Liver Cirrhosis Diet: फैटी लीवर एक ऐसी बीमारी है जो लोगों को खराब लाइफस्टाइल और खान पान के कारण होती है. वैसे तो फैटी लीवर दो तरह के होते हैं, पहला एल्कोहॉलिक फैटी लीवर और दूसरी होती है नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लीवर होता है. आज हम आपको बताएंगे कि फैटी लीवर होने के क्या संकेत होते हैं और आप इसकी कैसे पहचान कर सकते हैं.


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ये होता है फैटी लीवर
जब लीवर में बहुत ज्यादा फैट जमा हो जाता है तो इसे फैटी लीवर कहते हैं. लिवर पित्त रस को बनाता है जो लीवर से टॉक्सिन्स को दूर करने में मदद करता है. इसके अलावा ये रस बॉडी के लिए प्रोटीन बानाने में मदद करता है. यहीं नहीं ये आयरन और जरूरी न्यूट्रियंट्स को एनर्जी में कन्वर्ट करता है. लीवर में फैट की मात्रा ज्यादा बढ़ जाने पर ये हमारे कामकाज में दिक्कत पैदा करने लगता है.


क्या होता है एल्कोहॉलिक और नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लीवर
फैटी लीवर दो तरह के होते हैं जिनमें से एल्कोहॉलिक फैटी लीवर बहुत ज्यादा शराब पीने की वजह से होता है. जो लोग शराब नहीं पीते और फिर भी उनके लीवर में फैट जमा हो जाता है तो उसे नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लीवर कहते हैं. इन दोनों कंडीशन में लिवर सिरोसिस का सामना करना पड़ता है.


लीवर सिरोसिस के लक्षण
लीवर सिरोसिस एक बेहद ही गंभीर बीमारी है. इसमें लीवर के सेल्स डैमेज हो जाते हैं जिसकी वजह से लीवर सही से काम नहीं कर पाता है. जब ये समस्या बहुत ज्यादा बढ़ जाती है तो उसे एडवांस सिरोसिस कहते हैं. लीवर सिरोसिस होने पर थकान, कम भूख लगना, उल्टी, पैरों में सूजन, वजन कम होना, त्वचा में खुजली लगना आदि लक्षण देखने को मिलते हैं.


इस तरह कम करें फैटी लीवर का जोखिम
फैटी लीवर के खतरे को कम करने के लिए आप हेल्दी चीजों को जैसे कि फ्रूट्स, सब्जियां, साबुत अनाज आदि को अपने डाइट में शामिल करें. आपका वजन अगर ज्यादा बढ़ा हुआ है तो एक्सरसाइज करके वजन घटाएं. इससे भी सिरोसिस के खतरे को कम करने में मदद मिलेगी.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


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