Rajasthan Election Ground Report: राजस्थान में सभी 200 विधानसभा सीटों पर 25 नवंबर को मतदान होगा. इससे पहले ZEE News की टीम लगातार राजस्थान के अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों का ग्राउंड रिपोर्ट लेकर आ रही है. मारवाड़ क्षेत्र में जैसलमेर से आगे बढ़कर हमारी टीम बाड़मेर जिले में पहुंची. वही, बाड़मेर जिला जहां ऑयल रिफाइनरी प्रोजेक्ट है. इसके अलावा इस इलाके में गैस, जिप्सम, कोयला जैसे खनिज भी बहुतायत में मिलते है. इसके अलावा इस इलाके में बड़े पैमाने पर विंड एनर्जी और सोलर एनर्जी के जरिए बिजली पैदा की जा रही है.


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बाड़मेर में पानी की समस्या है गंभीर


इस इलाके की समस्या जानने के लिए हम Zee News की टीम एक ढाबे पर रुकी, जहां कुछ लोग मिले. ये ढाबा बाड़मेर से 12 किमी दूर है, जिसका नाम जालिपा है. इस इलाके में पानी की गंभीर समस्या है. बाड़मेर में विकास हुआ होगा, लेकिन इस इलाके में पीने का पानी नसीब नहीं हुआ है. इसके लिए हर महीने में पानी का टैंकर बुलाना पड़ता है जिसके लिए 700 से 800 रुपये खर्च करने पड़ते है. लोगों ने बताया कि सरकार ने ऋण माफी का ऐलान तो किया, लेकिन इसका फायदा कुछ ही चुनिंदा लोगों को मिला है.


बिजली की समस्या भी है बड़ी


एक शख्स मिले जो BPL कॉर्ड धारक हैं यानी ये शख्स गरीबी रेखा से नीचे आते हैं. सरकारी घोषणा के मुताबिक, इन्हें बिजली कुछ यूनिट फ्री मिलनी चाहिए थी, लेकिन जब मोबाइल पर इन्होंने अपना बिल हमे दिखाया तो उसमे कोई छूट नहीं दी गई थी. यही नहीं, इस इलाके के बिजली की कमी की भी समस्या बनी हुई है. लोग बताते है की पूरे दिन के 5 से 6 घंटे ही बिजली मिलती है, लेकिन वो भी टुकड़ों में मिलती है. सरकार की चिरंजीवी योजना का भी बहुत ज्यादा फायदा लोगो को नही मिला है, सरकारी कर्मचारी सिर्फ कागजों में इस योजना को सफल होते बता रहे है.


सबसे बड़ी समस्या है सीवरेज का पानी


बाड़मेर जिले में पिछले तीन बार से कांग्रेस के विधायक मेवाराम जैन ही जीतते आए हैं, जबकि यहां की जिला परिषद में भी पिछले तीन बार से कांग्रेस का ही कब्जा है. लेकिन, बावजूद इसके इस शहर की सबसे बड़ी समस्या है सीवरेज का पानी. हम बाड़मेर के इस इलाके के पहुंचे जहां पर केंद्रीय जेल से लेकर कलेक्टर निवास तक मौजूद है, लेकिन फिर भी इस इलाके में सीवरेज लाइन खुली पड़ी है और सारा गंदा पानी बाहर निकल कर सड़क पर आ गया है. इसी सड़क से रोजाना जिला कलेक्टर से लेकर जिला जज तक हर रोज निकलते है, लेकिन आज तक इस समस्या का समाधान नहीं निकला है. हालत तो ये है की जिस दीवार पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का सफाई को लेकर संदेश लिखा हुआ है उसी के सामने का सीवरेज का गंदा पानी बाहर सड़क पर आ गया है. लोग कहते है की ये हालात शहर के कई इलाकों की है. ये सड़क 6 गांवो को जोड़ने वाली सड़क है, कई बार इस खुले सीवर में रात के वक्त में बाइक सवार भी गिर जाते है.


