एक समय था जब भारत में चीनी स्मार्टफोन्स का राज हुआ करता था. आज भी चीन सस्ते फोन्स का अड्ढा है. लेकिन भारत में मेड इन चाइना फोन नहीं बिकते हैं. भारत में ही फोन बनते हैं, लेकिन उनके पार्ट्स चीन और वियतनाम के ही होते हैं. इससे भारत को काफी नुकसान होता है. यहां भारत को दोहरा नुकसान होता है, क्योंकि यह देश से एक बड़ी मात्रा में रोजगार को छीन रहा है. समय की एक विपरीत दिशा में, भारत को सस्ते लेबर के बावजूद चीन के मुकाबले किफायती स्मार्टफोन बनाना मुश्किल हो जाता है. इसके साथ ही, हार्डवेयर सप्लाई के कारण, भारत को सुरक्षा कारणों के चलते समझौता करना पड़ता है, क्योंकि कई विशेषज्ञों ने कई बार चेतावनी दी है कि चीन अपने हार्डवेयर पार्ट की सप्लाई के माध्यम से दूसरे देशों की जासूसी करता है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

निवेश किए 17 हजार करोड़ रुपये


अब प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने इस समस्या को हल करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. उन्होंने आईटी हार्डवेयर क्षेत्र में 17,000 करोड़ रुपये की प्रोडक्शन लिंक्ड इनिशिएटिव 2.0 (PLI) स्कीम की घोषणा की है. यह योजना उन कंपनियों को प्रोत्साहित करने के लिए है, जो भारत में लैपटॉप और मोबाइल हार्डवेयर का उत्पादन करेंगी.


इन पैसों का उपयोग उन्हें व्यापार सेटअप करने के लिए किया जाएगा. पिछले वर्ष, भारत ने लगभग 90,000 करोड़ रुपये की मूल्यवान स्मार्टफोनों का निर्यात किया है. सरकार की ओर से इन 17,000 करोड़ रुपयों का खर्च 6 साल में किया जाएगा.


फायदा क्या होगा?


यह स्कीम भारत में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा करेगी. इसके साथ ही, लैपटॉप और मोबाइल फोन जैसी उपकरणों की कीमत में कमी आ सकती है. 2,430 करोड़ रुपये के निवेश से 3.35 लाख करोड़ रुपये की प्रोडक्शन को बढ़ावा मिलेगा. इससे 75,000 नौकरियां सीधे उत्पन्न होंगी. पहले इस खास उद्योग के लिए 7,350 करोड़ रुपये का निवेश किया जा रहा था, लेकिन अब इसमें इसे बढ़ाकर 17,000 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है.