Mahabharat Unknown Facts: 90 के दशक में जो पॉपुलैरिटी रामानंद सागर की रामायण (Ramayan) को मिली वैसी ही लोकप्रियता मिली बी आर चोपड़ा की महाभारत (Mahabharat) को भी. हर संडे जब ये शो दूरदर्शन पर आता तो लोग सारा काम छोड़कर बस इसे देखते. शो बना ही इतना खास था. इसमें हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी बात का खास ख्याल रखा गया था. हाल ही में जब आदिपुरुष (Adipurush) के डायलॉग्स पर लोगों ने कड़ा ऐतराज जताया तो महाभारत में युधिष्ठिर बने गजेंद्र चौहान (Gajendra Chauhan) ने उस दौर की लेखनी को याद किया और बताया कि महाभारत के लिए लिखा हर डायलॉग इतना सटीक, खास और सधा हुआ कैसे था?


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हर सीन का रखा जाता था खास ख्याल
गजेंद्र चौहान ने एक इंटरव्यू के दौरान रिवील किया कि उस वक्त कैसे हर बात पर सभी की राय को तवज्जो दी जाती थी ताकि जो भी अंतिम निर्णय हो वो सभी के विवेक और सर्वसम्मति से लिया गया हो. खासतौर से जब कोई भी सीन शूट करना होता था तो उस पर चर्चा होती थी वो भी सिर्फ प्रोड्यूसर या डायरेक्टर के बीच नहीं बल्कि कई लोगों की टीम इसमें शामिल होती थी. शो की स्क्रिप्ट के लिए एक- दो नहीं बल्कि पूरे 8 राइटर्स मिलकर राय मशविरा करते थे. हालांकि डायलॉग मासूम राही के होते थे लेकिन सभी की राय उसमें शामिल जरूर की जाती थी. ताकि गलती से भी गलती की गुंजाइश ना रहे. 


एक चूक और रुकवा दी जाती थी शूटिंग
एक किस्सा भी उस दौर का गजेंद्र चौहान ने याद किया और बताया कि जब वो महाभारत के युधिष्ठिर बने थे तो उनके जूते फट गए थे जिनमें वो चल भी नहीं पा रहे थे. ड्रेसमैन को इसकी शिकायत कई बार की लेकिन कुछ नहीं हुआ जिसके बाद गजेंद्र ने रवि चोपड़ा को ही सीधे ये बात बताई. जिसके बाद रवि ने तुरंत जूते मंगवाने के निर्देश दिए और एक दिन के लिए शूटिंग कैंसिल कर दी. उनका कहना था कि जूते के बिना राजा ठीक से चलेगा नहीं और जब चलेगा नहीं तो रोल में कोई ना कोई कमी आएगी और वो ये नहीं चाहते थे. लिहाजा अगले दिन जूते आते ही शूटिंग शुरू कर दी गई.   



शायद इन्हीं खास बातों की वजह से 1988 में आई महाभारत आज भी लोगों के बीच लोकप्रिय हैं. खासतौर से 90 के दशक के युवा इस शो को आजीवन भुला ना सकेंगे.