थोड़ा आगे बढ़े तो हम ऐसे इलाके में पहुंचे जहां सीवर के गंदे पानी की वजह से लोगो के घरों में सीलन तक आ गई है. हमारी मुलाकात इस इलाके में रहने वाले आरके बिड़ला से हुई, जिन्होंने सीलन के पानी से बचाने के लिए कुछ फुट ऊपर टाइल्स लगाई है. लेकिन, अब सीलन इससे भी ऊपर बढ़ने लगी है. ये समस्या पिछले 4- 5 सालों में बढ़ी है. जब से सरकार ने सीवर लाइन का काम करवाया है. इसी सीवर का गंदा पानी लोगों के घरों की नीवों को कमजोर कर रहा है. कई बार पार्षद से लेकर विधायक तक को इसकी जानकारी दी गई, लेकिन किसी ने इस मुश्किल को ठीक करने पर कोई काम नहीं किया. कई लोग तो ऐसे है जो अब सीवर लाइन को हटाकर पाइप को अब दुबारा पुराने जमीन के टैंक सिस्टम से जोड़ रहे है, जिसका खर्चा भी इन्हे भी उठाना पड़ रहा है.


कलेक्टर के घर के पास भी सीवर की समस्या


जब हम इस इलाके से गुजर ही रहे थे तो हमारे पास से जिला कलेक्टर का घर भी निकला. सीवर पानी की समस्या का नजारा यहां भी मिलता है, क्योंकि कलेक्टर साहब ने बकायदा इस समस्या से निपटने के लिए एक सेंसर सिस्टम लगाया है. जैसे ही सीवर का गंदा पानी उनके घर में ऊपर तक आता है सेंसर सिस्टम से अलर्ट मिलता है, फिर मोटर के जरिए इस पानी को बाहर एक अलग पाइप से फेंका जाता है.


गंदे पानी की वजह से उद्योग धंधे भी हो रहे ठप


फिर हम एक और सड़क पर पहुंचे तो देखा की दोनों तरफ की नालियां गंदगी से पटी पड़ी है. सीवर का गंदा पानी सड़क पर आ गया है. सड़क से एक बारे में एक ही गाड़ी जा पा रही है. हालत ये हो गए है की इस सड़क के किनारे पर बसे उद्योग धंधे धी-धीरे बंद होने के कगार पर पहुंच गए है. अशोक जी का भी इसी सड़क पर ट्रैक्टर ट्राली का शोरूम है, लेकिन अब धंधा इसी समस्या की वजह से मंदा पड़ गया है. अशोक जी कई बार जिला परिषद भी गए, अधिकारियों से मिले लेकिन कोई हल नहीं निकला है. इसी सड़क पर एक ट्रीटमेंट प्लांट भी है, लेकिन वो भी ढंग से काम नहीं कर रहा है, उल्टा सीवर का गंदा पानी खेतो में घुस गया है. अशोक बताते है की पूरे शहर का यही बुरा हाल हो चुका है. इस सड़क से निकलने वाली महिलाएं भी बेहद परेशान है, इस गंदगी और सीवर के गंदे पानी की वजह से आना जाना बंद सा हो गया है.


