छत्तीसगढ़ के नॉर्थ-साउथ में हुआ `खेला`, पिछली बार 26 में से कांग्रेस ने जीती थीं 25 सीटें
Chhattisgarh Poll Result 2023: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की हार बीजेपी के शानदार प्रदर्शन के पीछे वजह क्या है. आदिवासी बहुल इस राज्य में सरगुजा और बस्तर संभाग महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. क्या इस दफा इन इलाकों में मतदाताओं ने कांग्रेस को नकार दिया या बीजेपी के पक्ष में खुलकर मतदान किया. यहां हम सरगुजा और बस्तर के मिजाज को समझने की कोशिश करेंगे.
Chhattisgarh Assembly Elections Result 2023: चार राज्यों के चुनावी नतीजों में सबसे अधिक चौंकाने वाला रिजल्ट छत्तीसगढ़ का है, 54 सीटों को अपनी झोली में डाल बीजेपी ने कमाल कर दिया. बीजेपी की इस जीत पर विश्लेषक अपने नजरिए से व्याख्या कर रहे हैं. क्या कांग्रेस जमीन पर लोगों के मन में क्या चल रहा है उसे भांप पाने में नाकाम रही. क्या आदिवासी समाज में बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस का प्रदर्शन लचर रहा. यहां पर हम समझने की कोशिश करेंगे कि बीजेपी की जीत के पीछे बड़ी वजह क्या है.
उत्तर-दक्षिण ने कांग्रेस को नकारा
अगर चुनावी नतीजों को ध्यान से देखें तो इस दफा आदिवासी बहुल उत्तर क्षेत्र सरगुजा और दक्षिण क्षेत्र बस्तर ने इस बार बीजेपी के पक्ष में दिल खोलकर समर्थन दिया. बता दें कि 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने इस क्षेत्र की 26 में से 25 सीटों पर जीत हासिल की थी. सरगुजा संभाग में कुल 14 सीटें हैं, जिनमें आदिवासी वर्ग के लिए 9 सीटें आरक्षित हैं. अगर बस्तर संभाग पर नजर डालें तो यहां कुल 12 सीटों में से 11 सीटें अनुसूचित जनजाति के वर्ग के लिए आरक्षित हैं.
सरगुजा में कांग्रेस को मिली थीं 14 सीट
छत्तीसगढ़ के गठन के बाद 2018 के चुनाव में पहली बार कांग्रेस को सरगुजा क्षेत्र की सभी 14 सीटों पर जीत मिली थी. कांग्रेस ने 68 सीटें जीतकर 15 साल से सत्ता में रहे भाजपा को बाहर का रास्ता दिखा दिया था. अगर 2023 के नतीजों की बात करें तो बीजेपी ने सरगुजा क्षेत्र की सभी सीटें अपने कब्जे में कर ली है. इस संभाग में छह जिलों की 14 सीटों में से बीजेपी ने भरतपुर सोनहत, मनेंद्रगढ़, बैकुंठपुर, प्रेमनगर, भटगांव, प्रतापपुर, रामानुगंज, सामरी, लुंड्रा, अंबिकापुर, सीतापुर, जशपुर, कुनकुरी और पत्थलगांव सीटों पर जीत का परचम फहराया.
टी एस सिंहदेव भी हार गए चुनाव
कांग्रेस के कद्दावर नेता और उप मुख्यमंत्री रहे टीएस सिंहदेव भाजपा के राजेश अग्रवाल से 94 मतों से पराजित हो गए. वहीं आदिवासी नेता और मंत्री अमरजीत भगत सीतापुर सीट पर बीजेपी उम्मीदवार राम कुमार टोप्पो से 17,160 के अंतर से हार गए. बीजेपी सांसद गोमती साय ने पत्थलगांव सीट पर कांग्रेस के रामपुकार सिंह को 255 वोटों से हरा दिया. कांग्रेस ने इस बार प्रतापपुर, सामरी, रामानुगंज और मनेंद्रगढ़ सीटों से नए उम्मीदवारों को मौका दिया था. लेकिन चारों नए चेहरे परास्त हो गए.
बस्तर में 11 सीटों पर मिली थी विजय
अगर बस्तर की बात करें तो कांग्रेस ने 12 में 11 सीटें 2018 में जीती थीं. लेकिन इस बार महज चार सीटों पर जीत का स्वाद चखा.इस बार भाजपा ने क्षेत्र में सात सीटों पर जीत हासिल की है. 2018 में, दंतेवाड़ा एकमात्र सीट थी जो इस क्षेत्र में बीजेपी जीत दर्ज की थी. लेकिन उपचुनाव में यह सीट कांग्रेस ने जीत ली थी. चित्रकोट से कांग्रेस विधायक दीपक बैज ने 2019 के संसदीय चुनाव में बस्तर लोकसभा सीट से सांसद चुने जाने के बाद विधायक पद छोड़ दिया था. भानुप्रतापपुर सीट पिछले साल तत्कालीन विधायक और राज्य विधानसभा के उपाध्यक्ष मनोज मंडावी की मृत्यु के बाद खाली हो गई थी. कांग्रेस ने मंडावी की पत्नी सावित्री मंडावी वर्मा को मैदान में उतारा था और उन्होंने उपचुनाव जीता था।
बीजेपी को इन सीटों पर जीत
इस क्षेत्र में भाजपा ने अब तक जो सीटें जीती हैं उनमें अंतागढ़, कांकेर, केशकाल, कोंडागांव, जगदलपुर, चित्रकोट और दंतेवाड़ा शामिल हैं, छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष और सांसद दीपक बैज चित्रकोट सीट पर भाजपा के विनायक गोयल से 8,370 वोटों के अंतर से हार गए, जबकि कांग्रेस मंत्री मोहन मरकाम को कोंडागांव सीट पर भाजपा की लता उसेंडी से 18,572 वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा।इस क्षेत्र से जीतने वाले कांग्रेस के चार उम्मीदवार मंत्री कवासी लखमा (कोंटा) और तीन मौजूदा विधायक - विक्रम मंडावी (बीजापुर), लखेश्वर बघेल (बस्तर) और सावित्री मंडावी (भानुप्रतापपुर) शामिल हैं. कांग्रेस ने क्षेत्र के अंतागढ़, कांकेर, दंतेवाड़ा, चित्रकोट और जगदलपुर से अपने पांच मौजूदा विधायकों को टिकट नहीं दिया था. लेकिन कांग्रेस सभी सीटों पर हार गई.