क्या आपको है खांसी, बुखार? इसकी वजह H3N2 वायरस है या कोविड 19?

भारत में इस समय खांसी, शरीर में दर्द, बुखार और गले में खराश जैसी सांस की बीमारी में वृद्धि देखी जा रही है, लेकिन यह कैसे पता चलेगा कि यह इन्फ्लुएंजा है, जो एच3एन2 वायरस के कारण होता है, या कोविड, जो ओमिक्रॉन सब-वेरिएंट एक्सबीबी.1.5 और एक्सबीबी.1.16 के कारण होता है?

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एच3एन2 वायरस

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के आंकड़ों के मुताबिक, कोविड-19 वायरस, स्वाइन फ्लू (एच1एन1), एच3एन2 और मौसमी विक्टोरिया और यामागाटा वंश के इन्फ्लुएंजा बी वायरस से लेकर सर्कुलेशन में श्वसन वायरस का कंबिनेशन रहा है.

एच3एन2 और एच13एन1 दोनों प्रकार के इन्फ्लुएंजा एक वायरस हैं, जिन्हें आमतौर पर फ्लू के रूप में जाना जाता है. कुछ सबसे आम लक्षणों में लंबे समय तक बुखार, खांसी, नाक बहना और शरीर में दर्द शामिल हैं. लेकिन गंभीर मामलों में, लोगों को सांस फूलने या घरघराहट या फिर दोनों का भी अनुभव हो सकता है.

कोविड भी बढ़ रहा है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के गुरुवार को अपडेट किए गए आंकड़ों के अनुसार, चार महीने से अधिक के अंतराल के बाद एक दिन में 700 से अधिक कोविड-19 मामले दर्ज किए गए, कुल सक्रिय मामले 4,623 तक पहुंच गए हैं.

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कोविड और एच3एन2 के बीच अंतर

कोविड, एच3एन2 और एच13एन1 की क्लिनिकल अभिव्यक्तियों के बीच अंतर करना बहुत मुश्किल है और भेदभाव आम तौर पर एक नासॉफिरिन्जियल स्वैब नमूने से प्रयोगशाला निदान पर आधारित होता है. सर एचएन रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट, इंटरनल मेडिसिन डॉ. सम्राट शाह ने कहा, ‘मौजूदा क्लिनिकल परिदृश्य में केवल यही अंतर है कि कोविड के लक्षण बमुश्किल 2-3 दिनों तक रहते हैं और मरीज बिना किसी परेशानी और किसी बड़े इलाज के जल्द ही ठीक हो जाता है.’

शाह ने कहा, ‘जबकि एच3एन2 और एच13एन1 के साथ उत्पादक और गीली खांसी के लिए अधिक पूवार्भास होता है जो कुछ हफ्तों तक रहता है और इसमें निमोनिया या द्वितीयक जीवाणु संक्रमण होने की अधिक संभावना होती है.’

एस.एल. रहेजा अस्पताल, माहिम में सलाहकार और प्रमुख-क्रिटिकल केयर डॉ. संजीत ससीधरन ने कहा, ‘एच3एन2 से प्रभावित लोगों में गले में जलन और आवाज में भारीपन बढ़ जाता है, जो दो से तीन सप्ताह तक रहता है.’ उन्होंने बताया, ‘कोविड-19 से संक्रमित लोगों में आमतौर पर बंद नाक और तीन से चार दिनों तक रहने वाला बुखार होता है.’

डॉ. ससीधरन ने कहा कि इन्फ्लुएंजा घातक नहीं है. लेकिन वायरस के बावजूद अगर कोई प्रमुख सहरुग्ण कारक है तो रुग्णता और मृत्युदर की अधिक संभावना है. छोटे बच्चों, शिशुओं, सहरुग्णता वाले वयस्कों, 65 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गो, गर्भवती रोगियों, प्रतिरक्षा में अक्षम रोगियों आदि के लिए भी जोखिम अधिक है.

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एच3एन2 से कुल 9 लोगों की मौत

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, देश में एच3एन2 से होने वाली मौतों की कुल संख्या अब नौ हो गई है. हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय ने अभी तक मरने वालों की आधिकारिक संख्या जारी नहीं की है. गुरुवार को सुबह 8 बजे अपडेट किए गए स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 24 घंटे की अवधि में कोविड के कुल 754 नए मामले सामने आए, जबकि कर्नाटक से आई एक मौत की रिपोर्ट के साथ मरने वालों की संख्या बढ़कर 5,30,790 हो गई है.

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क्यों बढ़ रहा है संक्रमण?

डॉक्टरों ने कहा कि बदलते मौसम के साथ-साथ प्रदूषण भी वायरल संक्रमण से प्रभावित रोगियों की संख्या को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. डॉ शाह के मुताबिक ‘मामलों में वृद्धि में योगदान देने वाले कुछ पर्यावरणीय कारक खराब वायु गुणवत्ता और अत्यधिक निर्माण प्रदूषण हैं. इस इन्फ्लुएंजा वायरस की जटिलता को रोकने का एकमात्र तरीका साल में एक बार चतुष्कोणीय फ्लू वैक्सीन के साथ टीकाकरण करना है.’

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बरतें ये सावधानियां

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों को मास्क का उपयोग करने, हाथों की स्वच्छता बनाए रखने और भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचने जैसे कोविड उपयुक्त व्यवहारों का पालन करने की सलाह दी. उन्होंने वार्षिक फ्लू शॉट की आवश्यकता पर भी बल दिया.

पी.डी. हिंदुजा अस्पताल और एमआरसी, माहिम के संक्रामक रोग सलाहकार डॉ. उमंग अग्रवाल ने कहा, ‘इन्फ्लुएंजा का वार्षिक फ्लू शॉट रोग को रोकने या कम से कम बीमारी की गंभीरता को रोकने में मदद करेगा. दुर्भाग्य से, भारत में इन्फ्लुएंजा वैक्सीन राष्ट्र कवरेज पर्याप्त नहीं है.’

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