किसानों को नहीं मिल रही है बिजली


बाड़मेर से करीब 60 किमी दूर शिव नाम का गांव आता है, कुछ वक्त पहले यहां के किसानों ने बिजली ना मिलने की वजह से आंदोलन किया था, तब पुलिस ने इन पर लाठीचार्ज किया था. तब ये घटना बहुत बड़ी थी. अब जब चुनाव पास आते जा रहे है तो किसानों के बीच एक बार फिर बिजली को लेकर गहमागहमी नजर आ रही है. हमने किसानों से बात की तो किसानों का कहना है की इस इलाके में जीरे की फसल बड़ी पैमाने पर होती है. लेकिन, जब बिजली ही वक्त पर नहीं मिल पाती है तो किसान आखिर क्या करे. किसानों के साथ जो लाठीचार्ज हुआ था, उसका रोष आज भी किसानों में है. किसानों पर आज भी इस मामले के मामले दर्ज है. बाड़मेर में विंड एनर्जी, सोलर एनर्जी इतने बड़े पैमाने पर पैदा की जा रही है, लेकिन इसका फायदा बाड़मेर के ही किसानों को नही मिल पा रहा है. हालात ये है किसानों के नलकूपों की मोटर बिजली की अनियमितता की वजह से जल जाती है. हमने शिव गांव के ही पास की एक दुकान में भी गए जहां किसान के खेतो में लगी हुई मोटर जो जल गई है, को लाया गया है। एक मोटर ठीक होने में 20,000 तक का खर्चा आता है.


पानी की समस्या नहीं, इसे लोगों तक पहुंचाने की है समस्या


इसके बाद हम पहुंचे बाड़मेर के शास्त्री नगर इलाके में. ये इलाका पानी की कमी से बुरी तरह जूझ रहा है. जब हमने यहां रहने वाले लोगो से बात की तब ही कई सारे टैंकर जो पैसे लेकर पानी मुहैया करवाते है, हमारे सामने से गुजर रहे थे. एक हफ्ते में सिर्फ एक या दो बार ही पानी मिल पा रहा है वो भी सिर्फ कुछ मिनटों के लिए. लोग बताते हैं कि अधिकारी, पानी माफिया से मिले हुए हैं. एक टैंकर एक परिवार से एक बार के 500 रुपए लेता है और एक महीने में करीब 3 बार टैंकर आता है. यानी करीब 1500 रुपए एक महीने में पानी के लिए देने पड़ रहे है. विधायक मेवाराम जैन को लोगों ने कई बार इस समस्या के बारे में बताया है, लेकिन इसकी कोई सुनवाई नहीं हुई है. इस इलाके में रहें वाली महिलाएं बताती है की हमारा काम करना बेहद मुश्किल हो गया है. कई बार सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाए गए है, लेकिन कोई फायदा नही हुआ है. महिलाएं सवाल करती हैं कि अगर नल में पानी नहीं आ रहा है, लेकिन पानी माफिया के जरिए ही सही, लोगो को पानी तो मिल पा रहा है. इसका मतलब ये हुआ की पानी की कमी समस्या नहीं है, लेकिन समस्या इस पानी को लोगों तक पहुंचाने की ही समस्या है.


पिछली तीन बार से जीतते आ रहे हैं मेवाराम जैन


बाड़मेर शहर की सीट पर पिछली तीन बार से मेवाराम जैन ही जीतते आए है. हमने विधायक मेवाराम जैन से भी बातचीत की. अपने काम गिनाने वाले विधायक जी जब हमसे बात कर रहे थे तभी अचानक से उनके ऑफिस की ही बिजली चली गई. विधायक जी हमे समझाने लगे कि ऐसा हर बार नहीं होता है, ये आज ही हुआ है. बिजली में मैंने खूब काम किया है. हमारे यहां 5 GSS बन गए है. ये सब बस बीजेपी वाले आरोप लगा रहे है. सीवर लाइन की समस्या पर जब हमने सवाल किया तो विधायक मेवाराम जैन ने माना की सीवर का काम शहर के अच्छी गुणवत्ता वाला काम नही हुआ है, जो भी हुआ है वो शहर के आधे भाग पर ही हुआ है. लेकिन, मेवाराम जैन बताते है की हमने कई टेंडर निकाल दिए है, थोड़े दिनों में ये समस्या का समाधान निकाल लिया जाएगा. पीने के पानी का अभाव की समस्या पर बोलते हुए मेवाराम जैन ने कहा की ये पानी की समस्या भी जरूर है, लेकिन टेंडर प्रक्रिया तो हो चुकी है, बस कांट्रेक्टर ही काम धीमी गति से कर रहा है.