नई दिल्ली: भगवान शिव को समर्पित सबसे बड़ा त्योहार महाशिवरात्रि इस बार 21 फरवरी को यानी कल  देशभर में मनाया जाएगा. इस मौके पर अगर आप कहीं बाहर जाने का प्लान बना रहे हैं और भगवान शिव के किसी खास मंदिर में जाना चाहते हैं, तो ऐसी कुछ खास जगहें हैं, जहां महाशिवरात्रि के मौके पर आपको अलग ही रौनक देखने को मिलेगी. वहीं चूं​कि शिवरात्रि के साथ ही दो दिनों का वीकेंड भी है इसलिए आप तीन दिनों की छुट्टी आराम से प्लान कर सकते हैं. यहां हम आपको कुछ ऐसी ही जगहों के बारे में बता रहे हैं, जहां आप भगवान शिव की शरण में जाकर महाशिवरात्रि मना सकते हैं.


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महाबलेश्र्वर मंदिर: इस साल महा​शिवरात्रि के दिन अद्भुत संयोग बन रहा है, ​जो भगवान शिव और पार्वती की पूजा-अर्चना के लिए बहुत ही उत्तम है. दक्षिण के काशी के नाम से मशहूर भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर में दूर दूर से भक्त आते हैं. ये कर्नाटक का सबसे प्राचीन मंदिर है. रामायण और महाभारत जैसे पौराणिक महाकाव्यों में गोकर्ण को 'दक्षिण का काशी' कहा गया है. महाबलेश्र्वर को शिव का ही एक रूप माना जाता है और शैव संप्रदाय के लोग इनकी उपासना करते हैं. 


शिव दोल: असम के शिवसागर में स्थित शिव दोल पूर्वोत्तर भारत का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है. इसकी ऊंचाई 104 फीट और परिसीमा 195 फीट है. मंदिर की दीवारों और खंभों पर अनेक हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां खुदी हुई हैं. यहां का प्रमुख उत्सव महाशिवरात्रि है. यहां दु​निया भर से पर्यटक दर्शन के लिए आते हैं.


काशी विश्वनाथ मंदिर: वाराणसी का काशी विश्वनाथ मंदिर एक तरह से यहां की पहचान है. शिवरात्रि के अवसर पर ये जगह और खास हो जाती है. अलग-अलग जगहों से शिवभक्त यहां दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं. कई जगहों पर शिव बारात भी निकाली जाती है, जिसमें लोग अलग-अलग देवी-देवताओं के रूप में नजर आते हैं.


ऋषिकेश: धार्मिक नगरी हरिद्वार में भी शिवरात्रि के मौके पर भक्तों का तांता लगा होता है. ऐसा माना जाता है कि हर की पौड़ी में डुबकी लगाने से सारे पाप मिट जाते हैं. हरिद्वार से कुछ किलोमीटर का सफर तय कर आप ऋषिकेश आ सकते हैं. महाशिवरात्रि को यहां बहुत ही शानदार तरीके से मनाया जाता है. 


भूतनाथ मंदिर: हिमाचल प्रदेश के मंडी में स्थित भूतनाथ मंदिर में भी महाशिवरा​त्रि के मौके पर शानदार आयोजन किया जाता है. मंडी के शाही परिवार ने 500 साल पहले इसकी शुरुआत की थी. महाशिवरात्रि के मौके पर यहां का सबसे मुख्य आकर्षण होता है, एक हफ्ते तक चलने वाला मेला. इस मौके पर यहां शोभा यात्रा भी निकाली जाती है. 


श्री कालहष्टेश्वर मंदिर: आंध्र प्रदेश के श्रीकालहष्टी में भी महाशिवरात्रि की धूम देखने को मिलती है. श्री कालहष्टेश्वर मंदिर में सुबह से ही भक्तों की भीड़ जुटना शुरू हो जाती है. लोग इस दिन व्रत रखते हैं और भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं.


बैजनाथ मंदिर: ये मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में है. यह मंदिर एक ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है, जिसका निर्माण 13वीं शताब्दी में हुआ था. मंदिर में स्थित शिवलिंग की स्थापना त्रेतायुग की है. पौराणिक कथा के अनुसार रावण ने भगवान शिव से प्रार्थना की थी कि वह उन्हें शिवलिंग के रूप में अपने साथ लंका ले जाना चाहते हैं. इस पर भगवान शिव ने सहमति जताई थी लेकिन उन्होंने शर्त रखी और कहा कि वह पूरे रास्ते में इस शिवलिंग को कहीं भी धरती पर नहीं रखेंगे. रावण जब कैलाश से शिवलिंग लेकर चले तो रास्ते में उन्हें लघुशंका लगी. वह शिवलिंग को एक साधु के हाथों में थमाकर चले गए. वह साधु देवर्षी नारद थे. नारदजी ने शिवलिंग को धरती पर रख दिया. तभी से यह शिवलिंग यहां पर स्थित है. शिवरात्रि के मौके पर इस मंदिर में हजारों लोग पहुंचते हैं और शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाते हैं.