टाटा ग्रुप ने असम सरकार के साथ मिलकर मोरीगांव जिले के जागीरोड में एक चिप्स बनाने की फैक्ट्री लगाने के लिए 60 साल का लीज एग्रीमेंट किया है. इस समझौते को उप-निबंधक कार्यालय में टाटा ग्रुप के बोर्ड सदस्य रंजन बंद्योपाध्याय और असम इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (एआईडीसी) के प्रबंधक (तकनीकी) और परियोजना प्रभारी धीरज पेगु द्वारा अंतिम रूप दिया गया था. इस समझौते के मौके पर, डिस्ट्रिक्ट कमिशनर (डीसी) देवाशीष शर्मा भी मौजूद थे. उनके साथ टाटा ग्रुप के अधिकारी भी थे, जिनमें कनिष्का ठाकुर, आशीष मिश्रा और अविनाश ढाबड़े शामिल थे.


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27,000 करोड़ रुपये का होगा निवेश


यह फैक्ट्री हिंदुस्तान पेपर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के पुराने कारखाने की जगह पर 27,000 करोड़ रुपये के निवेश से बनाई जाएगी. उम्मीद है कि इस फैक्ट्री का पहला चरण 2025 के मध्य तक चालू हो जाएगा और इससे 30,000 से ज्यादा रोजगार पैदा होंगे.


टाटा ग्रुप का कहना है कि ये नई फैक्ट्री दुनियाभर में एआई, इंडस्ट्रियल और आम कंज्यूमर इस्तेमाल के इलेक्ट्रॉनिक्स की बढ़ती मांग को पूरा करेगी. टाटा इस फैक्ट्री को तीन मुख्य तकनीकों - वायर बॉन्डिंग, फ्लिप चिप और इंटीग्रेटेड सिस्टम्स पैकेजिंग (आईएसपी) पर आधारित बनाएगा. भविष्य में और भी एडवांस पैकेजिंग टेक्नोलॉजी लाने की भी योजना है.


क्या बोले सीएम हिमंत बिस्वा सरमा?


असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बताया कि टाटा ग्रुप के साथ मिलकर उन्होंने फैक्ट्री के अंदर ही एक स्किल डेवलपमेंट सेंटर बनाने का फैसला किया है. यह सेंटर नॉर्थ-ईस्ट के युवाओं को एआई, सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में ट्रेनिंग देगा ताकि उन्हें जागीरोड यूनिट में नौकरी मिलने में मदद मिले.


गौरतलब है कि असम के 1,500 युवा, जिनमें ज्यादातर महिलाएं हैं, पहले से ही बैंगलोर में और उसके आसपास टाटा की फैक्ट्रियों में प्रशिक्षण ले रही हैं. इससे उन्हें 2025 में सेमीकंडक्टर फैक्ट्री चालू होने के बाद नेतृत्व के पदों पर रखा जा सकता है.


(इनपुट- पीटीआई से)