Dear ज़िंदगी: `बच्‍चे को स्‍कूल में मिलने वाले नंबर उसकी सफलता, असफलता का सही पैमाना नहीं हैं`

Jan 18, 2019, 15:15 PM IST

युवा, बच्‍चे जिन चीज़ों से सबसे अधिक परेशान दिखते हैं, उनमें अतीत, आगे का डर और हमारी सीमाएं (खुद के बारे में बनाई गई धारणा) प्रमुख हैं. इस बात को बार-बार दोहराने की जरूरत है कि बच्‍चे को स्‍कूल में मिलने वाले अंक उसकी सफलता, असफलता का सही पैमाना नहीं हैं. स्‍कूल के प्रदर्शन को पैमाना बनाने का सबसे खराब परिणाम यह है कि केवल कुछ बच्‍चे ही होशियार साबित होते हैं. हर साल स्‍कूल से निकलने वाले बच्‍चों में अधिकांश बच्‍चे इस मनोदशा के साथ निकलते हैं कि वह तो पढ़ने में कमजोर थे! ठीक नहीं थे. बहुत अच्‍छे नहीं थे! यह किसी एक स्‍कूल की बात नहीं . हर साल लाखों स्‍कूलों के बच्‍चे इस मानसिक स्थिति से गुजरते हैं. स्‍कूल बच्‍चे की दुनिया बनाने, उसमें रंग भरने की जगह बच्‍चे को अपने सपनों में रंगने की कोशिश में लगे रहते हैं! इस प्रक्रिया में कला, संगीत, खेल में रुचि रखने वाले बच्‍चे निरंतर पिछड़ते रहते हैं.

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