ्रम हैं...
स्मार्टफोन हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है. कुछ समय पहले तक फोन में नेटवर्क भी समस्या काफी ज्यादा थी. लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में यह स्थिति अभी भी कायम है. अब यह समस्या भी अब पूरी तरह से खत्म हो जाएगी. मार्च 2024 तक भारत के हर गांव में मोबाइल नेटवर्क लग जाएंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'प्रगति' की बैठक में इस बात को कहा है. पीएम ने ‘यूएसओएफ परियोजनाओं के तहत मोबाइल टावर और 4जी कवरेज’ को भी रिव्यू किया और यह डेडलाइन तय की गई.
लगेंगे 24,149 मोबाइल टावर
यूएसओएफ परियोजनाओं के तहत नेटवर्क को मजबूत करने के लिए 24,149 मोबाइल टावर लगाए जाएंगे जो 33,573 गांवों को कवर करेंगे. मोबाइल टावर वहां होते हैं जहां आबादी ज्यादा होती है. ऐसे में मोबाइल टावर को लेकर कई भ्रम भी है. इसके रेडिएशन से दिल की बीमारी, प्रेग्नेंसी का खतरा और कैंसर होने की बातें सामने आती रहती हैं. आइए जानते हैं मोबाइल टावर को लेकर क्या-क्या भ्रम हैं...
मोबाइल टावर से कैंसर?
यह भ्रम सबसे आम है. हालांकि, कई अध्ययनों से पता चला है कि मोबाइल टावर से कैंसर नहीं होता है. मोबाइल टावर से निकलने वाला इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन बहुत कम होता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी मोबाइल टावर से कैंसर होने के कोई सबूत नहीं पाए हैं.
मोबाइल टावर से शरीर पर खतरा?
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने कहा कि मनुष्य के शरीर पर इस इलैक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड का कोई खतरा समझ में नहीं आता है. इसके प्रमाण के तौर पर हमारे सामने दो प्रसिद्ध संगठनों WHO और SCENIHR के आज तक के शोध हैं जो स्पष्ट करते हैं कि EMF उत्सर्जन के स्वास्थ्य पर दुष्परिणाम को लेकर किए गए पिछले दो दशकों के तमाम अध्ययनों के बावजूद स्वास्थ्य पर ऐसे किसी प्रतिकूल प्रभाव का संकेत नहीं मिला है.
मोबाइल टावर से प्रेग्नेंसी में खतरा?
क्या मोबाइल टॉवर की रेडिएशन उनके भ्रूण को प्रभावित कर सकती हैं या नहीं? यह साबित करने को लेकर कोई प्रमाण मौजूद नहीं है. साथ ही यह भी पुष्टि नहीं होती है कि क्या यह पूरी तरह से सुरक्षित है.
dot.gov.in के मुताबिक, डब्ल्यूएचओ ने पिछले 30 वर्षों में दुनिया भर में प्रकाशित लगभग 25,000 अध्ययनों का उल्लेख किया है और वैज्ञानिक साहित्य के डेप्थ रिव्यू के आधार पर निष्कर्ष निकाला है: 'करंट एवीडेंस लो लेवल इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड्स के संपर्क से किसी भी स्वास्थ्य परिणाम के अस्तित्व की पुष्टि नहीं करते हैं.'