Rheumatoid Arthritis बीमारी का शिकार हुईं फेमस एक्सट्रेस, शरीर के इन अंगों पर होता है तगड़ा असर
Rheumatoid Arthritis Symptoms: `रूमेटाइड अर्थराइटिस` एक ऐसी बीमारी है जिसमें मरीजों का चलना फिरना मुश्किल हो जाता है, जिसके कारण वजन भी बढ़ने लगता है.
Sambhavna Seth Rheumatoid Arthritis: एंटरटेनमेंट की दुनिया की मशहूर एक्ट्रेस संभावना सेठ ने पिछले कुछ सालों में अपने टैलेंट के दम पर काफी शोहरत कमाई है. इस वक्त वो फिल्मी पर्दों पर नजर नहीं आ रही हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर लगातार एक्टिव हैं. इस अभिनेत्री ने हाल में ही अपने व्लॉग के जरिए जानकारी दी है कि वो इन दिनों 'रूमेटाइड अर्थराइटिस' नामक एक गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं जिसके कारण उनका चलना-फिरना मुश्किल हो गया है और वजन भी लगातार बढ़ रहा है. आइए जानते हैं कि इस बीमारी के कारण शरूर के किन अंगों पर असर पड़ता है.
इन अंगों पर पड़ता है असर
'रूमेटाइड अर्थराइटिस' (Rheumatoid Arthritis) गठिया रोग का एक प्रकार है जिसमें रोगी को घुटनों, पीठ, गर्दन, कलाई और एड़ियों में काफी दर्द होता है. आमतौर ये बीमारी बुजुर्गों को होती है, लेकिन गड़बड़ जीवन शैली और उल्टे-पुल्टे खान पान की वजह से ये युवाओ और मिडिल एज के लोगों को भी अपना शिकार बना रहा है. अगर वक्त रहते इसका इलाज नहीं किया तो न सिर्फ हड्डियों और जोड़ों को तगड़ा नुकसान पहुंचता है, बल्कि स्किन, आंख, लंग्स भी प्रभावित हो जाते हैं.
'रूमेटाइड अर्थराइटिस' (Rheumatoid Arthritis) एक ऑटोइम्यून डिजीज है जिसमें बॉडी की इम्यूनिटी हेल्दी सेल्स को नुकसान पहुंचाती है. इसमें कई बार ज्वाइंट पेन बर्दाश्त से बाहर हो जाता है इसके अलावा जोड़ों में सूजन और अकड़न भी आम बात है.
'रूमेटाइड अर्थराइटिस' के लक्षण
अगर आपको सुबह उठने के बाद बॉडी के किसी हिस्से में लंबे वक्त तक अकड़न महसूस हो तो समझ जाएं कि ये 'रूमेटाइड अर्थराइटिस' खतरा भी हो सकता है. ये अकड़न कुछ घंटों तक बरकरार रह सकती है, लेकिन बॉडी मूवमेंट के बाद ठीक भी हो सकती है. इसके अलावा कमजोरी, भूख की कमी, आंखों और मुंह का सूखना, हल्का बुखार और शरीर में गांठ भी 'रूमेटाइड अर्थराइटिस' के लक्षण हो सकते हैं. पुरुषों के तुलना में महिलाओं में इस बीमारी का खतरा आमतौर पर ज्यादा होता है. इसका पता लगाने के लिए रुमेटोलॉजिस्ट की सलाह लेनी चाहिए.
'रूमेटाइड अर्थराइटिस' का इलाज
'रूमेटाइड अर्थराइटिस' के इलाज के लिए डिजीज मॉडिफाइड एंटी-रूमेटिक ड्रग(Disease Modifying Anti-Rheumatic Drugs) का इस्तेमाल होता है. साथ ही नॉन-स्टेरायडल एंटी इंफ्लेमेटरी ड्रग(Nonsteroidal anti-inflammatory drug) या कॉर्टिकोस्टेरॉइड (Corticosteroid) की लो डोज दी जा सकती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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