Barmer Zee News Election Coverage in Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में होने जा रहे असेंबली चुनाव के लिए जी न्यूज की ओर से ग्राउंड कवरेज जारी है. जी न्यूज संवाददाता अंकुर त्यागी मंगलवार को बाडमेर जिले में पहुंचे और वहां की राजनीतिक सरगर्मियों पर लोगों से बात की. इस दौरान लोगों ने उन्हें बाडमेर की बड़ी समस्याओं और राजनीतिक रुझानों के बारे में भी कुछ हिंट दिया. आइए रिपोर्टर अंकुर त्यागी की जुबानी आपको बाडमेर के पूरे हालात बताते हैं. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बाडमेर में कई रिफाइनरी प्रोजेक्ट


मारवाड़ क्षेत्र में जैसलमेर से आगे बढ़कर हम पहुंचे बाड़मेर (Barmer Zee News Election Coverage) जिले में. वही बाड़मेर जिला जहां oil refinery project है. इसके अलावा इस इलाके में गैस, जिप्सम, कोयला जैसे खनिज भी बहुतायत में मिलते है. वहां पर बड़े पैमाने पर विंड एनर्जी और सोलर एनर्जी के जरिए बिजली पैदा की जा रही है. इस इलाके की समस्या जानने के लिए हम एक ढाबे पर रुके, जहां कुछ लोग हमें मिले. ये ढाबा बाड़मेर से 12 किमी दूर है, जिसका नाम जालिपा है. 


इस इलाके में पानी की गंभीर समस्या है. बाड़मेर में विकास हुआ होगा लेकिन इस इलाके में पीने का पानी नसीब नहीं हुआ है. इसके लिए हर महीने में पानी का टैंकर बुलाना पड़ता है जिसके लिए 700 से 800 रुपये खर्च करने पड़ते हैं. लोगों ने बताया कि सरकार ने ऋण माफी का ऐलान तो किया लेकिन इसका फायदा कुछ ही चुनिंदा लोगों को मिला है. एक शख्स हमें मिले, जो BPL कॉर्ड धारक है यानी वे गरीबी रेखा से नीचे आते है. सरकारी घोषणा के मुताबिक उन्हें बिजली कुछ यूनिट फ्री मिलनी चाहिए थी लेकिन जब मोबाइल पर उन्होंने अपना बिल हमे दिखाया तो उसमे कोई छूट नहीं दी गई थी. 


बिजली की कमी बड़ी समस्या


यही नहीं, इस इलाके में बिजली की कमी की भी समस्या बनी हुई है. लोग बताते हैं कि पूरे दिन के 5 से 6 घंटे ही बिजली मिलती है लेकिन वो भी टुकड़ों में. सरकार की चिरंजीवी योजना का भी बहुत ज्यादा फायदा लोगो को नही मिला है. सरकारी कर्मचारी सिर्फ कागजों में इस योजना को सफल होते बता रहे हैं. लोगों के मुताबिक इस बार बीजेपी से अगर टिकट पूर्व कद्दावर नेता गंगाराम चौधरी की पोती प्रियंका चौधरी को मिलता है तो मौजूदा विधायक मेवाराम जैन के सामने वो आसानी से जीत जाएंगी.


बाड़मेर जिले (Barmer Zee News Election Coverage) में पिछले तीन बार से कांग्रेस के विधायक मेवाराम जैन ही जीतते आए है जबकि यहां की जिला परिषद में भी पिछले तीन बार से कांग्रेस का ही कब्जा है. लेकिन बावजूद इसके इस शहर की सबसे बड़ी समस्या है सीवरेज का पानी. हम बाड़मेर के उस इलाके में पहुंचे, जहां पर केंद्रीय जेल से लेकर कलेक्टर निवास तक मौजूद है लेकिन फिर भी इस इलाके में सीवरेज लाइन खुली पड़ी है और सारा गंदा पानी बाहर निकल कर सड़क पर आ गया है. 


