Vasundhara Raje on Rajasthan Election Result 2023: राजस्थान में बड़ी जीत के बाद बीजेपी में अब सीएम की कुर्सी के लिए 'पावर प्ले' शुरू हो गया है. इसकी शुरुआत धौलपुर राजघराने की महारानी और प्रदेश की पूर्व सीएम रहीं वसुंधरा राजे ने की है. नतीजे आने के अगले ही दिन उन्होंने सोमवार शाम यानी आज जयपुर के अपने आवास पर डिनर का आयोजन किया है, जिसमें 25 से ज्यादा नवनिर्वाचित विधायक पहुंचे हुए हैं. उनमें से कई विधायकों ने खुलकर वसुंधरा राजे को राजस्थान का अगला सीएम बनाने की मांग की है. 


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'डिनर पॉलिटिक्स' से दबाव 


पार्टी सूत्रों के मुताबिक वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) की इस 'डिनर पॉलिटिक्स' को पार्टी नेतृत्व पर दबाव बनाने की कोशिश माना जा रहा है. इसके जरिए वे केंद्रीय नेतृत्व को जताना चाहती हैं कि उनके साथ इतने विधायकों का समर्थन है, लिहाजा उनके दावे को नजरअंदाज न किया जाए. सूत्रों के मुताबिक राजे का यह दांव उन पर उल्टा भी पड़ सकता है. इसके पीछे एक नहीं अनेक वजह हैं.


मीडिया से कतराते रहे विधायक


वसुंधरा राजे से मुलाकात करने वालों में शामिल कुछ लोग मीडिया से बात करने से कतराते रहे. कई अन्य ने इसे शिष्टाचार मुलाकात बताया और उनमें से कुछ ने अपनी पसंद का संकेत भी दिया. लेकिन इस कवायद को ऐसे समय में शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है, जब पार्टी नेतृत्व मुख्यमंत्री उम्मीदवार पर विचार कर रहा है. नवनिर्वाचित विधायकों ने सिविल लाइंस में राजे के आवास पर जाकर उनसे मुलाकात की. 


इन विधायकों ने की मुलाकात


मुलाकात करने वाले विधायकों में कालीचरण सराफ, बाबू सिंह राठौड़, प्रेम चंद बैरवा, ललित मीणा, बहादुर कोली, प्रताप सिंह सिंघवी, कालू लाल मीणा, शंकर सिंह रावत, विजय सिंह चौधरी और अन्य शामिल थे. नसीराबाद विधायक रामस्वरूप लांबा ने कहा कि जनता ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वसुंधरा राजे के कामों को देखा है और मुख्यमंत्री को लेकर फैसला संसदीय बोर्ड करेगा. जब उनसे पूछा गया कि क्या पार्टी के सभी विधायक मुख्यमंत्री पद के लिए राजे का समर्थन करेंगे, तो उन्होंने कहा कि विधायक उनके साथ हैं. 


बीजेपी नेता बहादुर सिंह ने कहा, जनता की मांग है कि वसुंधरा राजे सिंधिया मुख्यमंत्री बनें और उन्हें मुख्यमंत्री बनाना चाहिए. पार्टी की बैठक में हमसे पूछा गया तो हम कहेंगे कि उन्हें (वसुंधरा राजे सिंधिया) फिर से मुख्यमंत्री बनाना चाहिए.'


अब तक हर किसी पर पड़ी हैं भारी


राजनीतिक एक्सपर्टों के अनुसार, अपने विद्रोही स्वभाव के लिए चर्चित वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) पार्टी में हर किसी पर भारी पड़ती आई हैं. वर्ष 2013 के चुनाव में जीत मिलने पर जब पार्टी में वसुंधरा के बजाय दूसरे नामों पर विचार चल रहा था तो उस वक्त वसुंधरा ने अपने पीछे जीते हुए विधायकों को गोलबंद कर लिया था, जिसके बाद तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह को झुकना पड़ गया. उनकी इस दबंगई को पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व आज तक भूला नहीं है. 


पार्टी कार्यक्रमों से बनाए रखी है दूरी


पिछले 5 वर्षों में बीजेपी ने उन्हें संगठन में राष्ट्रीय स्तर पर कई बड़ी जिम्मेदारियां दी लेकिन उन्होंने राजस्थान से बाहर निकलना गंवारा नहीं किया. पार्टी हाईकमान की ओर से नियुक्त किए गए प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के साथ भी उनका लगातार विवाद चलता रहा. पार्टी की ओर से राज्य में चलाए गए विभिन्न प्रचार अभियानों और रैलियों से उन्होंने दूरी बनाए रखी. इससे उनकी केंद्रीय नेतृत्व से नाराजगी का संकेत माना गया. 


कहीं फिर चौंका न मोदी- शाह की जोड़ी!


ऐसे में रिजल्ट आने के अगले दिन ही विधायकों को गोलबंद करने के लिए 'डिनर पॉलिटिक्स' फिर से 2013 का सीक्वल माना जा रहा है. लेकिन इस बार पार्टी में मोदी- शाह की जोड़ी है, जो अपने सामने इस तरह की अनुशासनहीनता को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करती है. ऐसे में माना जा रहा है कि वसुंधरा (Vasundhara Raje) का यह दांव उन पर उल्टा भी पड़ सकता है और केंद्रीय नेतृत्व एक बार फिर सीएम पद के लिए कोई नया नाम घोषित करके सबको चौंका सकता है.