खराब सीवरेज सिस्टम से लोग परेशान


इसी सड़क से रोजाना जिला कलेक्टर से लेकर जिला जज तक निकलते है लेकिन आज तक इस समस्या का समाधान नहीं निकला है. हालत तो ये है कि जिस दीवार पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का सफाई को लेकर संदेश लिखा हुआ है, उसी के सामने सीवरेज का गंदा पानी बाहर सड़क पर आ गया है. लोग कहते हैं कि ये हालात शहर के कई इलाकों की है. ये सड़क 6 गांवों को जोड़ती है. कई बार इस खुले सीवरेज में रात के वक्त बाइक सवार भी गिर जाते हैं.


थोड़ा आगे बढ़े तो हम ऐसे इलाके में पहुंचे जहां सीवरेज के गंदे पानी की वजह से लोगों के घरों में सीलन तक आ गई है. हमारी मुलाकात इस इलाके में रहने वाले आरके बिड़ला से हुई, जिन्होंने सीलन के पानी से बचाने के लिए कुछ फुट ऊपर टाइल्स लगाई है लेकिन अब सीलन इससे भी ऊपर बढ़ने लगी है. ये समस्या पिछले 4- 5 सालों में बढ़ी है, जब से सरकार ने सीवरेज लाइन का काम करवाया है. 


लोगों के घरों की नींव हो रही कमजोर


इसी सीवरेज का गंदा पानी लोगों के घरों की नींव को कमजोर कर रहा है. कई बार पार्षद से लेकर विधायक तक को इसकी जानकारी दी गई लेकिन किसी ने इस मुश्किल को ठीक करने पर कोई काम नहीं किया. कई लोग तो ऐसे हैं, जो अब सीवरेज लाइन को हटाकर पाइप को दुबारा पुराने जमीन के टैंक सिस्टम से जोड़ रहे है, जिसका खर्चा भी इन्हें ही उठाना पड़ रहा है.


जब हम इस इलाके से गुजर ही रहे थे तो हमारे पास से जिला कलेक्टर का घर भी निकला. सीवरेज पानी की समस्या का नजारा यहां भी मिलता है क्योंकि कलेक्टर साहब ने बकायदा इस समस्या से निपटने के लिए एक सेंसर सिस्टम लगाया है. जैसे ही सिवरेज का गंदा पानी उनके घर में ऊपर तक आता है, सेंसर सिस्टम से अलर्ट मिलता है, फिर मोटर के जरिए इस पानी को बाहर एक अलग पाइप से फेंका जाता है.


बंद होने के कगार पर पहुंच रहे उद्योग-धंधे  


फिर हम एक और सड़क पर पहुंचे तो देखा की दोनो तरफ की नालियां गंदगी से पटी पड़ी है. सीवरेज का गंदा पानी सड़क पर आ गया है. सड़क से एक बार में एक ही गाड़ी जा पा रही है. हालत ये हो गई है कि इस सड़क के किनारे पर बसे उद्योग धंधे धीरे धीरे बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं. अशोक का भी इसी सड़क पर ट्रैक्टर ट्राली का शोरूम है लेकिन अब धंधा इसी समस्या की वजह से मंदा पड़ गया है. वे कई बार जिला परिषद भी गए, अधिकारियों से मिले लेकिन कोई हल नहीं निकला है. 


इसी सड़क पर एक ट्रीटमेंट प्लांट भी है लेकिन वो भी ढंग से काम नहीं कर रहा है. उल्टा सीवरेज का गंदा पानी खेतों में घुस गया है. अशोक बताते हैं कि पूरे शहर का यही बुरा हाल हो चुका है. इस सड़क से निकलने वाली महिलाएं भी बेहद परेशान है. इस गंदगी और सीवरेज के गंदे पानी की वजह से आना जाना बंद सा हो गया है.


खेतीबाड़ी होती जा रही प्रभावित


बाड़मेर (Barmer Zee News Election Coverage) से करीब 60 किमी दूर शिव नाम का गांव आता है. कुछ वक्त पहले यहां के किसानों ने बिजली ना मिलने की वजह से आंदोलन किया था, तब पुलिस ने इन पर लाठीचार्ज किया था. तब ये घटना बहुत बड़ी थी. अब जब चुनाव पास आते जा रहे हैं तो किसानों के बीच एक बार फिर बिजली को लेकर गहमागहमी नजर आ रही है. हमने किसानों से बात को तो उन्होंने बताया कि इस इलाके में जीरे की फसल बड़ी पैमाने पर होती है. लेकिन जब बिजली ही वक्त पर नहीं मिल पाती है तो किसान आखिर क्या करे.


किसानों के साथ जो लाठीचार्ज हुआ था, उसका रोष आज भी किसानों में है. किसानों पर आज भी इस मामले में केस दर्ज हैं. बाड़मेर में विंड एनर्जी, सोलर एनर्जी इतने बड़े पैमाने पर पैदा की जा रही है लेकिन इसका फायदा बाड़मेर के ही किसानों को नहीं मिल पा रहा है. हालात ये है किसानों के नलकूपों की मोटर बिजली की अनियमितता की वजह से जल जाती है. हमने शिव गांव के ही पास की एक दुकान में भी गए जहां किसान के खेतों में लगी हुई मोटर जो जल गई है, को लाया गया है. एक मोटर ठीक होने में 20,000 तक का खर्चा आता है.


'पानी माफिया से मिले हैं अधिकारी'


इसके बाद हम पहुंचे बाड़मेर (Barmer Zee News Election Coverage) के शास्त्री नगर इलाके में. ये इलाका पानी की कमी से बुरी तरह जूझ रहा है. जब हमने यहां रहने वाले लोगों से बात की तब ही कई सारे टैंकर जो पैसे लेकर पानी मुहैया करवाते है, हमारे सामने से गुजर रहे थे. एक हफ्ते में सिर्फ एक या दो बार ही पानी मिल पा रहा है वो भी सिर्फ कुछ मिनटों के लिए. लोग बताते हैं कि अधिकारी, पानी माफिया से मिला हुआ है. एक टैंकर एक परिवार से एक बार के 500 रुपए लेता है और एक.महीने में करीब 3 बार टैंकर आता है यानी करीब 1500 रुपए एक.महीने में पानी के लिए देने पड़ रहे है. 


विधायक मेवाराम जैन को लोगों ने कई बार इस समस्या के बारे में बताया है लेकिन इसकी कोई सुनवाई नहीं हुई है. इस इलाके में रहने वाली महिलाएं बताती हैं कि हमारा काम करना बेहद मुश्किल हो गया है. कई बार सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाए गए है लेकिन कोई फायदा नही हुआ है. महिलाएं सवाल करती हैं कि अगर नल में पानी नहीं आ रहा है, लेकिन पानी माफिया के जरिए ही सही, लोगों को पानी तो मिल पा रहा है. इसका मतलब ये हुआ कि पानी की कमी समस्या नहीं है लेकिन समस्या इस पानी को लोगो तक पहुंचाने की ही समस्या है.


'मैंने बाडमेर में बहुत काम किया'


बाड़मेर शहर (Barmer Zee News Election Coverage) की सीट पर पिछले तीन बार से मेवाराम जैन ही जीतते आए है. हमने विधायक मेवाराम जैन से खास बातचीत की. अपने काम गिनाने वाले विधायक जब हमसे बात कर रहे थे, तभी अचानक से उनके ऑफिस की ही बिजली चली गई. विधायक जी हमें समझाने लगे कि ऐसा हर बार नहीं होता है, ये आज ही हुआ है. बिजली पर मैंने खूब काम किया है. हमारे यहां 5 GSS बन गए है. ये सब बस बीजेपी वाले आरोप लगा रहे है. सीवरेज लाइन की समस्या पर जब हमने सवाल किया तो विधायक मेवाराम जैन ने माना कि सीवरेज का काम शहर में अच्छी गुणवत्ता से नहीं हुआ है, जो भी हुआ है वो शहर के आधे भाग पर ही हुआ है. लेकिन मेवाराम जैन बताते हैं कि हमने कई टेंडर निकाल दिए है, थोड़े दिनों में इस समस्या का समाधान निकाल लिया जाएगा. पीने के पानी के अभाव की समस्या पर बोलते हुए मेवाराम जैन ने कहा कि ये पानी की समस्या जरूर है लेकिन टेंडर प्रक्रिया तो हो चुकी है, बस कांट्रेक्टर ही काम धीमी गति से कर रहा है.